सुशील सिंह/मऊ. बात जब नगदी फसलों की होती है, तो पूर्वांचल के लोग गन्ने की खेती की तरफ रुख करते हैं. हालांकि मऊ जिले के कोपागंज ब्लॉक के राजपुरा गांव के एक किसान ने पारंपरिक खेती की परंपरा ही बदल दी है. धान, गेहूं और अन्य पारंपरिक फसलों की जगह रजपुरा के किसान नरेंद्र राय ने अमरूद की बागवानी शुरू की है. इसके लिए उन्होंने 1 बीघे जमीन में अमरूद के पौधे लगवाए हैं. इससे उनको लाखों का मुनाफा हो रहा है.
किसान नरेंद्र राय ने बताया कि जब उन्हें धान और गेहूं की खेती में मनचाही सफलता नहीं मिली, तो अमरूद की बागवानी शुरू की. इसके लिए उन्होंने लखनऊ से ताइवानी पिंक वैरायटी के अमरूद के पौधे मंगवा कर लगवाए. उन्होंने बताया कि एक पेड़ की कीमत 100 रुपये है. जबकि अमरूद की खेती में खेत को संवारने का झंझट नहीं रहता है. खेत में एक बार अमरूद का पेड़ लगाने पर 15-20 साल तक फल बेचकर लाभ कमाया जा सकता है.
इतने दिनों में तैयार होती है फसल
किसान नरेंद्र राय ने बताया कि अमरूद की खेती में शुरू के दिनों में केवल सिंचाई की जरूरत होती है. इसके अलावा इस खेती में कोई मेहनत नहीं होती है. करीब 6 महीने में ही यह पेड़ फल देने लगता है. इसके एक फल का वजन 300 से 400 ग्राम तक का होता है. अमरूद की इस बागवानी से हर साल 3 से 4 लाख रुपये की आमदनी हो रही है. साथ ही बताया कि उनकी इस सफलता को देखते हुए आसपास के किसान भी इस खेती की सलाह लेने के लिए पहुंच रहे हैं.
पिंक ताइवान अमरूद की खासियत
किसान नरेंद्र राय के मुताबिक, ये ताइवान पिंक वैरायटी का अमरूद है, जिसमें काफी मिठास होती है. इसके पौधे 6 महीने बाद ही फसल देना शुरू कर देते हैं और अमरूद अंगूर के गुच्छे की तरह खूब फलता है. इस अमरूद की खासियत ये है कि ये 12 महीने फल देता है. इसमें लागत कम और मुनाफा बंपर है.
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FIRST PUBLISHED : November 20, 2023, 16:00 IST