अभिनव कुमार/दरभंगा : आज के समय में फल और सब्जियों में काफी कीड़ा लग जाते हैं. इसको लेकर कई कीटनाशक दवाइयों का उपयोग होता है. पर इसका उपाय बिना कीटनाशक दवाई से आप कर सकते हैं. इस पर विशेष जानकारी देते हुए प्रोफेसर सह मुख्य वैज्ञानिक (पौधा रोग) डॉ. एस के सिंह ने बताया कि फलों और सब्जियों के लिए नीम-तुलसी आधारित सुरक्षित कीटनाशक बनाना फसलों को कीटों और बीमारियों से बचाने का एक प्राकृतिक और पर्यावरण-अनुकूल तरीका है.
नीम और तुलसी, जिन्हें पवित्र तुलसी भी कहा जाता है. सदियों से पारंपरिक कृषि में उनके कीट-विकर्षक गुणों के लिए किया जाता रहा है. यह कीटनाशक मनुष्यों, जानवरों और पर्यावरण के लिए सुरक्षित है.
नीम आधारित कीटनाशक ऐसे करें तैयार?
इस पर विशेष जानकारी देते हुए प्रोफ़ेसर सह मुख्य वैज्ञानिक (पौधा रोग) डॉ. एस के सिंह बताते हैं कि नीम की ताजी पत्तियों से कीटनाशक दवा बना सकते हैं. नीम की 1 किलो हरी पत्तियों को एक बाल्टी में इकट्ठा करें और 5 लीटर पानी डालें और पत्तियों को पीस लें.
रात भर या 12 घंटे के लिए छोड़ दें. इसके बादपत्तियों को निचोड़े और रस को एकत्र करें. पत्ती कोछोटे टुकड़े को हटाने के लिए तरल को रसोई की छलनी या मलमल के कपड़े से छान लें. लगभग 20 ग्राम साबुन या कोई भी स्टीकर को थोड़ी मात्रा में पानी में घुलने तक मिलाएं. इस प्रकार से तैयार नीम के तरल को एक सप्ताह तक उपयोग कर सकते हैं. लेकिन इसे ठंडी, अंधेरी जगह पर स्टोर करना ज्यादा अच्छा रहता है.
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नीम के सूखे पत्ते से कीटनाशक बनाना
हरी नीम की पत्तियों को इकट्ठा करके सीधी धूप से दूर सुखा लें.पत्तियों को एक कंटेनर में स्टोर करें जिससे चारों ओर भरपूर हवा मिल सके. पत्तियां 250 ग्राम सूखे नीम के पत्ते एक बाल्टी में 5 लीटर पानी मे रात भर या 12 घंटे के लिए भिगो दें. पत्तियों को पीसें और रात भर या 12 घंटे फिर से भिगो दें. रस को निचोड़ें, रसोई की छलनी या मलमल के कपड़े से छान ले ,इसके बाद स्प्रेयर में डालें तथा प्रयोग करें. इसमें लगभग 20 ग्राम साबुन या 20 मिलीलीटर स्टीकर को भी मिला लेना चाहिए.
तुलसी के पत्ते के अर्क सेफल मक्खी का प्रबंधन कैसे करें?
तुलसी के पत्ते का अर्क (एक्सट्रेक्ट)बनाते हैं, जिसे बनाने की विधि इस प्रकार है. इसमें सर्वप्रथम 50 ग्राम तुलसी के पत्तों को पीस लेते है. उसे रात को 2-3 लीटर पानी में भिगो दें. सुबह उसे छान लें, इसके बाद 8-12 मिली तरल साबुन डालें. अच्छी तरह से हिलाएं. इस घोल से कैटरपिलर, फल मक्खियां, लाल मकड़ी, चित्तीदार पत्ती भृंग इत्यादि कीड़े प्रबंधित होते हैं. निरंतर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आपको हर 7-10 दिनों में या बारिश के बाद कीटनाशक को दोबारा प्रयोग की आवश्यकता हो सकती है.
नीम-तुलसी कीटनाशक के प्रयोग में सावधानियां
नीम-तुलसी कीटनाशक मनुष्यों और जानवरों के लिए सुरक्षित है, घोल को संभालते समय दस्ताने पहनना और आंखों के संपर्क से बचना एक अच्छा अभ्यास है.यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई प्रतिकूल प्रभाव न हो, पूरी फसल पर लगाने से पहले हमेशा अपने पौधों के एक छोटे से हिस्से पर कीटनाशक का परीक्षण करें.यह रासायनिक कीटनाशकों का एक प्राकृतिक और पर्यावरण-अनुकूल विकल्प है. यह लाभकारी कीड़ों और परागणकों के लिए सुरक्षित है. नीम-तुलसी आधारित कीटनाशकों में एंटीफंगल और रोगाणुरोधी गुण होते हैं. यह पौधों के समग्र स्वास्थ्य में सुधार करता है.
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FIRST PUBLISHED : January 10, 2024, 21:16 IST