बच्चों को नहीं दे सके अच्छी शिक्षा तो छलका वृद्ध का दर्द, अब दे रहे यह संदेश

दीपक कुमार/बांका : शिक्षा हम सभी के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है. इसके बिना आपकी मंजिल अधूरी है. शिक्षा को लेकर कई संस्था और लोग अपने तरीके से जागरूक कर रहे हैं. ऐसे ही बांका के एक 65 वर्षीय बुजुर्ग विश्वनाथ महतो हैं, जो अपनी कविता के माध्यम से लोगों को जागरूक कर रहे हैं. इस कविता में उन सारी व्यवस्थाओं और भ्रष्टाचार को एक साथ शब्दों में सजाने का काम किया है. अमरपुर प्रखंड अंतर्गत कटहरा गांव निवासी विश्वनाथ महतो ने अपनी पीड़ा और दर्द को कविता के माध्यम से गांव-गांव जाकर लोगों को बताते हैं.

भष्टाचार और खराब आर्थिक स्थिति के चलते बच्चे को नहीं दे पाए अच्छी शिक्षा
विश्वनाथ महतो बताते हैं कि 60 साल पूर्व पढ़ाई करने की काफी इच्छा थी, लेकिन उस समय शिक्षा का काफी अभाव था. जिस कारण मैट्रिक के बाद आगे की पढ़ाई नहीं कर पाया. आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से खेती-बाड़ी के कार्यों में जुड़ गया. इसके शादी हुई तो और बेटा भी हुआ. सोचा कि एक अच्छे स्कूल में उसको शिक्षा दें, ताकि पढ़-लिखकर बेटा एक अच्छे ओहदे पर पहुंच सके. लेकिन बिहार में व्याप्त भ्रष्टाचार और खुद की आर्थिक स्थिति के चलते यह जंग हार गया, क्योंकि हर गांव में सरकारी स्कूल से अधिक कॉन्वेंट की व्यवस्थाएं होती है. इस कॉन्वेंट स्कूल में वही बच्चे पढ़ सकते हैं, जो आर्थिक रूप से मजबूत हैं.

नकारात्मक छवि के लोग कुछ करने से आपको कर देंगे वंचित
विश्वनाथ महतो बताते हैं किहर गांव व मोहल्ला में चार-पांच ऐसे दलाल होते हैं जो अपने गांव का पूरा भार अपने सिर पर ही लेकर घूमते हैं. उन्हें लगता है कि वही गांव का सर्वोसर्वा हैं और उनके बिना गांव में कुछ भी नहीं हो सकता है. यदि आप कुछ अच्छा करना चाहते हैं तो ऐसे लोग अक्सर आपको हानि पहुंचाने का कार्य करेंगे. साथ ही बताया कि यदि आप कोई बेहतर कार्य की शुरुआत करना चाहते हैं तो ऐसे कई लोग गांव में या शहर में मिल जाएंगे जो आपको सफल नहीं होने देने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे. यही वजह है कि कमजोर तबके के रहने के चलते कुछ नहीं कर पाए. अब कविता के माध्यम से आस-पास चल रही है चीजों को लोगों तक पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं.

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