Symptoms of Fungal Infection: फंगल इंफेक्शन यानी फंगस या कवक से होने वाली बीमारियों को अक्सर हम नजरअंदाज कर देते हैं. फंगल इंफेक्शन आमतौर पर खुजली से शुरू होती है लेकिन अगर इसे नजरअंदाज कर दिया जाए तो इससे घातक बीमारियां हो सकती है. आंकड़ों के मुताबिक पिछले एक दशक में फंगल इंपेक्शन से होने वाली मौतों की संख्या दोगुनी हो गई है. यूनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टर के फंगल इंफेक्शन ग्रुप से जुड़े वैज्ञानिकों ने ताजा अध्ययन के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है. ग्रुप ने चौंकाने वाला खुलासा करते हुए बताया है कि हर साल वैश्विक रूप से 38 लाख लोगों की मौत सिर्फ फंगल इंफेक्शन के कारण हो जाती है. यह संख्या विश्व में होने वाली कुल मौतों में 6.8 प्रतिशत है. यह स्थिति तब है जब लोग फंगल डिजीज के प्रति सतर्क हो गए हैं और इलाज भी करा रहे हैं. दुर्भाग्य की बात यह है कि मरने वालों में अधिकांश मामले में डॉक्टर भी सही से बीमारी को पहचान नहीं पाते जिसके कारण लोगों की मौत हो जाती है. आपको जानकर हैरानी होगी कि फंगल इंफेक्शन में सबसे ज्यादा कैंडिडा फंगस से लोगों की मौत होती है. 15 लाख लोगों की मौत हर साल कैंडिडा फंगस के कारण होती है.
क्या है कैंडिडा
केंडिडा नाम के फंगस का जब इंसान के शरीर में हमला होता है तो इससे केंडिडिएसिस बीमारी होती है. यह फंगस सबसे पहले स्किन में घुसता है और स्किन के सहारे मुंह, गला, आंत, प्राइवेट पार्ट और अन्य जगहों में भी प्रवेश कर जाता है. यह जब खून में पहुंचता है तो किडनी, हार्ट और यहां तक कि ब्रेन के लिए मुसीबतें खड़ा करता है.
कैंडिडाइसिस के प्रकार
क्लीवलैंड क्लीनिक के मुताबिक केंडिडाइसिस कई प्रकार के होते हैं. यह वेजाइनल, ओरल, माउथ, नेक, केंडिडा ग्रेनुलोमा, इनवेसिव कैंडिडाइसिस यानी जब केंडिडा फंगस खून में पहुंच जाए, आदि प्रकार के होते हैं.
कैंडिडाइसिस के लक्षण
केंडिडाइसिस मुंह, गला, गर्दन, आंत, किडनी, स्किन, हार्ट यहां तक कि ब्रेन में भी हो सकता है. हालांकि पहले इसकी शुरुआत स्किन से होती है. इसलिए जब किसी को कैंडिडाइसिस होता है तो स्किन पर छोटे-छोटे रैशेज होने लगते हैं. इसके अलावा स्किन पर चकत्ते की तरह दिखने लगते हैं. वहीं स्किन में खुजली, बर्निंग सेंसेशन, वेजाइनल डिस्चार्ज, मुंह में फफोले या व्हाइट पैचेज, स्वाद न लगना, निकलने में दर्द, सूजन आदि इसके लक्षण होते हैं.
किन लोगों को है ज्यादा खतरा
जिन लोगों को डायबिटीज होता है, उनमें कैंडिडाइसिस का खतरा ज्यादा होता है. वहीं बेबी, नवजात बच्चे, प्रेग्नेंट महिलाएं, अस्पताल में रहने वाले कर्मचारी आदि को कैंडिडाइसिस का खतरा ज्यादा रहता है.
क्या यह संक्रामक है
केंडिडाइसिस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमित हो सकता है. हालांकि यह वायरस या फ्लू की तरह संक्रामक नहीं है. अगर आप किसी कैंडिडाइसिस संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि आपको केंडिडाइसिस हो ही जाए. बहुत मुश्किल से यह एक से दूसरे में जाता है.
क्या है इलाज
खून की एक खास जांच से पता चलता है कि किसी को कैंडिडाइसिस है या नहीं. कल्चर टेस्ट से पता चलता है कि संक्रमण बैक्टीरिया का है या फंगस का. फंगस के प्रकार के आधार पर डॉक्टर इसका इलाज करते हैं. कैंडिडाइसिस का इलाज है. य दवा, इंजेक्शन और क्रीम से ठीक हो सकता है. लेकिन इसके लिए डॉक्टर के पास जाना जरूरी है.
इसे भी पढ़ें-कई बीमारियों के लिए काल हैं ये मुलायम पत्ते, ज्वाइंट पेन से लेकर सर्दी-खांसी में रामबाण
.
Tags: Health, Health tips, Lifestyle, Trending news
FIRST PUBLISHED : February 7, 2024, 07:23 IST