प्रेत-पिशाच योनि से चाहते हैं मुक्ति तो करें जया एकादशी का व्रत, जानें मुहूर्त

गुलशन कश्यप/जमुई. हिंदू मास के दोनों पक्ष में लोग एकादशी का व्रत रखते हैं. इस दिन लोग व्रत रखकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना करते हैं. ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से वैकुंठ की प्राप्ति होती है. लेकिन लोगों की यह चिंता होती है की मृत्यु के बाद उन्हें भूत, प्रेत या पिशाच योनि में जन्म ना लेना पड़ जाए. ऐसे में अगर आप इस खास दिन व्रत रखेंगे तो निश्चित तौर पर आपकी इस चिंता का हल मिल जाएगा.

ज्योतिषाचार्य पंडित शत्रुघ्न झा बताते हैं कि माघ मास की एकादशी को जया एकादशी कहा जाता है. इस दिन व्रत रखने से लोगों को भूत, प्रेत या पिशाच योनि में जन्म लेने की चिंता समाप्त हो जाती है.

पुष्यवती को पिशाच योनि से निकलने का दिया था वरदान
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि पद्म पुराण में एक कथा का वर्णन है. जिसके अनुसार स्वर्ग लोक के नंदनवन में नर्तकी पुष्यवती नृत्य कर रही थी और उनकी दृष्टि गंधर्व मूल्यवान पर पड़ी. जिसके कारण माल्यवान एवं पुष्यवती एक दूसरे पर मोहित हो गए और सुध बुध खोकर गलत राग में गाने लगे. इससे क्रोधित होकर इंद्र ने दोनों को पिशाच योनि में जाने का श्राप दे दिया था. दोनों पिशाच योनि में जाकर कष्ट भोगने लगे थे.

एक बार संयोगवश जया एकादशी को माल्यवाण और पुष्यवती को फल खाकर रहना पड़ गया था. गलती से उन्होंने जया एकादशी का व्रत कर लिया था. जिससे प्रसन्न होकर श्री हरि ने उन्हें प्रेत योनि से मुक्त कर दिया था.

जानिए कब है जया एकादशी का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, जया एकादशी का शुभ मुहूर्त 19 फरवरी को सुबह 8 बजकर 49 मिनट से शुरू होकर समाप्ती 20 फरवरी 2024 दिन मंगलवार को सुबह 9 बजकर 55 मिनट पर होगी. उदया तिथि के अनुसार, लोग 20 फरवरी दिन मंगलवार को भगवान विष्णु की पूजा कर सकते हैं.

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वहीं पारण करने का शुभ मुहूर्त 21 फरवरी दिन बुधवार को सुबह 6 बजकर 55 मिनट से लेकर सुबह के 9 बजकर 11 मिनट तक है. इस दौरान आप पारण कर सकते हैं.

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Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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