फसल लगाकर होगा बाबा भोलेनाथ के स्थल का उद्धार, जानें क्यों लिया गया यह फैसला

गुलशन कश्यप/जमुई: आपने सुना होगा कि किसी श्रद्धालु ने मंदिर के निर्माण को लेकर लाखों रुपए दान कर दिए. आपने यह भी सुना होगा कि मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए ग्रामीणों के द्वारा चंदा किया गया या सरकारी पैसे से किसी मंदिर का विकास किया गया हो. लेकिन जमुई में एक मंदिर के विकास को लेकर मंदिर समिति के द्वारा एक ऐसा निर्णय लिया गया है जो अपने आप में काफी अलग है और काफी अनोखा भी है.

दरअसल, इस मंदिर के कायाकल्प को लेकर मंदिर समिति की बैठक में जो निर्णय लिया गया वह इन सब से काफी हटकर है. मंदिर समिति के द्वारा यह तय किया गया है कि पहले फसल लगाई जाएगी, उस फसल को काटा जाएगा और उससे जो आमदानी होगी उन पैसों से मंदिर का विकास किया जाएगा. अपने आप में यह ऐसा पहला मामला है, जहां फसल लगाकर किसी मंदिर का विकास किया जाएगा.

जानिए इस निर्णय के पीछे की कहानी

दरअसल, यह निर्णय जिले के खैरा प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत पड़ने वाले अति प्रसिद्ध बाबा गिद्धेश्वर नाथ मंदिर के विकास को लेकर लिया गया है. यह मंदिर भगवान भोलेनाथ का अति प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर है तथा यह मंदिर भी अपने आप में काफी अनोखा है. यह देश का एक मात्र ऐसा शिव मंदिर है, जहां भगवान भोलेनाथ को वैष्णव तिलक लगाया जाता है. लेकिन पिछले कई सालों से इस मंदिर के शिवगंगा तालाब की स्थिति काफी खराब है और यह लोगों के किसी भी काम नहीं आ सकता है. इसी के जीर्णोद्धार को लेकर यह निर्णय लिया गया है.

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मंदिर की जमीन पर खेती कर किया जाएगा विकास कार्य

बाबा गिद्धेश्वर नाथ मंदिर धार्मिक न्यास परिषद के अधीन है और खैरा प्रखंड में गिद्धेश्वर नाथ मंदिर के नाम से कई एकड़ जमीन है. उस जमीन को अब इस्तेमाल में लाने की कवायद शुरू की गई है. रविवार को इसे लेकर मंदिर समिति के सदस्यों ने अनुमंडल पदाधिकारी अभय कुमार तिवारी मिलकर यह निर्णय लिया कि जितनी भी जमीन मंदिर के नाम से हैं, उन सभी जमीनों पर खेती की जाएगी. फिर उन फसल को बेचकर उससे जो मुनाफा होगा, उसे मंदिर में लगाया जाएगा.

अनुमंडल पदाधिकारी अभय कुमार तिवारी ने बताया कि मंदिर के विकास को लेकर लगातार प्रयास किया जा रहे हैं तथा धीरे-धीरे इसका विकास किया जा रहा है. अगर मंदिर समिति के सदस्य भी इसमें एकजुट होकर प्रयास करें तो जल्दी ही इस मंदिर का कायाकल्प हो सकता है तथा इसे पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित किया जा सकता है.

बिहार के साथ-साथ झारखंड में भी प्रसिद्ध है यह प्राचीन मंदिर

गौरतलब है कि बाबा गिद्धेश्वर नाथ महादेव मंदिर बिहार ही नहीं बल्कि झारखंड में भी प्रचलित है तथा ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना रामायण काल में प्रभु श्री राम के द्वारा किया गया था. पक्षीराज जटायु के रावण से युद्ध के बाद जब भगवान श्री राम और लक्ष्मण को जटायु खून में लथपथ अवस्था में मिले थे, तब उनकी अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए प्रभु श्री राम ने इस शिवलिंग की स्थापना की थी तथा उन्हीं के नाम पर इसका नामकरण भी किया था. इस कारण यहां बिहार के अलावा झारखंड से भी बड़ी संख्या में शिव भक्त हर साल आते हैं तथा भगवान भोलेनाथ को जलाभिषेक करते हैं.

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