सत्यम कुमार/भागलपुर: भागलपुर में मछली पालकों के लिए अच्छी खबर है. आपको बता दें कि बंगाल से आने वाले मछली के बीज साइज़ में काफी बड़ी संख्या में कमी आएगी. अब भागलपुर में कई जगहों पर मछली के जीरा साइज़ बीज का उत्पादन किया जा रहा है. इसमें सबसे पहले बिहपुर स्थित हैचरी में जीरा बीज साइज़ का उत्पादन किया जा रहा है. जिला मत्स्य पदाधिकारी कृष्ण कन्हैया ने बताया कि पहले यहां जीरा बंगाल से मंगाया जाता था. लेकिन, अब लोकल स्तर पर ही जीरा तैयार किया जा रहा है. इससे किसानों को लाभ होगा.
जानिए क्या होगा फायदा…
जिला मत्स्य पदाधिकारी ने बताया कि यहां के हैचरी में मछली की मोटिलिटी अधिक होती है. इसका बाद कारण है कि हैचरी संचालक अच्छे से उसकी देख-रेख नहीं करते थे और मछली के जीरे को वातावरण के अनुसार खाना देना होता है. इस बात को न समझ कर बस, किताब में लिखे हुए 48 घण्टे वाले फॉर्मूले का उपयोग करते थे. लेकिन, वातावरण सही है तो 24 घण्टे में ही खाना दिया जाता है. जब हम यहां आए तो इस पर रिसर्च की और सभी हैचरी संचालक को बताया तो अब मोटिलिटी दर कम हो गई है. अब लोगों को ये भरोसा हो रहा है कि यहां का भी जीरा सही है. लोग अब यहां से ही बच्चा ले जा रहे हैं.
इस बार गंगा में भी डाली जाएंगी मछली
इस बार गंगा में पुनः रहू और कतला मछली डाली जाएगी. पीरपैंती मुंगेर और खगड़िया में भी मछली डाली जाएंगी. उन्होंने बताया कि इस बार 12 लाख जीरा बीज डालने की तैयारी है, जो लोकल में तैयार किए गए है. बीच-बीच में गंगा में मछली को डालना जरूरी होता है. पहले मई में मछली डाली गई थी. मई में हिलसा का जीरा बीज डाले गए थे. पहले गंगा में हिलसा काफी मिलता था. लेकिन, जब से फरका डैम बना है, तब से मछली में कमी देखने को मिली है. इस बार रहू और कतला की संख्या में बढ़ोतरी होगी. वही जीरा डालने से डॉल्फिन को भी काफी फायदा होता है. उसे पर्याप्त मात्रा में भोजन मिलता है.
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FIRST PUBLISHED : October 11, 2023, 13:17 IST