कुंदन कुमार/गया. आम और अमरूद की बागवानी ऐसी बागवानी है जो किसानों के आर्थिक स्थिति में बदलाव ला सकती है. आज गया जिले में कई ऐसे किसान हैं, जो बागवानी कर अच्छी आय कर रहे हैं. आज हम जिस किसान के बारे में बात करने जा रहे हैं, वह दोनों पति-पत्नी हैं. जो गया जिले के सुदूरवर्ती इमामगंज प्रखंड क्षेत्र के कोठी के रहने वाले हैं. हम बात कर रहे हैं शमीना खानम और मोहम्मद अली खान की. वैसे तो इनका गया शहर में व्यवसाय भी है, लेकिन बागवानी इनकी शौक है. बागवानी के लिए शमीना ने प्राइवेट स्कूल की प्रिंसिपल की नौकरी छोड़ दी और इसी में अपना समय व्यतीत कर रही है.
लगभग 6 बीघा जमीन में करते हैं बागवानी
कोठी गांव में इनकी पुश्तैनी जमीन है. वहां पहले धान गेहूं की खेती होती थी, लेकिन उसमें इन्हें काफी नुकसान हुआ. जिसके बाद इन लोगों ने सोचा कि ऐसे कौन सी फसल लगाएं, जिससे अच्छी आय हो और लोगों को रसायन मुक्त भोजन मिले. इसके बाद इन्होंने बागवानी करने की सोची. 7 साल पूर्व लगभग 6 बीघा जमीन पर 1200 से अधिक आम, अमरूद, नींबू का पौधा लगा दिया. आज इनके बगीचे में अमरूद के कई प्रजाति है जिसमें इलाहाबादी सफेदा, केजी वन और ताइवानी पिंक जबकि आम में मल्लिका, जर्दालू, दशहरी प्रजाति के पेड़ हैं.
सालाना 6-7 लाख रुपये की बचत
प्रति वर्ष आम और अमरूद का कूल उत्पादन 50 क्विंटल है और इनके आम-अमरूद की डिमांड गया के अलावे विभिन्न राज्यों में हैं. इससे इन्हें सालाना 6-7 लाख रुपये की बचत भी हो जाती है. इतना ही नहीं शमीना खूद से अमरूद की जैम/जेली भी बनाती है. इसकी भी डिमांड बिहार से बाहर खूब है. बगीचे की देखरेख के लिए इन्होंने 4-5 लोगों को रोजगार भी दे रखा है. बीच-बीच में दोनों बगीचे में जाकर पेड़ पौधों की सेवा करते हैं.
दोनों पति-पत्नी सफल किसान बनें
शुरुआती दिनों में अमरूद के बगीचे में शार्ट सर्किट के कारण आग लगने से काफी नुकसान हुआ था, लेकिन बाद में धीरे-धीरे इससे उबर गए. आज दोनों पति-पत्नी सफल किसान बन चूके हैं. हालांकि इस इलाके में पानी की दिक्कत हो रही है. लिहाजा इन्होंने सरकार से बोरिंग और पानी की समस्या दूर करने की गुहार लगाई है.
बिहार में वंशावली बनाने के नियम में हुआ बदलाव, सरपंच को मिला यह अधिकार, बनवाने से पहले पढ़ें नियम
शमीना बताती हैं कि वह एक किसान परिवार से है. इनके पिता एक बड़े किसान थे, लेकिन पहले खेतों में सिर्फ धान या गेंहू होती थी, लेकिन उसमें ज्यादा मुनाफा नहीं होता था. लिहाजा हमलोगों ने बागवानी की सोची और आज दोनों मिलकर अच्छी बागवानी कर रहें हैं. मो.अली खान ने बताया कि वह अमरूद का जैम बनाते हैं. जिसका खूब डिमांड है. रोजाना 15 किलो अमरूद का जैम तैयार करते हैं. इनके फल और जैम लोकल मार्केट के बाद देश के कई जगहों पर भेजी जाते हैं.
.
Tags: Agriculture, Bihar News, Gaya news, Local18, Womens Success Story
FIRST PUBLISHED : March 8, 2024, 14:39 IST