बद्रीनाथ के कपाट बंद होने की प्रक्रिया सबसे अनूठी, स्त्री वेश में आते हैं पुजारी

सोनिया मिश्रा/ चमोली. उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित बद्रीनाथ धाम (Badrinath Dham) से कई परंपराएं और चौंकाने वाली मान्यताएं जुड़ी हैं. ऐसी ही एक परंपरा है मुख्य पुजारी का साल में दो बार चूड़ी, बिंदी पहन कर स्त्री वेश धारण करना. इतना ही नहीं, साज सज्जा के बाद ही पुजारी मंदिर में प्रवेश करते हैं. बद्रीनाथ मंदिर में भगवान विष्णु अपने 24 स्वरूपों में से एक ‘नर-नारायण’ रूप में विराजमान हैं. मंदिर में भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी, भगवान गणेश, कुबेर और उद्धव के विग्रह भी विराजित हैं. धाम के कपाट अप्रैल के महीने खोले जाते हैं. वहीं नवंबर में शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाते हैं. कपाट खुलते और बंद होते समय दक्षिण भारत से आए मुख्य पुजारी (रावल) को स्त्री वेश धारण करना पड़ता है.

भगवान बद्री विशाल के कपाट बंद होने की प्रक्रिया बेहद अनूठी है. कपाट बंद होने की प्रक्रिया लगभग पांच दिन तक चलती है. इस दौरान भगवान गणेश, आदिकेदार, खड्ग पुस्तक और महालक्ष्मी की पूजा होती है. कपाट बंद होने की शुरुआत गणेश पूजन से होती है. भगवान गणेश की मूर्ति को बद्रीनाथ धाम के गर्भ गृह में विराजित कर गणेश मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं. इसके बाद आदि केदार के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और खड्ग पुस्तकों का पूजन कर उन्हें भी मंदिर में रख दिया जाता है. पांचवें दिन मंदिर के मुख्य पुजारी स्त्री वेश धारण करते हैं. इसके पीछे बेहद रोचक वजह है, क्योंकि वह माता लक्ष्मी के विग्रह को उठाकर मंदिर के अंदर भगवान विष्णु की पंचायत में विराजित करते हैं.

इस वजह से स्त्री वेश धारण करते हैं पुजारी

पूर्व धर्माधिकारी भुवन उनियाल बताते हैं कि उद्धव जी भगवान कृष्ण के बाल सखा होने के साथ-साथ उनसे उम्र में बड़े भी हैं, जिस रिश्ते से वह माता लक्ष्मी के जेठ हुए. जेठ के सामने बहू नहीं आती है, इसलिए मंदिर से उद्धव जी के बाहर आने के बाद ही माता लक्ष्मी मंदिर में विराजित होती हैं. माता लक्ष्मी की विग्रह डोली को पर पुरुष (पराया पुरुष) न छुए, इसलिए मंदिर के पुजारी माता लक्ष्मी की सखी अर्थात स्त्री रूप धारण कर माता के विग्रह को उठाते हैं.यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है.

बद्रीनाथ के कपाट 18 नवंबर को होंगे बंद

बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि बद्रीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए 18 नवंबर को दोपहर 3.33 मिनट पर बंद हो जाएंगे. मुख्य कार्याधिकारी योगेन्द्र सिंह ने बताया कि इस बार बद्री विशाल आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 18 लाख पार कर चुकी है.

(NOTE: इस खबर में दी गई सभी जानकारियां और तथ्य मान्यताओं के आधार पर हैं. LOCAL 18 किसी भी तथ्य की पुष्टि नहीं करता है.)

Tags: Badrinath, Local18, Uttarakhand news

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