बंगाल के जाने-माने मुस्लिम परिवार की लड़की का कैसे आया जॉर्ज फर्नाडिस पर दिल

हाइलाइट्स

जॉर्ज फर्नाडिस कोलकाता एयरपोर्ट पर एक युवती से मिले, दोनों को दिल्ली आना था
ये एक ऐसी लवस्टोरी थी, जो तीन महीने में ही रोमांस, प्यार से शादी तक जा पहुंची
हालांकि इसके बाद लैला और जॉर्ज के रिश्तों में जो ठंडापन आया, वो फिर बना ही रहा

आजादी के पहले बंगाल में एक जाना माना राजनीतिक परिवार हुआ, जिसे कबीर परिवार के नाम से जाना जाता है. इस परिवार के लोग विदेशों में पढ़े और देश से लेकर राज्य तक मंत्री रहे. इसी परिवार का एक शख्स बाद में सुप्रीम कोर्ट का चीफ जस्टिस भी बना. इस परिवार में हम जिसकी बात कर रहे हैं, वो हुमांयू कबीर की बेटी हैं. हुमांयू वो शख्स हैं जो आक्सफोर्ड में पढ़े. इस देश की शुरुआती शिक्षानीति तैयार करने में उनका मुख्य रोल था. वह नेहरू और फिर शास्त्री की सरकारों में केंद्रीय मंत्री रहे. उनके छोटे भाई जहांगीर कबीर बंगाल की राज्य सरकार में 20 सालों से ज्यादा समय तक मंत्री रहे. दोनों भाइयों को दमदार ट्रेड यूनियन नेता के तौर पर याद किया जाता है. दोनों भाइयों के पिता अंग्रेजों के जमाने के डिप्टी मजिस्ट्रेट थे. तो बात इसी परिवार की उस लड़की की हो रही है, जो कोलकाता हवाई अड्डे पर जार्ज फर्नाडिस को मिली. फिर एक प्रेम कहानी की कोंपलें फूट गईं.

वैसे जार्ज फर्नांडिस का निधन लंबी बीमारी के बाद 89 वर्ष की उम्र में नई दिल्ली में वर्ष 2019 में हुआ. लैला कबीर आखिरी समय में उनके साथ थीं.  वह अब भी दिल्ली में रहती हैं. उनका बेटा अमेरिका में सेटल हो चुका है. खैर चलिए उस समय में लौटते हैं जब किसी फिल्मी कहानी सी ये लव स्टोरी शुरू हुई थी.

पहला सीन
लोकेशन – कोलकाता एयरपोर्ट
कोलकाता से दिल्ली जाने वाली फ्लाइट का इंतजार करते हुए जॉर्ज फर्नाडिस को एक युवती दिखी. उन्हें वह कुछ पहचानी सी लगी. युवती रेडक्रॉस में अधिकारी है. किसी युद्ध के मैदान से रेडक्रॉस के काम के बाद अपने घर दिल्ली लौट रही है.

जॉर्ज तपाक से युवती की ओर बढ़ते हैं. हाय हैलो के बाद दोनों एक दूसरे को पहचान जाते हैं. ये उनकी दूसरी मुलाकात है. पहली मुलाकात दिल्ली में समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया के घर पर किसी कार्यक्रम में हुई थी.

जॉर्ज फर्नांडिस और लैला

दूसरा सीन
विमान टेक ऑफ करता है. जॉर्ज उस युवती के बगल में सीट लेते हैं. रास्तेभर ढेर सारी बातें. वो लैला कबीर थीं. रेडक्रॉस में असिस्‍टेंट डायरेक्टर. जवाहर लाल नेहरू के मंत्रिमंडल में शिक्षा राज्य मंत्री और जाने माने शिक्षाविद हुमायूं कबीर की बेटी. बातों का सिरा कहां से शुरू हुआ, पता नहीं.

बाद में बहुत सालों बाद लैला ने एक अंग्रेजी समाचार पत्र की रिपोर्टर से कहा, “ये पूछिए कि कौन सी बात नहीं हुई, राजनीति से लेकर साहित्य और संगीत से लेकर समाज तक. दिल्ली में जब विमान उतरा तो जॉर्ज ने लैला को घर पर ड्रॉप करने की पेशकश की. उन्होंने मना कर दिया.”

तीसरा सीन
दिल्ली में मुलाकातें. जॉर्ज को दिल्ली एयरपोर्ट पर उस दिन लिफ्ट देने का जो मौका नहीं मिल सका, वो आगे मिल गया. लैला ने तब घर तक ड्रॉप करने के लिए मना जरूर किया लेकिन आगे ऐसा नहीं कर सकीं. समय के पैर उनके लिए रुमानी और गुलाबी हो रहे थे. अगले कुछ दिन मुलाकातों और बातों के थे. एक महीना बीतते-बीतते जॉर्ज ने शादी का प्रस्ताव रखा. लैला हतप्रभ नहीं हुईं. कोलकाता एयरपोर्ट पर हुई मुलाकात के तीन महीने बाद 22 जुलाई 1971 को दोनों की शादी हो गई.

जॉर्ज जो उन दिनों के फायरब्रांड नेता
जॉर्ज फर्नांडिस तब तक भारतीय राजनीति में जाना पहचाना और चर्चित चेहरा बन चुके थे. 50 और 60 के दशक में ट्रेड यूनियन पॉलिटिक्स में उन जैसा फायरब्रांड नेता कोई नहीं था.

वर्ष 1967 में जब उन्होंने मुंबई लोकसभा सीट के चुनाव में कांग्रेसी दिग्गज एसके पाटिल को हराया, तो वह लोकप्रियता के शीर्ष पर जा पहुंचे. वह कांग्रेस की खिलाफत की राजनीति के लिए ही बने थे. हालांकि उनके पिता उन्हें पादरी बनते देखना चाहते थे. लैला से मुलाकात के समय वह सांसद थे और सोशलिस्ट पार्टी के संयुक्त सचिव.

जार्ज फर्नांडिस से मिलते तिब्‍बती धर्मगुरु दलाई लामा

13 साल साथ-साथ
लैला कबीर और जॉर्ज ने वैवाहिक जिंदगी के 13 साल साथ गुजारे. वैसे इन रास्तों में हिचकोले कम नहीं थे. इंदिरा गांधी ने जब 25 जून 1975 को आपात काल की घोषणा की तो जॉर्ज ओडिसा में पत्नी और डेढ़ साल के बेटे के साथ छुट्टियां मना रहे थे. जब ये सूचना आई तो जॉर्ज तुरंत निकल गए. लुंगी में किसी ठेठ दक्षिण भारतीय की तरह. उन्होंने कई तरह के वेश धरे. कभी साधु तो कभी सिख ड्राइवर. अगले 22 महीनों तक लैला से कोई बात नहीं हुई. पत्नी को भनक भी नहीं थी कि वह कहां औऱ कैसे हैं.

लैला अमेरिका चली गईं
लैला अपने छोटे से बेटे को लेकर अमेरिका में भाई के पास चली गईं. आपातकाल हटने के बाद जब चुनाव हो गए. जनता पार्टी की सरकार बन गई तब जॉर्ज उन्हें जाकर लेकर आए. जॉर्ज बदलने लगे थे. सत्ता के शीर्ष पर थे, ताकतवर हैसियत में. उन वर्षों में दांपत्य की जिंदगी बिखरने लगी. लैला ने एक इंटरव्यू में कहा, दरारें तो पहले से आ चुकी थीं. जॉर्ज जैसे शानदार व्यक्तिव वाले पुरुष को पसंद करने वाली महिला दोस्त भी कम नहीं थीं.

जया जेटली से नजदीकियां
जनता पार्टी सरकार में जॉर्ज फर्नाडिस जिस महकमे के मंत्री थे. उसमें अशोक जेटली उनके सचिव थे. इसी दौरान अशोक की पत्नी जया से जॉर्ज की नजदीकियां बढ़ने की खबरें आने लगीं. जया और अशोक कालेज में साथ पढ़े थे. दोनों की लव मैरिज हुई थी. जया के पिता जापान में भारत के पहले राजदूत थे. ये नजदीकियां लैला को विचलित कर रही थीं.

बाद में जॉर्ज फर्नांडिस की नजदीकियों के चर्चे जया जेटली के साथ खूब हुए

लैला ने जान देने की कोशिश की थी
जुलाई 1979 में केंद्र में तेजी से घटनाक्रम बदले. जॉर्ज फर्नाडिस ने जब मंत्रिमडल से इस्तीफा दिया तो उन्होंने मोरारजी सरकार की ताबूत में आखिरी कील गाड़ दी. माना जा रहा था कि जॉर्ज ने चरण सिंह के समर्थन में इस्तीफा दिया है. उनका अब चरण सरकार में मंत्री बनना तय था. तभी लैला के अस्पताल में भर्ती होने की खबरें आईं. अटकलें थीं कि उन्होंने आत्महत्या की कोशिश की है.

चरण सिंह अपने मंत्रिमंडल की शपथ से पहले की रात में लैला को देखने अस्पताल आए. वापस लौटे तो कुछ ज्यादा गंभीर थे. अगले दिन जब मंत्रियों ने शपथ ली तो उसमें जॉर्ज का नाम नहीं था. हर कोई हैरान. समाजवादी नेता सच्चिदानंद ने बाद में एक पत्रकार से कहा कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि लैला ने रोते हुए चरण सिंह से अपने जीवन में आए तूफान के बारे में बताया था.

लैला जिंदगी से निकल गईं
लैला 1984 में जॉर्ज की जिंदगी से निकल गईं. उस जगह को कंपेनियन के तौर पर जया ने भरा. जया ने जॉर्ज के साथ सियासी गलियारों में कदम बढ़ाए. 25 साल बाद अचानक लैला फिर जॉर्ज की जिंदगी में लौटीं. अब मकसद था बीमार पति की देखभाल. वर्ष 2009 के आसपास जॉर्ज के खराब स्वास्थ्य और पार्किसंस की खबरें आने लगी थीं. उनकी याददाश्त पर असर पड़ा था.

वर्ष 2010 में लैला बेटे सीन यानि सुशांतो फर्नांडीज के साथ कृष्णा मेनन मार्ग स्थित जॉर्ज के सरकारी निवास पर पहुंची. आनन फानन में सबकुछ बदल दिया. न केवल जया के घर आने और जॉर्ज से मिलने पर रोक लग गई बल्कि बड़ा विवाद भी हुआ.

अलग रहने पर भी जॉर्ज हर साल लैला को देते थे जन्मदिन की बधाई 
जॉर्ज ने 88 साल की उम्र में 29 जनवरी 2019 को आखिरी सांसें लीं. पिछले आठ सालों से कहीं ज्यादा समय से वो पक्षाघात के कारण बिस्तर पर थे. उनकी याददाश्त भी पूरी तरह जा चुकी थी. लैला जब उनकी जिंदगी में करीब 25 साल बाद जब वापस लौटीं तो उन्होंने यही कहा था, “वो केवल इसीलिए जॉर्ज की जिंदगी में लौटीं क्योंकि उन्हें लगा कि उन्हें उनकी जरूरत है.” वैसे जब दोनों अलग रह रहे थे. तब जॉर्ज हर साल जन्मदिन पर बधाई देने लैला के दिल्ली के पंचशील स्थित आवास पर जाते थे.

लैला ने कुछ साल पहले एक महिला पत्रकार से कहा था, ‘मैंने एक बार तलाक के कागज जॉर्ज के पास भेजे लेकिन उन्होंने इस पर साइन नहीं किए बल्कि बदले में अपनी मां के सोने के कंगन उन्हें भेज दिए.’

बेटा अमेरिका में बड़ा बैंकर 
जार्ज फर्नाडिस के इकलौते बेटे का नाम सुशांत कबीर फर्नाडिस उर्फ सॉन है. उसकी पढाई लिखाई अमेरिका में ही हुई. वो न्यूयार्क में रहता है. स़ॉन न्यूयार्क में बड़ा इनवेस्टमेंट बैंकर है.

ये लव स्टोरी जितनी रोमानी थी और इसकी शुरुआत जितनी गुलाबी, बाद में ये उदास मोड़ों से गुजरते हुए दम तोड़ती चली गई. समय भी क्या होता है और किस तरह रंग बदलता चला जाता है. और इस तरह एक प्रेम कहानी किसी दुखभरे गीत में बदल जाती है.

Tags: George Fernandes, Love, Love affair, Love Story, Valentine Day

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