World Arthritis Day: उम्र बढ़ने के साथ अधिकांश लोगों को जोड़ों में दर्द या सूजन की समस्या से जूझना पड़ता है. हड्डियों या जोड़ों में होने वाले इस दर्द को अर्थराइटिस कहा जाता है. अर्थराइटिस एक ऐसी बीमारी है, जिसके लक्षण धीरे-धीरे दिखाई देते हैं और शुरुआत में ही इसके प्रति यदि सतर्क हो जाएं तो मरीज इस समस्या से खुद का बचाव कर सकता है. इंदौर स्थित कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल के डॉ. मनीष लधानिया, कन्सल्टेन्ट, ऑर्थोपेडिक एंड जॉइन्ट रिप्लेसमेंट सर्जन, इस बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं.
अर्थराइटिस यानी गठिया के लक्षण
अर्थराइटिस को आम भाषा में गठिया के नाम से भी जाना जाता है. अर्थराइटिस होने पर मरीजों को शरीर में ऐसे स्थान पर बहुत ज्यादा दर्द होता है, जहां दो हड्डियां मिलती है. इसमें घुटने, कोहनी और उंगलियों में सूजन के कारण काफी तेज दर्द उठता है. इसके अलावा अर्थराइटिस के कारण मरीजों की आंखें, हृदय व त्वचा भी प्रभावित हो सकती हैं. शरीर का इम्यून सिस्टम भी प्रभावित होता है. अर्थराइटिस की बीमारी भी दो तरह की होती है. पहला ऑस्टियो अर्थराइटिस और दूसरा रुमेटाइड अर्थराइटिस.
इस कारण होता है अर्थराइटिस
अर्थराइटिस की समस्या शरीर के बढ़ते वजन के कारण भी हो सकती है. मोटापे के कारण जोड़ों में दर्द और ऐंठन की समस्या होती है और इस कारण जोड़ों में मौजूद कार्टिलेज प्रभावित होता है. इसके अलावा कुछ लोगों में यह समस्या अनुवांशिक कारणों से भी होती है. वहीं आजकल अनियमित दिनचर्या और खानपान में लापरवाही के कारण भी कुछ लोगों में अर्थराइटिस की समस्या देखी जाने लगी है. आमतौर पर अर्थराइटिस की बीमारी 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में देखी जाती है. ऑस्टियो अर्थराइटिस की समस्या मुख्य रूप से किसी चोट या एक्सीडेंट के कारण होती है.
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अर्थराइटिस के अलग-अलग प्रकार
ऑस्टियो अर्थराइटिस में घुटनों में दर्द और स्टिफनेस महसूस होने लगती है. रूमेटाइड गठिया, ऑटोइम्यून बीमारी है, जिससे जोड़ों में दर्द, सूजन और गर्माहट होती है. वहीं गाउट की समस्या शरीर में यूरिक एसिड बढ़ने के कारण होती है. इसमें भी जोड़ों में दर्द और सूजन होती है. जुवेनाइल इडियोपैथिक 16 साल के कम उम्र के बच्चों में होता है. इससे बच्चों की ग्रोथ प्रभावित हो सकती है. इसके अलावा एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस एक क्रॉनिक अर्थराइटिस है, जो रीढ़ की हड्डी में सूजन के कारण होता है.
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अर्थराइटिस का इलाज
अर्थराइटिस के शुरुआती लक्षण दिखने पर तत्काल डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, वरना यह समस्या तेजी से बढ सकती है. डॉक्टर की सलाह पर ही दवाओं का सेवन करना चाहिए. शुरुआत में ही यदि फिज़ियोथेरेपी या अन्य फिजिकल एक्टीविटी पर ध्यान दिया जाए तो अर्थराइटिस की समस्या को कंट्रोल किया जा सकता है. इसके अलावा शरीर को हाइड्रेटेड रखें. दिन में 3 से 4 लीटर पानी जरूर पीना चाहिए. डाइट में ऐसी चीजों को शामिल नहीं करना चाहिए, जिससे मोटापा बढ़ता हो.
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FIRST PUBLISHED : October 12, 2023, 14:01 IST