नई दिल्ली :
लोकसभा चुनाव से पूर्व कांग्रेस तमाम राज्यों में कई गुटों के साथ सीट-शेयरिंग फॉर्मूले पर काम कर रही है. उत्तर प्रदेश, दिल्ली, गुजरात और हरियाणा में इसमें सफलता भी मिली है, लेकिन
पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के बीच सीट-बंटवारे की बातचीत में कोई प्रगति नहीं हुई. एक मीडिया चैलन द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, दोनों पार्टियों के बीच सीट शेयरिंग में सबसे बड़ी बाधा राज्य कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी हैं.
टीएमसी सूत्रों का कहना है कि, अगर कांग्रेस पश्चिम बंगाल में सीट बंटवारे में सफलता चाहती है, तो उन्हें चौधरी द्वारा लगातार की जा रही बयानबाजी पर कड़ा फैसला लेना होगा. सूत्रों के मुताबिक, टीएमसी इस बात से नाखुश है कि चौधरी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को कैसे निशाना बना रहे हैं, जबकि भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर निशाना साधा था.
गौरतलब है कि, टीएमसी का ये ताजा रुख बनर्जी की घोषणा के करीब एक महीने बाद आया है, जब उन्होंने राज्य में आगामी लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेने का फैसला किया था. मिली जानकारी के अनुसार, पश्चिम बंगाल में, जहां टीएमसी सत्ता में है, पार्टी कुल 42 में से कांग्रेस को दो लोकसभा सीटें देने को तैयार है.
हालांकि इसी बीच फिर चौधरी का बयान सामने आया है, उन्होंने कहा है कि- टीएमसी दुविधा में हैं. पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी की ओर से आधिकारिक तौर पर हां या ना होनी चाहिए. वे आधिकारिक तौर पर यह नहीं कह रहे हैं कि गठबंधन बनाने की प्रक्रिया समाप्त हो गई है, क्योंकि वे दुविधा में हैं. पहली दुविधा यह है कि पार्टी के एक वर्ग का मानना है कि अगर वे अकेले चुनाव लड़ते हैं, बिना भारतीय गुट के, तो पश्चिम बंगाल के अल्पसंख्यक उनके खिलाफ मतदान करेंगे.
उन्होंने साथ ही कहा कि, टीएमसी का एक वर्ग चाहता है कि गठबंधन जारी रहे. दूसरा वर्ग दूसरी दुविधा में है कि अगर गठबंधन को पश्चिम बंगाल में अधिक महत्व दिया गया, तो मोदी सरकार उनके खिलाफ ईडी और सीबीआई का इस्तेमाल करेगी. इन दो दुविधाओं के कारण, टीएमसी स्पष्ट निर्णय नहीं ले पा रही है. साथ ही उन्होंने कहा कि, हो सकता है कि दिल्ली में कुछ बातचीत हो, लेकिन फिलहाल उनके पास इससे जुड़ी कोई जानकारी नहीं है.