विक्रम कुमार झा/ पूर्णिया. लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा बहुत खास होता है. ऐसे में लोग चार दिवसीय छठ पर्व को मनाने के लिए दूर से अपने घर आते हैं. नहाय खाय से इस पर्व की शुरुआत की जाती है और प्रातः कालीन अर्ध्य पर छठ पूजा का समापन किया जाता है. ऐसे में छठ व्रती को भगवान सूर्य देव की आराधना करने के लिए कई कठिन साधनाओं से होकर गुजरना पड़ता है. इस पर्व में सूर्य देव की विशेष पूजा की जाती है. वहीं, छठ पर्व पर लोगों से किसी भी तरह की अगर कोई गलती हो जाती है, उसकी भरपाई जरूर करनी होती है.
पूर्णिया के सूर्य देव मंदिर के पुजारी योगेंद्र दास और दयनाथ मिश्र ने बताया कि छठ पर्व की शुरुआत नहाय खाय से हो जाती है. इसके बाद छठ व्रती के द्वारा खरना का व्रत किया जाता है. छठ पर्व में खरना का विशेष महत्व है. ऐसे में छठ व्रती निर्जला व्रत रहकर खरना करती हैं. खरना के लिए तरह-तरह के पकवान बनाकर भगवान सूर्य देव और छठी मैया को प्रसाद चढ़ाते हैं और खरना करते हैं.
क्यों बंद कमरे में होता है खरना?
पुजारी योगेंद्र दास और दयनाथ मिश्र ने बताया कि छठ व्रती बंद कमरे में खरना करती हैं. मान्यता है कि खरना के दौरान छठ व्रती को किसी भी तरह की कोई आवाज ना सुनाई दे या किसी भी तरह की कोई बाधा उत्पन्न ना हो. इस वजह से छठ व्रती शांति और सच्ची श्रद्धा से बंद कमरे में खरना करती हैं.
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FIRST PUBLISHED : November 17, 2023, 11:21 IST