बलिया के डॉ. अरविंद को मिला प्रथम संगीत शिरोमणि पुरस्कार, कहा- पिता का था सपना

सनंदन उपाध्याय/बलिया: कहाजाता है संघर्ष ही जीवन है. जिंदगी का दूसरा नाम ही संघर्ष है. हर सफलता के पीछे संघर्ष का बड़ा योगदान होता है. अगर एक सफल जीवन के पीछे कठोर संघर्ष का रहस्य छिपा हो तो वह सफलता कभी खत्म नहीं होती. लंबे समय तक अपना प्रभाव बनाई रहती है. बलिया जिले के डॉ. अरविंद उपाध्याय नेसंगीत शिरोमणि पुरस्कार पाकर न केवल अपने जनपद का नाम रोशन किया बल्कि अपने पिता के सपनों को साकार भी कर दिया.

संगीत अध्यापक डॉ. अरविंद उपाध्याय ने कहा कि मेरी पढ़ाई बड़ी दयनीय स्थिति में हुई. मेरा परिवार मुझे पढ़ाने में असक्षम था. किसी प्रकार से मेरे बड़े भाइयों ने प्राइवेट नौकरी करके मुझे पढ़ाया. मेरे पिताजी का सपना था कि मैं संगीत अध्यापक बनकर संगीत को एक अलग पहचान दे सकूं. पिताजी का आशीर्वाद है कि आज मैं कई बड़े-बड़े पुरस्कार से पुरस्कृत हों चुका हूं.

संघर्षों से भरी इमोशनल कहानी
डॉ.अरविंद उपाध्याय बताते हैं कि मेरा परिवार बड़ा ही साधारण था. चुकी बलिया में उस समय संगीत के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी और बाहर भेजने में मेरा परिवार सक्षम नहीं था. पिताजी ने ही मुझे हारमोनियम पर हाथ रखना सिखाया था. पिताजी का यह सपना था कि मैं संगीत में इतना ऊपर जाऊं की संगीत को एक अलग पहचान दे सकूं. मेरे चार भाई हैं उसमें से मैं सबसे छोटा हूं. उस समय मेरा एक भाई नीरज उपाध्याय मेरे गांव से दूर रेवती क्षेत्र में मोंटेसरी स्कूल में प्राइवेट पर पढ़ाता था तो वही एक भाई बाहर प्राइवेट में नौकरी करता था. इन दोनों भाइयों ने मुझे पढ़ाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी और मैं भी मन से मेहनत किया. पिताजी के सपनों को साकार करते हुए सन 1998 में टीडी कॉलेज में ललित कला मंत्री बना और उसी कॉलेज में आज मैं संगीत विभाग में अध्यापक के पद पर कार्यरत हूं.

मिल चुके हैं कई बड़े-बड़े पुरस्कार
अरविंद उपाध्याय नेबताया कि अभी तक मुझे शिक्षा शिरोमणि, सुखपुरा गौरव और भारत गौरव (बड़ा पुरस्कार) जैसे तमाम पुरस्कार समय-समय पर मिलते रहे हैं. जो कहीं न कहीं मेरे हौसले को और मजबूती प्रदान करते रहें. विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ के महाधिवेशन में कुलाधिपति डॉ. राघवेंद्र नारायण आर्य ने अरविंद उपाध्याय को संगीत शिरोमणि पुरस्कार देकर सम्मानित किया है. यह महाधिवेशन 7 नवंबर 2023 को हुआ. जिसमें कई प्रांतों से कवि और साहित्यकार जैसे तमाम क्षेत्र के लोगों ने प्रतिभाग किया था. इसमें कुलपति के रूप में डॉ. संभा, राजाराम, वाविस्कर तथा कुलसचिव डॉ. दीपंकर वियोगी मौजूद थे. जब डॉ. अरविंदउपाध्याय 9 नवंबर 2023 को अपने गृह जनपद आए तो लोगों ने इनका भव्य स्वागत किया. डॉ. अरविंद ने कहा कि यही सब घड़ी हम जैसे कलाकारों के हौसले को बुलंद करने का काम करती है. किसी भी कार्य को करने का दृढ़ निश्चय मन में जरूर होना चाहिए. सफलता तो कदम चूमती है.

पूरा परिवार ही है संगीतमय
डॉ. उपाध्याय बताते हैं कि मेरा पूरा परिवार ही संगीत से जुड़ा हुआ है. मेरे भैया-भाभी और चाचा-चाची सभी लोग संगीत के क्षेत्र में अपना लगाव रखते हैं. चाहे वह सरकारी नौकरी कर रहे हो या प्राइवेट नौकरी या घर पर हो कहीं न कहीं सभी लोग संगीत से जुड़े हैं. हमारे घर पर कोई कार्यक्रम होता है तो बाहर से कोई कलाकार नहीं आता. हम अपने घर में ही मिलजुल कर संगीत का अच्छा माहौल बनाकर घर पर आए मेहमानों का भी मनोरंजन कर लेते हैं.

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