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- India’s February Trade Deficit Widens To ₹1.55 Lakh Crore, Exports At 11 month High
नई दिल्ली2 दिन पहले
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
फाइनेंशियल ईयर-2024 में अप्रैल-फरवरी के दौरान एक्सपोर्ट ₹18.66 लाख करोड़ रहा।
कॉमर्स मिनिस्ट्री ने 15 मार्च को कहा कि भारत का मर्चेंडाइज ट्रेड डेफिसिट यानी व्यापार घाटा फरवरी में बढ़कर 18.71 बिलियन डॉलर यानी ₹1.55 लाख करोड़ हो गया। जनवरी में ये 17.49 बिलियन डॉलर (₹1.45 लाख करोड़ रुपए) था। वहीं पिछले साल फरवरी 2023 में ट्रेड डेफिसिट 16.57 बिलियन डॉलर (₹1.37 लाख करोड़) रहा था।
एक्सपोर्ट 11.9% बढ़कर ₹3.43 लाख करोड़
फरवरी में एक्सपोर्ट सालाना आधार पर 11.9% बढ़कर 41.40 बिलियन डॉलर (₹3.43 लाख करोड़) हो गया है। बीते 11 महीनों में ये भारत का सबसे ज्यादा मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट रहा है। इससे पहले मार्च 2023 में मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट 41.96 बिलियन डॉलर (₹3.47 लाख करोड़) रहा था।
इंपोर्ट 12.2% बढ़कर ₹4.98 लाख करोड़
वहीं फरवरी में इंपोर्ट सालाना आधार पर 12.2% बढ़कर 60.11 बिलियन डॉलर (₹4.98 लाख करोड़) हो गया। ये बीते चार महीने का हाई है। साल-दर-साल ग्रोथ की बात करें तो फरवरी में एक्सपोर्ट ग्रोथ जून 2022 में 30.1% की बढ़त के बाद से सबसे ज्यादा है। फरवरी में 12.2% की इंपोर्ट ग्रोथ सितंबर 2022 के 12.6% के बाद से सबसे ज्यादा है।
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फरवरी 2024 में ट्रेड डेफिसिट यानी व्यापार घाटा 1.55 लाख करोड़ रुपए रहा।
अप्रैल 2023-फरवरी 2024 के लिए ट्रेड डेफिसिट ₹18.66 लाख करोड़ रहा
2022-23 में भारत का मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट 451.07 बिलियन डॉलर यानी ₹37.38 लाख करोड़ था, जबकि सर्विसेज एक्सपोर्ट 325.33 बिलियन डॉलर (₹26.96 लाख करोड़) रहा था। वहीं टोटल एक्सपोर्ट 776.40 बिलियन डॉलर (₹64.34 लाख करोड़) रहा था, जो 2021-22 की तुलना में 14.8% ज्यादा है।
अप्रैल 2023-फरवरी 2024 के लिए भारत का ट्रेड डेफिसिट टोटल 225.20 बिलियन डॉलर (₹18.66 लाख करोड़) रहा, जो 2022-23 के पहले 11 महीनों के 245.94 बिलियन डॉलर (₹20.37 लाख करोड़) से कम है।
क्या होता है ट्रेड डेफिसिट?
जब एक निश्चित अवधि के दौरान देश का इंपोर्ट, एक्सपोर्ट से ज्यादा हो जाता है, तो वो ट्रेड डेफिसिट या व्यापार घाटे की कैटेगरी में आता है। इसे निगेटिव बैलेंस ऑफ ट्रेड भी कहते हैं। दूसरे शब्दों में, जब कोई देश बेचने से ज्यादा खरीदता है, तो उसे ट्रेड डेफिसिट कहा जाता है।