रिपोर्ट – शुभम मरमट
उज्जैन. अयोध्या में प्रभु राम की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की झलक इन दिनों बाबा महाकाल की अवंतिका नगरी उज्जैन में देखने को मिल सकती है. जगह-जगह भगवान राम के नाम के झंडे लहरा रहे हैं. 22 जनवरी के कार्यक्रम से पहले लोग दीपोत्सव मनाने की तैयारी कर रहे हैं. ऐसे में जानकारों का कहना है कि लोगों को प्रभु राम के दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लेना चाहिए. उन्होंने अपने जीवन में जिन चुनौतियों का सामना कर, धैर्य, साहस और मानवता का परिचय दिया, हमें प्रभु राम के बताए आदर्शों को अपने जीवन में अपनाना चाहिए. स्वामी पनौपरी जी बताते हैं कि श्रीराम की जीवनशैली को अपनाने वाले कभी निराश नहीं होंगे.
स्वामी पनौपरी जी कहते हैं कि जिसे चक्रवर्ती सम्राट बनाया जा रहा हो, उन्हें कह दिया जाए कि आप 14 साल के लिए वनवास चले जाएं, उस पर क्या बीतेगी. लेकिन प्रभु राम ने इस विकट स्थिति में धैर्य का परिचय दिया, माता-पिता का कहना माना. यह अनुशासन है. वनवास के दौरान जब माता सीता का हरण हुआ, तब भी श्रीराम ने धैर्य नहीं खोया. उन्होंने वानरों को मित्र बनाकर सेना बनाई. लंका पर चढ़ाई की, रावण से युद्ध कर उसे हराया और माता सीता को ससम्मान वापस लेकर आए. लाख मुसीबत आ जाए, फिर भी हिम्मत नहीं हारना चाहिए, राम का चरित्र हमें यह सीख देता है.
स्वामी पनौपरी जी कहते हैं कि संकटकाल में या समस्याओं में घिरे रहकर भी आपको नकारात्मक नहीं होना चाहिए. सकारात्मकता के साथ अपना काम करते रहना चाहिए, इससे जीवन में सुख-शांति रहती है.
उन्होंने कहा कि परिश्रम के बाद भी अगर सफलता नहीं मिल रही हो, तो तुरंत हार नहीं मान लेना चाहिए. बल्कि लगातार प्रयास करते रहना चाहिए. अक्सर हम निराशा में आकर काम करना छोड़ देते हैं. यह गलत है. विश्वास और समर्पण सहज मुक्ति और शांति की भावना लाता है. हर कार्य ईमानदारी के साथ करते रहें, परिणाम देरी से मिले लेकिन निराश नहीं होना चाहिए.
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FIRST PUBLISHED : January 18, 2024, 16:56 IST