फेफड़े और किडनी को खराब कर सकता है पराली का धुंआ! एक्सपर्ट ने किए डराने वाले खुलासे

हिमांशु नारंग/करनाल.एक तरफ जहां सरकार पराली को न जलाने लिए कई प्रयास कर रही है तो वहीं कई जगहों पर अब भी किसान पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे. कई किसान आज भी पराली के निपटान के लिए उसे आग के हवाले कर रहे हैं. ये जानते हुए भी कि पराली के जलने से होने वाले नुक्सान की भरपाई करना नामुमकिन है. एक्सपर्ट की माने तो पराली दहन के कारण प्रदूषण तो बढ़ ही रहा है साथ ही लोगों को कई तरह की जानलेवा बीमारियों का सामना भी करना पड़ रहा है.

पराली से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के बारे में बात करते हुए डॉ मनीष गुप्ता ने  कहा  कि धान की पराली के जलने से प्रदूषण तो होता ही है साथ ही ऐसे वातावरण में ऐसे जहरीले तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है जिसके कारण कई रहस्यमयी बिमारियां होने के आसार बढ़ जाते है. एक्सपर्ट का कहना है कि पराली का धुआं स्वास्थ्य के लिए जानलेवा होता है.अधिक मात्रा में पराली जलाने के कारण वातावरण प्रदूषित होता है जिसके कारण वातारण में मौजूद सांस लेने योग्य हवा की क्वालिटी और भी अधिक गिर जाती है. जिसका सीधा असर हमारे फेफड़ों पर पड़ता है.और सांस लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

किडनी हो दिल के रोग का बढ़ता खतरा
डॉ मुनीष ने अधिक जानकारी देते हुए  कहा कि फेफड़े अधिक प्रभावित होने के कारण पीड़ित व्यक्ति का बीपी लो हो जाता है जिसका समय पर ईलाज ना मिलने के कारण सीधा असर किडनी और मरीज के दिल पर पड़ता है.जिसके कारण हार्ट अटैक आने का भी खतरा बढ़ जाता है.ऐसे में किसानों को को पराली से होने वाले गंभीर नुक्सानों को गंभीरता से लेना होगा. किसी चीज से छुटकारा पाने के चक्कर में गंभीर बिमारियों को न्यौता देना बेहद खतरनाक साबित हो सकता है.

कैसे करें बचाव
• जब भी बाहर निकले तो ध्यान रखे कि मास्क लगाकर रखें.

• बाहर से आने के बाद या आमतौर पर भी दिन में 2-3 बार गर्म पानी के गर्रारे जरूर करें.

• जब भी बाहर से आए तो आंखों और हाथों को धोने पर जरूर ध्यान दें.

• कोशिश करें की अधिक स्मॉग के दौरान घर से कम निकलें

• प्रॉपर डाइट लें और हरी सब्जियां और फ्रूट ज्यादा से ज्यादा खाएं

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