बचपन में सुनी मां की डांट…फिर भी नहीं छोड़ी प्रैक्टिस, अब ले आया मेडल

कुंदन कुमार/गया : राष्ट्रीय ट्रैक चैंपियनशिप के जूनियर बालक वर्ग के तीन किलोमीटर आइटीटी प्रसूत प्रतिस्पर्धा में बिहार के गया जिले के रहने वाले प्रह्लाद कुमार ने इतिहास रच दिया है. 12 साल बाद बिहार को इस खेल में मेडल दिलाया है. प्रह्लाद सिल्वर मेडल जीतकर जिले के साथ पूरे बिहार का नाम रोशन किया है. प्रह्लाद से पूर्व 2011 में रजनीश ने लड़कों के वर्ग में रोड साइकलिंग में बिहार के लिए स्वर्ण पदक जीता था. प्रह्लाद के इस उपलब्धि पर उनके परिवार के लोग काफी प्रसन्न है और इनके उज्जवल भविष्य को लेकर शुभकामनाएं दे रहे हैं. प्रतियोगिता का अयोजन झारखंड के जमशेदपुर में हुआ.

पिता हैं किसान, माता हैं गृहणी

प्रह्लाद गया जिले के अतरी प्रखंड क्षेत्र के सुदूरवर्ती नरावट गांव के रहने वाले हैं. एक मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं. उनके पिताजी एक किसान हैं और माता गृहणी है. बचपन से ही प्रह्लाद को साइकिलिंग में रुचि थी. घर पर रखे साइकिल से ही उसने इसे चलाना सीखा. दसवीं पास करने के बाद वह पटना चला गया और साइकिलिंग का प्रशिक्षण लिया.

विभिन्न कोच के गाइडेंस मे साइकिलिंग सीखने के बाद दिल्ली गया. इसके बाद कई चैंपियनशिप के लिए इनका चयन हुआ है. प्रह्लाद के इस उपलब्धि पर घर परिवार तो खुश हैं ही, अब इनकी चाहत है कि इनका बच्चा देश के लिए खेलते हुए एक अलग पहचान बनाए और देश का नाम रोशन करें.

मां से खूब सुनी डांट, फिर मिली सफलता

प्रह्लाद ने बताया कि जब वह छोटा था तो घर का साइकिल लेकर निकल जाता था. इसके लिए उसे कई बार माता पिता से डांट भी पड़ती थी कि पढ़ाई लिखाई छोड़कर साइकिल चला रहा है, लेकिन हमारी रुचि इसी में बढती गई. दसवीं के बाद पटना जाकर इसका प्रशिक्षण लिया. आज बिहार के लिए सिल्वर मेडल लाया हें. इन्होंने बताया कि इस उपलब्धि में इनके फुफेरे भाई का भी अहम योगदान है. उन्होंने ही इसे साइकिलिंग के लिए प्रेरित किया. वह भी साइकिलिंग करते थे लेकिन थोड़ा से चूकने के कारण उनका चयन नहीं हो पाया था.

बिहार के एकलौते खिलाड़ी जो खेले अंतरराष्ट्रीय

इसके पहले प्रह्लाद जून महीने में थाईलैंड में आयोजित एशियन ट्रैक साइकिलिंग चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व किया था. बिहार के एकलौते खिलाड़ी हैं जो इस खेल में अंतरराष्ट्रीय स्तर तक खेल चूके हैं. प्रह्लाद को बचपन से ही साइकिलिंग में रुचि थी और घर पर रखे साइकिल से ही उसने इसे चलाना सीखा. दसवीं पास करने के बाद वह पटना चला गया और साइकिलिंग का प्रशिक्षण लिया. विभिन्न कोच के गाइडेंस मे साइकिलिंग सीखने के बाद दिल्ली गया और उसके बाद पटियाला में इनका चयन इस खेल में हुआ था.

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