बचपन में उठ गया पिता का साया, प्रैक्टिस के दौरान गांव के लोग मारते थे ताना, अब अमीषा का BSF में हुआ चयन

रुपांशु चौधरी/ हजारीबाग. कहते हैं यदि होसला मजबूत हो तो परिस्थिति सफलता में आड़े नहीं आ सकती है. ऐसा एक उदाहरण हजारीबाग की अमिषा राज है. बचपन में पिता को खोने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी और आज सीमा सुरक्षा बल के लिए चयनित हुई है. अमीषा की बहाली बीएसएफ में कांस्टेबल पद के लिए हुई है. इसके लिए अमीषा ने कड़ी मेहनत की है. उसी मेहनत का नतीजा है कि उसकी सफलता पर पूरा परिवार गौरवान्वित हो रहा है.

ईचाक बाजार की रहने वाली अमीषा के पिता स्व राजेंद्र प्रसाद उर्फ सुगा मिठाई-समोसा की दुकान चलाया करते थे. उनके देहांत के बाद घर पर आर्थिक स्थिति बिगड़ गई थी. माता सीता देवी के लिए घर चलाना मुश्किल हो गया. गरीबी में एक बेटे व दो बेटी का पालन हो रहा था. घर पर खाने के लाले पड़ने लगे थे.कुछ दिन बाद अमीषा के बड़े भाई सुशांत ने पिता की दुकान को फिर से चालू किया. कुछ कमाई होने लगी. उसे बहन का सपना पता था. लिहाजा उसने बहन को भरपुर मदद की. इंटर के बाद स्नातक की पढ़ाई के लिए हजारीबाग शहर में शिफ्ट कर दिया. अमीषा जब भी घर पर होती बहन को दौड़, हाई जंप, लॉन्ग जंप की प्रैक्टिसके लिए साथ मैदान ले जाता था.

जीएम कॉलेज से पढ़ाई की पूरी
अमीषा की मैट्रिक तक की पढ़ाई राजकीय मध्य विद्यालय ईचाक से हुई है. इसके बाद जीएम कॉलेज ईचाक से इंटरमीडिएट की पढ़ाई की. फिर केबी वूमेंस कॉलेज हजारीबाग में
स्नातक के लिए दाखिला ली. यहां पढ़ाई करते-करते एनसीसी ज्वॉइन कर ली. इधर शुरू से देश सेवा की भावना लिए अमीषा आर्मी में जाना चाहती थी. लिहाजा दौड़ व फिटनेट को लेकर सजग थी. मैदान में सुबह शाम दौड़ा करती थी.

“शुरुआत में लोग इग्ननोर करते थे”
अमीषा राज ने लोकल 18 को बताया कि ग्रामीण माहौल में दौड़ व प्रैक्टिस आसान नहीं था. तरह-तरह की बातें कही जाती थी. लेकिन उन बातों को इग्नोर करती थी. शुरू से जिद है कि जो ठान लिया वो करना है. जो ताने मारे करते थे और वही तारीफ कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि इस नौकरी में एनसीसी से बहुत मदद मिली है. मेरे पास एनसीसी की सी सार्टिफेकेट है. आर्मी में आगे ऑफिर बनने का सपना है. इसके लिए तैयारी जारी है. परिवार का काफी सहयोग मिलाहै. कभी भी किसी प्रकार का रोक-टोक नहीं रहा.

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FIRST PUBLISHED : August 27, 2023, 22:28 IST

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