बांस और घंटी से बनता है पटनिया मोर मुकुट,सिर पर रखते ही याद आने लगती है दुल्हन

रिपोर्ट – कैलाश कुमार

बोकारो. हिंदू रीति-रिवाजों से होने वाली शादियों में आपने दूल्हे को मोर-मुकुट पहने जरूर देखा होगा. यह सांस्कृतिक और पारंपरिक पहचान है. विवाह जैसे महत्वपूर्ण अवसर पर मोर-मुकुट पहनकर ही शादियों की रस्में पूरी की जाती हैं. शादी-विवाह का सीजन आते ही बोकारो में इन मोर-मुकुट की डिमांड बढ़ने लगी है. ऐसे में लोगों को सेक्टर 12 के दुंदीबाग बाजार याद आता है, जहां पिछले 20 साल से कारीगर रंजीत बेहतरीन मोर-मुकुट बनाने के लिए जाने जाते हैं.

शादी-विवाह में दुल्हन के शृंगार पर तो खासा ध्यान दिया जाता है, लेकिन दूल्हे के लिए आभूषणों की संख्या नाम मात्र की ही होती है. ऐसे में दूल्हे के लिए मोर-मुकुट को अनिवार्य बनाया गया है. लोकल 18 से बातचीत में बोकारो के कारीगर रंजीत ने बताया कि पटनिया मोर-मुकुट खास प्रकार का आभूषण है, जिसे शादी-विवाह में दूल्हे पहनते हैं. यह दूल्हे के शृंगार का प्रसाधन है. बिहार, झारखंड, यूपी समेत कई राज्यों में इस तरह के मोर-मुकुट का प्रचलन है. शादी के सीजन में इसी वजह से बाजारों में मोर-मुकुट की डिमांड बढ़ जाती है.

ऐसे तैयार होता है मुकुट
रंजीत ने बताया वह अपनी दुकान पर विभिन्न आकार के मोर-मुकुट तैयार करते हैं. इसकी कीमत 800 रुपए से लेकर 1000 रुपए तक होती है. हालांकि इसकी गुणवत्ता पर भी मोर-मुकुट का दाम निर्भर करता है. रंजीत ने बताया कि खास तरह के बांस से मुकुट का ढांचा तैयार किया जाता है. इसके बाद आकर्षक झालर, घंटी और मोती-माला वगैरह के साथ इसे फाइनल आकार दिया जाता है. रंजीत के मुताबिक एक मोर-मुकुट तैयार करने में 3 से 4 घंटे का समय लगता है. सिद्धहस्त कारीगर एक दिन में 3 मुकुट तैयार कर पाते हैं. उन्होंने बताया कि उनकी दुकान पर हर महीने लगभग 100 मोर-मुकुट की बिक्री हो जाती है. रंजीत ने बताया कि उनकी दुकान सुबह 10 बजे से लेकर रात 8 बजे तक खुली रहती है.

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