बचपन में झेली दुश्वारियां, फिर बचाई 100 बच्चियों की जिंदगी, अब विश्व युवा सम्मेलन में भारत का नाम करेंगी रोशनी

धीरज कुमार/किशनगंज. एक कहावत है कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती. ऐसी ही कोशिश बिहार के किशनगंज सिम्मल बाड़ी गांव की रहनेवाली रोशनी परवीन ने कर दिखाई. रोशनी की शादी मां-बाप ने 10वीं क्लास में ही कर दी थी. अपने बाल्यकाल में हुई शादी से नाखुश रोशनी ने यह ठान लिया कि अब अपने इलाके में हर उस बाल विवाह को रोकने का काम करेंगी. फिर क्या? बाल विवाह रोकथाम का ये सिलसिला चल पड़ा. रोशनी की यह शुरुआत आगे जाकर यूनिसेफ तक पहुंची. बाल विवाह रोकथाम को लेकर उनका काम लगातार जारी है. रोशनी परवीन अब तक 100 से ज्यादा बाल विवाह रोक चुकी है.

विश्व युवा सम्मेलन 2023 में भारत का करेंगी प्रतिनिधित्व
इसको लेकर शुरुआत में उसने बहुत संघर्ष की की सारी परेशानियों का सामना करना पड़ा. अपने पड़ोस में ही एक रिश्तेदार के यहां एक लड़की की बाल्य काल में शादी हो रही थी. तो पुलिस ने दबिश कर दिया तो रोशनी के अपने रिश्तेदारों ने इस बाल विवाह रोकथाम को लेकर रोशनी पर पंचायत भी बैठा दिया था. उनके माता-पिता से उनके रिश्तेदारों ने बोलना तक छोड़ दिया, लेकिन कहते हैं ना की कोशिश करने वालों को कभी हार नहीं होती.

रोशनी ने कोशिश जारी रखी और आज रोशनी का चयन संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय जिनेवा स्विट्जरलैंड में होने वाले विश्व युवा सम्मेलन 2023 के लिए हुआ है. जिसमें पूरे विश्व में पांच लोगों का चयन हुआ. भारत से रोशनी परवीन का चयन विश्व युवा सम्मेलन कार्यक्रम के लिए हुआ है. वह स्विट्जरलैंड में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए अपना भाषण देंगी.

खुद ही हुई थी बाल विवाह का शिकार
Local-18 बिहार से बात करते हुए रोशनी परवीन ने बताया कि 10वीं क्लास में 15 वर्ष के उम्र में ही उनके माता-पिता ने उनकी शादी कर दी थी. अपने बाल्यकाल की शादी से नाखुश रोशनी ने उस वक्त ही कुछ कर गुजरने की ठान ली. फिर क्या बाल विवाह रोकथाम को लेकर काम करना शुरू किया. किशनगंज चाइल्ड हेल्पलाइन से मदद लेकर इसके बाद यूनिसेफ से जुड़ी.

इस कार्य के लिए रोशनी को कई सारे पुरस्कार भी मिले. बिहार के चर्चित आईपीएस विकास वैभव ने भी उन्हें सम्मानित किया. वह आगे बताती है कि बाल विवाह रोकथाम की इस जर्नी में कई सारे मुसीबतें भी आई. अपने रिश्तेदार नातेदारों का ताना भी सुना पड़ा.

एक वक्त तो ऐसा आया कि पड़ोस के एक रिश्तेदार के यहां एक लड़की की कम उम्र में शादी हो रही थी. तो पुलिस के आने पर लोगों ने रोशनी पर ही आऱोप तक लगा दी की रोशनी ने ही शादी को रुकवाया. उस वक्त रोशनी के रिश्तेदारों ने उसके ऊपर पंचायत भी बिठाया. उनके माता-पिता से रिश्तेदारी नातेदारी तक खत्म कर लिया. लेकिन रोशनी ने इतना सब होने के बाद भी हार नहीं मानी.

बाल विवाह मुक्त हो अपना देश
रोशनी कहती है कि सरकार ने कानून तो बना दिया है लेकिन अभी भी ग्रामीण इलाके में बाल विवाह की शिकार हर रोज लड़कियां हो रही है. 15 से 17 वर्ष की लड़कियां जो 9वीं में पढ़ती है. 10वीं में पढ़ती है. गांव में उनकी शादी बाल्कयकाल में ही कर दी जाती है. वह आगे बताती है कि शहर के लोग तो काफी आगे निकल गए हैं, लेकिन ग्रामीण इलाके में आज भी बाल विवाह घरेलू हिंसा बढ़ती जा रही है. वहीं शिक्षा का भी बहुत अभाव है जिस पर काम करने की बहुत जरूरत है.

100 से ज्यादा लड़कियों का बाल विवाह रोका
रोशनी परवीन अब तक 100 से ज्यादा लड़कियों की बाल विवाह रोक चुकी है. वह किशनगंज से लेकर अररिया, कटिहार,पूर्णिया, खगड़िया, भागलपुर एवं बिहार के कई सारे इलाके में जाकर काम करती है. रोशनी का सपना है कि एक दिन हमारा देश बाल विवाह मुक्त जरूर होगा. इसके लिए सरकार और सामाजिक संगठनों को भी आगे आना चाहिए ताकि बाल विवाह को रोका जा सके.

वह आगे कहती है कि आज भी ग्रामीण इलाके में बेटे और बेटियों में लोग भेदभाव करते हैं. जितना प्यार बेटों को देते हैं उतना बेटियों को नहीं. समाज को बेटियों की भागीदारी सुनिश्चित करने की जरूरत है, तभी जाकर हमारा समाज हमारा क्षेत्र हमारा राज्य और हमारा देश बदलेगा.

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