‘बाघा’ नाम सुनकर कांपते हैं अपराधी, सुराग ढूंढने में रहती है अहम भूमिका

अनूप पासवान/कोरबाः हत्या, डकैती, चोरी और अन्य संगीन अपराध होने पर आरोपियों को दबोचने के लिए जहां पुलिस अधिकारी एड़ी चोटी का जोर लगाकर इंवेस्टीगेशन करते हैं. वहीं, डॉग स्क्वायड भी ऐसे मामलों को हल करने में पुलिस की पूरी मदद करता है. कोरबा के डॉग स्क्वायड दस्ते का खोजी कुत्ता ऐसे ही कई संगीन मामलों में पुलिस की मदद कर चुका है और कई अवार्ड अपने नाम कर चुका है.

अपने मास्टर ट्रेनर के कमांड को फॉलो करता ये कोई आम डॉग नहीं है. बेल्जियम शेफर्ड नस्ल के इस डॉग का नाम ‘बाघा’ है. जुर्म करने वाले अपराधी इसके नाम से भी डरते हैं. कोरबा पुलिस को आपराधिक मामले में मिलने वाली हर चुनौतियों में ‘बाघा’ साथ देता है. साल 2017 में इस खोजी डॉग की नियुक्ति हुई. तब से अब तक ‘बाघा’ ने मर्डर, रेप, चोरी, डकैती और अन्य करीब 60 मामलों को सुलझाने में अहम भूमिका निभाई है. इस दौरान ‘बाघा’ कई अवॉर्ड अपने नाम कर चुका है.

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सुराग खोजने में अहम योगदान
कोरबा ही नहीं दीगर जिले में होने वाले अपराधों का सुराग ढूंढने के लिए बाघा को बुलाया जाता है. फोर्स ज्वाइन करने के बाद इसकी ट्रेनिंग भी जवानों की तरह हुई है. बाघा के मास्टर ट्रेनर आरक्षक सुनील कुमार ने बताया कि पुलिस इन्वेस्टिगेशन के लिए खोजी कुत्ते की कितनी अहम जरूरत होती है. जहां कोई सुराग इन्वेस्टिगेशन करने वाले पुलिस को नहीं आता वह बाघा सुराग खोजने में अहम भूमिका निभाता है.

ट्रेनर की कमांड पर करता है काम
मास्टर ट्रेनर सुनील ने ‘बाघा’ के बात मानने की सहनशीलता, सुरक्षा के लिए आक्रामकता और सूंघने की शक्ति का कुछ करतब करवा कर दिखाया. ‘बाघा’ को एक सामान की सुरक्षा का जिम्मा सौंपा गया. इसके बाद ‘बाघा’ एक्टिव हुआ और उस समान के आसपास किसी को भटकने तक नहीं दिया. वहीं, सूंघने की शक्ति का परिचय देते हुए दर्जनों रुमाल के बीच में से एक रुमाल सूंघ कर खोज लिया. देखिए वीडियो में कैसे बाघा अपने मास्टर ट्रेनर के कमांड पर काम करता है.

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