wallace flying frogs news: आखिर कौन मरने से नहीं डरता. चाहें इंसान हों या बेजुबान किसी भी खतरे की आहट होने पर खुद को बचाने की कोशिश करते हैं. दुश्मन के वार से बचने के लिए तरह तरह के ट्रिक आजमाते हैं. यहां हम वालेस फ्लाइंग मेंढक की बात करेंगे जो अपने शिकारी से बचने के लिए फटाफट अपने रंग को बदल लेते हैं. एक तरह से धोखा देने में माहिर होते हैं,
इस तरह खुद को बचाते हैं ग्लाइडिंग मेंढक
वॉलेस फ्लाइंग मेंढक को ग्लाइडिंग मेंढक भी कहा जाता है. ये चमकीले लाल रंग के होते हैं और शरीर में छोटे छोटे डॉट्स होते हैं. दक्षिण पूर्व एशिया इलाके में पाए जाने वाले मेंढकों की पहचान अल्फ्रेड आर वॉलेस ने की थी जिसके बाद इन्हें वॉलेस फ्रॉग के नाम से जाना जाने लगा. एएफफी के मुताबिक इन मेंढकों पर शोध में पाया गया कि किसी भी खतरे को भांप कर ये अपने रंग को बदल लेते हैं. इससे शिकारी जानवर चकमा खा जाता है. स्टडी में पाया गया कि उनके रंग बदलने की कला से ऐसा लगता है कि कोई जानवर नीचे की तरफ गिर रहा हो.
वियना में किया गया शोध
वियना के शोरब्रन जू में वॉलेस फ्रॉग के हावभाव को समझने के लिए प्रयोग किए गए. वियना विश्वविद्यालय की शोधकर्ता सुसैन स्टक्लर ने कहा कि इन मेंढक को यकीन होता है कि कोई उन्हें देख तो सकता है लेकिन शिकार नहीं कर सकता. इस शोध को बिहैविरल इकोलॉजी एंड सोशियोबायोलोजी में प्रकाशित भी किया गया है. शोध के दौरान इन मेंढक और इनके शिकारियों के बारे में परिकल्पना की गई और उसे नतीजों के आधार पर टेस्ट किया गया.
शोधकर्ताओं ने मोम से बने कई कलर वाले मेंढक को एक घर में रखा जिसमें शिकारी जानवर भी थे, रिसर्च में पाया गया कि लाल रंग वाले मेंढक पर शिकारी जानवर ज्यादा हमला कर रहे थे हालांकि हरे रंग वाले मेंढकों पर हमले की रफ्तार कम थी. इन सबके बीच जिन लाल मेंढकों पक सफेद रंग के डॉट्स बने हुए थे उन पर हमलों की संख्या आधी हो गई थी.