तनुज पाण्डे/ नैनीताल: पाकिस्तान का राष्ट्रीय पशु मारखोर (Markhor) नैनीताल के पंडित गोविंद बल्लभ पंत उच्च स्थलीय प्राणी उद्यान की शोभा बढ़ा रहा है. एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत सोमवार को यहां दार्जिलिंग से एक मादा मारखोर लाई गई. करीब 10 साल पहले मारखोर का जोड़ा दार्जिलिंग से यहां लाया गया था. मादा मारखोर की मौत हो गई थी, जिसके बाद फिर यहां मादा मारखोर लाई गई है. मारखोर की संख्या बढ़ाए जाने को लेकर काफी समय से नैनीताल चिड़ियाघर और दार्जिलिंग चिड़ियाघर के बीच बातचीत चल रही थी. केंद्रीय चिड़ियाघर प्रबंधन से अनुमति मिलने के बाद मादा मारखोर को नैनीताल चिड़ियाघर लाया गया. दार्जिलिंग से लाई गई मादा मारखोर के बाद अब नैनीताल चिड़ियाघर में इनकी संख्या दो हो गई है.
नैनीताल चिड़ियाघर के बायोलॉजिस्ट अनुज ने बताया कि मारखोर मुख्य रूप से उच्च हिमालय क्षेत्र लेह लद्दाख, भारत-पाकिस्तान से लगे सीमावर्ती क्षेत्र में पाया जाता है. मारखोर भारत के मात्र दो चिड़ियाघर नैनीताल और दार्जिलिंग में पाया जाता है. हिमालय क्षेत्र में रहने के कारण मारखोर की शारीरिक और सींग की बनावट बेहद मजबूत होती है. मारखोर इतना ताकतवर होता है कि खतरनाक किंग कोबरा को अपने दांतों से चबा डालता है और किंग कोबरा के जहर का मारखोर पर कोई असर नहीं होता है.
अन्य प्राणियों के विनिमय की है योजना
कुल 11 एकड़ में फैला नैनीताल का चिड़ियाघर समुद्रतल से करीब 2100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. नैनीताल का चिड़ियाघर उत्तर भारत का एकमात्र उच्च स्थलीय प्राणी उद्यान है. चिड़ियाघर में विभिन्न प्रजातियों के कुल 231 वन्य जीवों को संरक्षित किया गया है. नैनीताल चिड़ियाघर में कई प्राणी अपनी औसत उम्र पार कर चुके हैं. कुछ प्राणियों की पूर्व मैं मौत हो जाने के कारण जोड़ों का अभाव है. इसे देखते हुए चिड़ियाघर प्रशासन अब प्राणियों के विनिमय की कवायद में जुटा हुआ है.
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FIRST PUBLISHED : March 15, 2024, 16:50 IST