बढ़ते बुजुर्ग, घटता प्यार : देश में वरिष्ठ नागरिकों की आबादी 2050 तक हो जाएगी दोगुनी

जीवन भर की कमाई बेटे की दी, उसने वृद्धाश्रम पहुंचा दिया

डॉ इकबाल लकड़ावाला ने कई साल होमियोपैथी की प्रैक्टिस की. उन्होंने जो कमाया, बनाया, सब अपने बच्चे के नाम कर दिया और बेटे ने उन्हें वृद्धाश्रम पहुंचा दिया. डॉ इकबाल लकड़ावाला ने बताया, ‘’15 लाख की मेरी प्रॉपर्टी थी, बेटे के नाम की. उसने कहा पूरी जिंदगी आपका ख़्याल रखूंगा. मैंने प्रॉपर्टी उसके नाम कर दी. उसने पांच लाख में मेरी प्रॉपर्टी बेच दी और मुझे किराए के घर में छोड़ दिया. पुणे में सर्विस करता है. मुझसे कभी मिलने नहीं आता था, फिर लाकर उसने मुझे यहां छोड़ दिया.”

प्रॉपर्टी बेचकर दामाद को पैसे दिए, फिर भी दूरी

 

लवियाना फर्नांडिस ने कुछ इसी तरह अपने दामाद पर भरोसा करके अपनी प्रॉपर्टी बेचकर उन्हें पैसे दिए, लेकिन इन्हें भी एक वृद्धाश्रम का सहारा लेना पड़ा. लवियाना फ़र्नांडिस ने बताया कि, ‘’मेरा खुद का घर था, लेकिन बेटी ने शादी जब की तो मेरे दामाद को पैसे चाहिए थे. मैंने घर बेचकर उसको पैसा दिया. उसके साथ थोड़े दिन रही लेकिन मुझे वह पसंद नहीं करता था. बहुत दिक्कत हुई तो मुझे वहां से निकलना पड़ा. किसी तरह यहां का पता मिला और वृद्धाश्रम आ गई.”

 

आर्थिक राजधानी मुंबई में छोटे-छोटे कमरों की तरह ही लोगों के दिल भी सिकुड़ रहे हैं. बुजुर्गों के लिए जगह नहीं और इनकी बढ़ती तादाद चिंता भी बढ़ा रही है. 

2050 में हर पांच में से एक व्यक्ति बुजुर्ग होगा

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) की एक रिपोर्ट के अनुसार, जिस समय भारत 2050 में आजादी के 100 साल का जश्न मनाकर आगे बढ़ रहा होगा, उस समय देश में बुजुर्गों, जिनकी उम्र 60 वर्ष से अधिक होगी, की संख्या कुल जनसंख्या का 20.8 फीसदी होने की संभावना है. इससे हर पांच में से एक व्यक्ति बुजुर्ग हो जाएगा. यानी 2022 में 10.8 प्रतिशत के हिसाब से दोगुनी. 

महाराष्ट्र में बुजुर्गों की आबादी 11.7 प्रतिशत

करीब साढ़े 12 करोड़ की अनुमानित आबादी वाले महाराष्ट्र में बुजुर्गों की आबादी 11.7% है, जो 10% के राष्ट्रीय औसत से अधिक है. कंज्यूमर नॉलेज फर्म ऑर्मेक्स कम्पस के रिटायरमेंट के बाद के जीवन की उम्मीदों पर  वरिष्ठ नागरिकों पर हुए एक अध्ययन में सामने आया कि मुंबई महानगर क्षेत्र में 2031 तक 24 लाख वरिष्ठ नागरिक अपने दम पर रहेंगे. 

नेश वेलफ़ेयर फाउंडेशन के जोहेर दीवान ने कहा कि, ‘’बुजुर्गों की संख्या बहुत बढ़ रही है. देखिए यह कोई डंपिंग ग्राउंड नहीं है कि बुजुर्गों को लाकर रख दिया, इसका कोई समाधान निकालना होगा. आम मुंबईकरों को जागना होगा, ऐसे ज़्यादती रोकनी होगी. हमारे बुजुर्गों के लिए सुविधाएं बढ़ानी होंगी.”

शिकायतों में 50-60 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज

मुंबई में बुज़ुर्गों के लिए काम कर रहीं संस्थाओं के हेल्पलाइन पर अपनी समस्याओं को लेकर शिकायतों में कोविड के समय से लगभग 50-60 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है. इसके बावजूद मुंबई जैसे शहर में चुनिंदा निजी वृद्धाश्रम तो हैं लेकिन सरकारी ओल्ड एज होम की मांग कायम है.

सिल्वर इनिंग संस्था के विजय औंधे ने कहा, ‘’एक ड्राफ्ट पालिसी बनी थी लेकिन ठीक से इंप्लीमेंट नहीं हो पाई है, रिव्यू भी नहीं हुआ है. यह बात भी थी कि अगर कोई नया कंस्ट्रक्शन हो, बिल्डिंग बने तो तब ही अप्रूवल दो जब एक जगह या कुछ फ्लैट बुजुर्गों के लिए रिजर्व्ड हों. हमारे लिए ट्रांसपोर्ट, रैंप, गार्डन, अलग कम्पार्टमेंट जैसी अलग सुविधाओं की मांग भी है. बीएमसी अब एडमिनिस्ट्रेशन चला रहा है, चुनाव भी नहीं हुआ, कहें तो किससे, कोई चुनी हुई पार्टी वहां नहीं है. इंतजार में हैं बस.”

 

बड़े शहर में वरिष्ठों के साथ बेरुखी के बढ़े मामले और तेजी से बढ़ती इनकी संख्या सरकारी इंतजामों की दरकार बयां तो करती है, पर उस सोच में बदलाव की सख्त जरूरत भी है, जिसमें हमारे बुज़ुर्ग, बोझ की तरह समझे जा रहे हैं.

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *