विकाश पाण्डेय/सतना:. इस साल विज्ञान दिवस (28 फरवरी) महान वैज्ञानिक सीवी रमन की महान खोज को समर्पित रही. इस वर्ष विज्ञान दिवस का मुख्य कथानक “विकसित भारत के लिए स्वदेशी प्रौद्योगिकियां” था. इसी स्वदेशी तकनीकी के सहारे शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय वेंकट क्रमांक एक में विज्ञान दिवस के दिन छात्र-छात्राओं के लिए कई प्रतियोगिताएं कराई गईं. इनमें विज्ञान रंगोली, वाद-विवाद प्रतियोगिता, प्रश्न मंच, विज्ञान परिचर्चा एवं गतिविधियां, विज्ञान मॉडल जैसी कई प्रतियोगिताएं शामिल थीं.
“विकसित भारत के लिए स्वदेशी प्रौद्योगिकियां” विषय के आधार पर उत्कृष्ट विद्यालय के रसायन शिक्षक डॉक्टर रामानुज पाठक ने छात्र-छात्राओं को सिखाया कि अपने फेफड़े की कार्यक्षमता कैसी जांची जाए. इसके लिए उन्होंने एक ट्रिक आजमाई. दरअसल मेडिकल साइंस में फेफड़ों की कार्यक्षमता जांचने के कई टेस्ट होते हैं. देशी तकनीक से डॉ. पाठक ने गुब्बारों की सहायता से छात्रों और सहयोगी शिक्षकों को फेफड़ों के जांच की तकनीक बताई. इसमें एक मिनट के भीतर एक सांस में छात्रों को गुब्बारा फुलाने का अभ्यास कराया गया. जिसने सबसे बड़ा (सर्वाधिक आयतन वाला) गुब्बारा फुलाया यानी जिसके गुब्बारे का व्यास सर्वाधिक था, उसका ग्राफिक्स विश्लेषण करके बताया गया कि फेफड़े तंदुरुस्त हैं. छात्रों को उसके नियम और ग्राफिक चार्ट के द्वारा विवरण निकालने के बारे में भी जानकारी दी गई.
छात्रों ने बनाए रोचक विज्ञान मॉडल
विज्ञान दिवस के अवसर पर छात्र-छात्राओं ने स्वास्थ्य, पर्यावरण, ऊर्जा, परिवहन, स्पेस, ग्लोबल वार्मिंग, जैसे कई विषयों पर मॉडल तैयार किए. छात्रों ने रंगोली के जरिए देश की तकनीकी उपलब्धियों का प्रदर्शन किया. इनमें देश की महान खोज, चंद्रयान, गगन यान, क्लाइमेट चेंज, महान वैज्ञानिक सीवी रमन का चित्रण किया. कार्यक्रम के अंत में सभी विजेता प्रतिभागियों को उपहार और प्रमाणपत्र दिया गया. साथ ही विज्ञान के क्षेत्र में नवाचार करने पर व्याख्यान भी हुआ.
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FIRST PUBLISHED : February 29, 2024, 13:29 IST