आशीष कुमार/पश्चिम चम्पारण:- बिहार के पश्चिम चम्पारण जिले के कई प्रखंडों में मुख्य रूप से थारू जनजाति का बसेरा है, जिसे थरुहट के नाम से जाना जाता है. खास बात यह है कि थरुहट की महिलाएं कुछ ऐसा कर रही हैं, जो पूरे बिहार के लिए सम्मान की बात है. दरअसल यहां की महिलाओं ने कुछ ऐसे साबुनों का निर्माण शुरू किया है, जिनकी उपलब्धता बहुत कम है और ये कुछ ही राज्यों में है. इनमें सबसे खास बकरी के दूध से बनने वाला साबुन है. अब इसकी डिमांड बिहार के कई जिलों के साथ राजधानी दिल्ली तक होने लगी है.
30 महिलाओं का समूह बनाता है साबुन
जिले के बगहा-2 प्रखंड के भटवा टोला में रहने वाली आदिवासी महिलाएं आजकल चर्चा में हैं. वे घर पर बकरी के दूध से ऑर्गेनिक साबुन का निर्माण कर रही हैं. इसका प्रशिक्षण उन्होंने नमामि गंगे नामक संस्था से लिया है. प्रशिक्षण पूरा करने के बाद वे खुद से साबुन बना रही हैं. भटवा टोला की सरिता देवी बताती हैं कि साबुन बनाने के लिए 30 स्थानीय महिलाओं का एक समूह है. इन सभी महिलाओं में कार्य को बांट दिया गया है. कुछ महिलाएं बकरी पालन करती हैं, तो कुछ साबुन बनाने का बेस तैयार करती हैं.
बकरी के दूध से बनाती हैं साबुन
सरिता बताती हैं कि बकरी के दूध से साबुन बनाने के लिए सबसे पहले साबुन का बेस तैयार किया जाता है. शुरू में वह दूसरे राज्य से बेस की खरीदारी करती थीं. लेकिन अब ये बेस वो खुद से तैयार कर लेती हैं. खास बात यह है कि महिलाओं द्वारा बेस का निर्माण ग्लिसरीन और लाई से किया जाता है. इस कारण से यह साबुन केमिकल मुक्त होता है. बेस का निर्माण करने के बाद उसे बकरी के दूध में मिलाकर साबुन तैयार किया जाता है. एक किलो बेस में करीब 2 चम्मच बकरी का दूध मिलाया जाता है. दूध में बेस को गलाने के बाद उसे मोल्ड में ढाला जाता है. करीब 3 घंटे की मेहनत के बाद साबुन बनकर तैयार हो जाता है. अच्छी बात यह है कि फ्रेगनेंस के लिए महिलाएं प्राकृतिक फूलों का इस्तेमाल करती हैं.
नोट:- PHOTOS: भारत के इस शहर की आज दुनिया दीवानी, 150 साल पहले ऐसा था हाल
राजधानी दिल्ली तक डिमांड
इन महिलाओं का नेतृत्व कर रहीं सुमन देवी बताती हैं कि उन्होंने खुद से बनाए साबुन का लैब टेस्ट भी कराया है और जांच में साबुन बिल्कुल खरा उतरा है. साबुन को कमर्शियल रूप देने के लिए महिलाओं ने प्रशिक्षण केंद्र से सहायता ली और खुद से ही बिलकुल प्रोफेशनल तरीके से लेबलिंग और पैकेजिंग का काम पूरा किया. बकरी के दूध से बनाए गए साबुन की ब्रांडिंग जलज शार्दुल नाम से हो रही है. जिसके 100 ग्राम वाले पैकेट की कीमत महज 60 रुपए है. सुमन बताती हैं कि एसएसबी कैंप से लेकर बड़े-बड़े अधिकारी तक इस साबुन को पसंद कर रहे हैं. दिल्ली में आयोजित मेले में उन्होंने इसे प्रदर्शित किया था, जहां इसकी बिक्री भी बड़े पैमाने पर हुई थी.
.
Tags: Bihar News, Champaran news, Local18
FIRST PUBLISHED : February 7, 2024, 16:07 IST