बांस से बने मउर के बिना अधूरी मानी जाती है शादी, इमली घोटाई की भी है परंपरा

अभय विशाल/छपरा : शादियों का सीजन शुरू हो गया है. शादी सभी मनुष्यों के जीवन का एक शुभ और महत्वपूर्ण पड़ाव होता है. हम सभी जानते हैं कि शादियों में कई रस्में निभाई जाती है. अलग-अलग जगहों पर शादी की अलग-अलग रस्में भी हो सकती है.

बिहार में भी शादियों की कई रस्में निभाई जाती है. सारण के जाने माने आचार्य पंडित राजू मिश्रा ने बताया कि बिहार में शादियों के दौरान निभाई जाने वाली रस्मों में कुछ ऐसी चीजें हैं, जो बिहार की शादियों को खास बना देता है. उन्होंने बताया कि सारण के क्षेत्रों में इमली घोटाई नाम की एक खास रस्म निभाई जाती है.

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इस रस्म के बिना अधूरी मानी जाती है शादी

पंडित राजू मिश्रा ने आगे बताया कि इमली घोटाई की रस्म के बिना यहां की शादियां अधूरी रहती है. इस रस्म के दौरान बांस से बने मउर का विशेष महत्व होता है. उन्होंने बताया कि बांस से बने खूबसूरत मउर को विवाह के दिन दूल्हा के सिर पर पहनाकर इमली घोटाई की रस्म निभाई जाती है. उन्होंने बताया कि इस रस्म का महत्व नई जोड़ी के उन रिश्तों को मजबूत करने में होता है, जो एक नए घर में नया जीवन शुरू करते हैं.

जानिए क्या है इमली घोटाई की रस्म

आचार्य राजू मिश्रा ने बताया कि विवाह से पहले इमली घोटाने का कार्यक्रम होता है. इस दौरान भाई अपने इच्छा के अनुसार आभूषण, कपड़ा और पैसा अपनी बहन को दान करते हैं. विधि के अनुसार इस रस्म को निभाने के लिए मां के साथ लड़का या लड़की पास में बैठते हैं. मां के भाई पानी से भरे पीतल के लोटे से आम के पत्ते से जल लेकर मुंह में डालते हैं. उस जल को मां अपने बेटा या बेटी के हाथ में डालती है. कहा जाता है कि आज के दिन से ही बेटे और बेटी अपना होते हुए भी पराए हो जाते हैं.

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