बद्रीनाथ के मास्टर प्लान पर शंकराचार्य के बयान से हड़कंप! सरकार को दे डाली ये नसीहत

कमल पिमोली/ श्रीनगर गढ़वाल. समुद्र की सतह से 3,133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित बद्रीनाथ धाम (Badrinath Dham) को मास्टर प्लान के तहत भव्य स्वरूप दिये जाने की कवायद तेज हो रही हैं. बद्रीनाथ मास्टर प्लान के तहत यहां अलकनंदा रिवर फ्रंट, प्लाजा का निर्माण के साथ क्लॉक रूम, झीलों का सौंदर्यीकरण और पार्किंग समेत कई निर्माण कार्य शामिल हैं. जिससे कि बद्रीनाथ धाम को एक ‘स्मार्ट स्पिरिचुअल हिल टाउन’ के रूप में विकसित किया जा सके. दूसरी ओर वैज्ञानिक बद्रीनाथ क्षेत्र की भौगोलिक संरचना और जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ रही मौसमी घटनाओं से चिंतित हैं.

इस बीच ज्योर्तिमठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बद्रीनाथ मास्टर प्लान को लेकर बड़ी बात कही है. अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि वह मूल रूप से यह मानते हैं कि धार्मिक कार्यों में सरकार को नहीं आना चाहिए. धर्म के स्थान पर कोई कार्य होता है, तो उसे धर्माधिकारियों के नेतृत्व में किया जाना चाहिए. धर्माधिकारियों की अनदेखी कर जो कार्य बद्रीनाथ धाम में हो रहा है, उसका वह सैद्धांतिक रूप से विरोध करते हैं.

इस कुंड पर मंडरा रहा खतरा
श्रीनगर गढ़वाल पहुंचे शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का कहना है कि अब जब मास्टर प्लान का काम वहां चल रहा है, तो इसके कई दुष्प्रभाव भी देखने को मिल रहे हैं. बद्रीनाथ धाम में जल की कई पवित्र धाराएं बंद हो चुकी हैं. वह कहते हैं कि भव्यता के साथ दिव्यता को बनाए रखना बड़ी चुनौती है. यहां मंदिर परिसर के लगभग 75 मीटर के दायरे में तत्व कुंड में आने वाला गर्म पानी, पंच धाराओं में आने वाला पानी का रिसाव जमीन के अंदर से होता है, उस पर भी संकट मंडरा रहा है.

बद्रीनाथ धाम की दिव्यता किया जा रहा खत्म
अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि भव्यता तो देश-विदेशों में कई जगहों पर है, लेकिन बद्रीनाथ धाम में दिव्यता है, जिसे अब मास्टर प्लान के तहत खत्म किया जा रहा है. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती कहते हैं कि भव्यता को बनाना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन दिव्यता बनाएं रखना चुनौतीपूर्ण है. बद्रीनाथ धाम एक दिव्य धाम है, जिसे बड़ी तेजी के साथ खंडित किया जा रहा है. लोग यहां भव्यता देखने नहीं बल्कि दिव्यता देखने के लिए आते हैं.

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