फसलों ने ओढ़ी कोहरे की चादर, किसान कृषि वैज्ञानिक से जानें बचाव के आसन उपाय

अर्पित बड़कुल/दमोह. मप्र के दमोह जिले में पिछले कुछ दिनों से लगातार मौसम में आए बदलाव का असर देखने को मिल रहा है. सुबह से खेत खलिहानों घने कोहरे की चादर ओढे हुए दिखाई दे रहे हैं. इतना ही नहीं इस कोहरे की वजह से जनजीवन प्रभावित होता दिखाई दे रहा है. पालतू मवेशियों से लेकर ग्रामीण इलाकों के किसानों की फसले भी इस कोहरे की वजह से प्रभावित हो रही है.

जिले के जबेरा, तेंदूखेड़ा, हटा, बटियागढ़, पटेरा और अभाना सहित अन्य क्षेत्र के किसानों ने इस साल चना और मसूर की फसलों की बुवाई की है, जो फसलें खेतों में खड़ी हुई हैं. अनुभवी किसान पंचम सिंह की मानें तो कोहरे की वजह से चना और मसूर की फसलें नुकसान की कगार पर हैं.

किसान बरतें ये सावधानियां
कृषि वैज्ञानिक अधिकारी राजेश द्विवेदी ने जानकारी देते हुए बताया कि जो किसान पुरानी किस्मों की बुवाई किए हुए हैं. वो जरूर सावधानी बरतें, लेकिन जो किसान नई किस्म की बुवाई किए हुए हैं. उन्हें ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि नई किस्मों में पाला और कोहरे की सहनशीलता रहती है. वहीं पुरानी किस्मों में पानी चलाएं ताकि वह कोहरे और पाले से बची रहे हैं.

इसके अलावा मार्केट में आई दवाओं जैसे कि फेंटिक, प्लानों, सागरिका का छिड़काव करें. जिसे करीब 20 से 25 दिनों तक फसले सुरक्षित रहेगी. जो दलहनी फसले फूल अवस्था में होती है.उनमें नुकसान होता है.जबकि वनस्पतिक अवस्था में फसलो को कोई नुकसान नहीं होता. जिन खेतों ने कोहरे की चादर ओढ ली है, वे किसान चिंतित न हों. बताई गई दवाओं का छिड़काव करें, ताकि नुकसान ना हो.

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