प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ पीटीआई के विशेष साक्षात्कार का मूल पाठ

यह मांग व आपूर्ति को पूरा करने में मदद करेगा और उद्योगों को मानव पूंजी खोजने में मदद करेगा। व्यापार और निवेश मंत्रियों ने व्यापार दस्तावेज के डिजिटलीकरण के लिए उच्च स्तरीय सिद्धांतों को भी अपनाया है, जिससे व्यापार को बढ़ावा मिलेगा और व्यापार करने में आसानी होगी। ये केवल कुछ महत्वपूर्ण घटनाक्रम हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अपने लोक कल्याण मार्ग स्थित आवास पर, प्रेस ट्रस्ट आफ इंडिया के प्रधान संपादक विजय जोशी और वरिष्ठ संपादकों को पिछले सप्ताह के अंत में दिए गए विशेष साक्षात्कार का मूल पाठ यहां दिया जा रहा है :
प्रश्न: जी-20 की अध्यक्षता ने भारत को एक स्थायी, समावेशी और न्यायसंगत दुनिया के लिए अपने दृष्टिकोण को बढ़ावा देने और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक नेता के रूप में अपना प्रोफ़ाइल बढ़ाने का अवसर दिया है। शिखर सम्मेलन में अब कुछ ही दिन बचे हैं, कृपया भारत की अध्यक्षता की उपलब्धियों के बारे में अपने विचार साझा करें?
उत्तर: इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए, हमें दो पहलुओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है। पहला जी-20 के गठन पर है। दूसरा वह संदर्भ है जिसमें भारत को जी-20 की अध्यक्षता मिली। जी-20 की उत्पत्ति पिछली शताब्दी के अंत में हुई थी।

दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं आर्थिक संकटों के लिए एक सामूहिक और समन्वित प्रतिक्रिया की दृष्टि को लेकर एक साथ मिलीं। 21 वीं सदी के पहले दशक में वैश्विक आर्थिक संकट के दौरान इसका महत्व और भी बढ़ गया। लेकिन जब महामारी ने दस्तक दी, तो दुनिया ने समझा कि आर्थिक चुनौतियों के अलावा, मानवता को प्रभावित करने वाली अन्य महत्वपूर्ण और तात्कालिक चुनौतियां भी हैं।
इस समय तक, दुनिया पहले से ही भारत के मानव-केंद्रित विकास मॉडल पर ध्यान दे रही थी। चाहे वह आर्थिक विकास हो, तकनीकी प्रगति हो, संस्थागत वितरण हो या सामाजिक बुनियादी ढांचा हो, इन सभी को अंतिम छोर तक ले जाया जा रहा था ताकि यह सुनिश्चित हो कि कोई भी पीछे न छूटे। भारत द्वारा उठाए जा रहे इन बड़े कदमों के बारे में अधिक जागरूकता थी।

यह स्वीकार किया गया कि जिस देश को सिर्फ एक बड़े बाजार के रूप में देखा जाता था, वह वैश्विक चुनौतियों के समाधान का एक हिस्सा बन गया है।
भारत के अनुभव को देखते हुए, यह माना गया कि संकट के दौरान भी मानव-केंद्रित दृष्टिकोण काम करता है। एक स्पष्ट और समन्वित दृष्टिकोण के माध्यम से महामारी के प्रति भारत की प्रतिक्रिया, प्रौद्योगिकी का उपयोग करके सबसे कमजोर लोगों को प्रत्यक्ष सहायता, टीकों का विकास और दुनिया का सबसे बड़ा टीका अभियान चलाना और लगभग 150 देशों के साथ दवाओं और टीकों को साझा करना। इन सभी को दुनिया ने महसूस किया और अच्छी तरह से इसकी सराहना भी की गई।
जब भारत जी-20 का अध्यक्ष बना, तब दुनिया के लिए हमारे शब्दों और दृष्टिकोण को केवल विचारों के रूप में नहीं लिया जा रहा था, बल्कि भविष्य के लिए एक ‘रोडमैप’ के रूप में लिया जा रहा था।
जी-20 की अध्यक्षता पूरी करने से पहले एक लाख से अधिक प्रतिनिधि भारत का दौरा कर चुके होंगे। वे विभिन्न क्षेत्रों में जा रहे हैं, हमारी जनसांख्यिकी, लोकतंत्र और विविधता देख रहे हैं।

वे यह भी देख रहे हैं कि पिछले एक दशक में चौतरफा विकास किस तरह लोगों को सशक्त बना रहा है। यह समझ बढ़ रही है कि दुनिया को जिन समाधानों की आवश्यकता है, उनमें से कई पहले से ही हमारे देश में गति और पैमाने के साथ सफलतापूर्वक लागू किए जा रहे हैं।
भारत की जी-20 अध्यक्षता से कई सकारात्मक प्रभाव सामने आ रहे हैं। उनमें से कुछ मेरे दिल के बहुत करीब हैं।
मानव-केंद्रित दृष्टिकोण की ओर बदलाव विश्व स्तर पर शुरू हो गया है और हम एक उत्प्रेरक की भूमिका निभा रहे हैं।
वैश्विक मामलों में ‘ग्लोबल साउथ’, विशेष रूप से अफ्रीका के लिए अधिक समावेश की दिशा में प्रयास ने गति प्राप्त की है।
भारत की जी-20 अध्यक्षता ने तथाकथित तीसरी दुनिया के देशों में भी विश्वास के बीज बोए हैं। वे जलवायु परिवर्तन और वैश्विक संस्थागत सुधारों जैसे कई मुद्दों पर आने वाले वर्षों में दुनिया की दिशा को आकार देने के लिए अधिक आत्मविश्वास हासिल कर रहे हैं।

हम एक अधिक प्रतिनिधित्व और समावेशी व्यवस्था की ओर तेजी से बढ़ेंगे जहां हर आवाज सुनी जाएगी।
इसके अलावा, यह सब विकसित देशों के सहयोग से होगा, क्योंकि आज वे पहले से कहीं अधिक ‘ग्लोबल साउथ’ की क्षमता को स्वीकार कर रहे हैं और वैश्विक भलाई के लिए एक शक्ति के रूप में इन देशों की आकांक्षाओं को पहचान रहे हैं।
प्रश्न: जी-20 दुनिया के सबसे प्रभावशाली समूह के रूप में उभरा है, जिसमें वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 85 प्रतिशत हिस्सा है। अब जबकि आप ब्राजील को इसकी अध्यक्षता सौंपने वाले हैं तो जी-20 के सामने सबसे बड़ी चुनौती के रूप में क्या देखते हैं? आप राष्ट्रपति लूला (लुइज इनासियो लूला डी सिल्वा) को क्या सलाह देंगे?
उत्तर: यह निश्चित रूप से सच है कि जी 20 एक प्रभावशाली समूह है। तथापि, मैं आपके प्रश्न के उस भाग का समाधान करना चाहता हूं जो विश्व के 85 प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद का उल्लेख करता है।
जैसा कि मैंने पहले ही कहा है, दुनिया का जीडीपी-केंद्रित दृष्टिकोण अब मानव-केंद्रित दृष्टिकोण में बदल रहा है।

जैसे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद एक नई विश्व व्यवस्था देखी गई थी, कोविड के बाद एक नई विश्व व्यवस्था आकार ले रही है। प्रभाव और असर के मापदंड बदल रहे हैं और इसे पहचानने की आवश्यकता है।
सबका साथ -सबका विकास मॉडल जिसने भारत में रास्ता दिखाया है, वह विश्व के कल्याण के लिए भी मार्गदर्शक सिद्धांत हो सकता है। जीडीपी काआकार कुछ भी हो, हर आवाज मायने रखती है।
इसके अलावा, मेरे लिए किसी भी देश को कोई सलाह देना सही नहीं होगा कि उनकी जी 20 अध्यक्षता के दौरान क्या करना है। हर किसी की अपनी अनूठी ताकत होती है और वह उसी के अनुरूप आगे बढ़ता है।
मुझे अपने मित्र राष्ट्रपति लूला के साथ बातचीत करने का सौभाग्य मिला है और मैं उनकी क्षमताओं और दृष्टिकोण का सम्मान करता हूं। मैं उन्हें और ब्राजील के लोगों को जी-20 की अध्यक्षता के दौरान उनकी सभी पहलों में बड़ी सफलता की कामना करता हूं।

हम अभी भी अगले वर्ष ‘ट्रोइका’ (जी-20 के भीतर एक शीर्ष समूह) का हिस्सा होंगे जो हमारी अध्यक्षता से परे जी-20 में हमारे निरंतर रचनात्मक योगदान को सुनिश्चित करेगा।
मैं इस अवसर का लाभ उठाकर जी-20 की अध्यक्षता में अपने पूर्ववर्ती इंडोनेशिया और राष्ट्रपति (जोको) विडोडो से प्राप्त समर्थन को स्वीकार करता हूं। हम उसी भावना को अपने उत्तराधिकारी ब्राजील की अध्यक्षता में आगे बढ़ाएंगे।
प्रश्न: भारत ने अफ्रीका संघ को जी-20 का स्थायी सदस्य बनाने का प्रस्ताव दिया है। यह ‘ग्लोबल साउथ’ को एक आवाज देने में कैसे मदद करेगा। यह आवाज अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सुनी जानी क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: इससे पहले कि मैं आपके प्रश्न का उत्तर दूं, मैं आपका ध्यान हमारे जी-20 की अध्यक्षता के विषय – वसुधैव कुटुम्बकम- एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य की ओर दिलाना चाहता हूं।

यह सिर्फ एक नारा नहीं है बल्कि एक व्यापक दर्शन है जो हमारे सांस्कृतिक लोकाचार से लिया गया है।
यह भारत के भीतर और दुनिया के प्रति हमारे दृष्टिकोण का मार्गदर्शन करता है।
भारत में हमारे ‘ट्रैक रिकॉर्ड’ (पुराने प्रदर्शन) को देखें। हमने उन जिलों की पहचान की जिन्हें पहले पिछड़ा और उपेक्षित करार दिया गया था। हम एक नया दृष्टिकोण लाये और वहां के लोगों की आकांक्षाओं को सशक्त बनाया। आकांक्षी जिला कार्यक्रम शुरू किया गया। इनमें से कई जिलों में महत्वपूर्ण प्रगति के साथ इसके अद्भुत परिणाम सामने आ रहे हैं।
हमने बिना बिजली वाले गांवों और घरों की पहचान की और उनका विद्युतीकरण किया। हमने ऐसे घरों की पहचान की जहां पीने का पानी उपलब्ध नहीं था और नल के पानी के 10 करोड़ कनेक्शन उपलब्ध कराए गए। इसी तरह, हम उन लोगों तक पहुंचे जिनके पास शौचालय और बैंक खाते जैसी सुविधाएं नहीं थीं।

उन्हें सक्षम और सशक्त किया गया।
यह वह दृष्टिकोण है जो वैश्विक स्तर पर भी हमारा मार्गदर्शन करता है। हम उन लोगों को जोड़ने के लिए काम करते हैं जिन्हें लगता है कि उनकी आवाज नहीं सुनी जा रही है।
स्वास्थ्य का उदाहरण लें। हम एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के दृष्टिकोण में विश्वास करते हैं। यह खुद को अलग-अलग तरीकों से प्रकट कर रहा है।
भारत की योग और आयुर्वेद की प्राचीन प्रणालियां दुनिया को स्वास्थ्य और कल्याण की दिशा में ध्यान केंद्रित करने में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाने में मदद कर रही हैं।
कोविड-19 के दौरान हम केवल अपने लिए नहीं बल्कि सभी के लिए सोच रहे थे। हमारी बाधाओं के बावजूद, हमने दुनिया के लगभग 150 देशों को दवाओं और टीकों के साथ सहायता प्रदान की। इनमें से कई देश ‘ग्लोबल साउथ’ से थे।
विगत दशकों में जलवायु संबंधी कई बैठकें हुई हैं।

ये चर्चाएं, सर्वोत्तम इरादों के बावजूद, इस बात के इर्द-गिर्द घूमती रहीं कि किसे दोषी ठहराया जाए।
लेकिन हमने कर सकते हैं की भावना के साथ एक सकारात्मक और स्वीकारोक्ति वाला दृष्टिकोण अपनाया। हमने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन की स्थापना की और वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड के दृष्टिकोण के तहत देशों को एक साथ लाने की पहल की।
इसी तरह, हमने ‘कोएलिशन फॉर डिजास्टर रिज़िल्यन्स’शुरू किया ताकि दुनिया भर के देश, विशेष रूप से विकासशील देश, एक-दूसरे से सीखें और बुनियादी ढांचे का निर्माण करें जो आपदाओं के दौरान भी लचीला हो।
हमने हिंद-प्रशांत द्वीप समूह सहयोग मंच सहित दुनिया के छोटे द्वीप राष्ट्रों के साथ भी काम किया है ताकि उनके हितों को आगे बढ़ाया जा सके।
जब हम कहते हैं कि हम दुनिया को एक परिवार के रूप में देखते हैं, तो हम वास्तव में इसका अनुसरण भी करते हैं।

हर देश की आवाज मायने रखती है, चाहे उसका आकार, उसकी अर्थव्यवस्था या क्षेत्र कुछ भी हो।
इसमें हम महात्मा गांधी, डॉ. मार्टिन लूथर किंग जूनियर, नेल्सन मंडेला और क्वामे नक्रुमा (घाना के दिवंगत प्रख्यात नेता) की मानवीय दृष्टि और आदर्शों से भी प्रेरित हैं।
अफ्रीका के प्रति हमारा लगाव स्वाभाविक है। अफ्रीका के साथ हमारे सदियों पुराने सांस्कृतिक और वाणिज्यिक संबंध रहे हैं। उपनिवेशवाद के खिलाफ आंदोलनों का हमारा साझा इतिहास रहा है। एक युवा और आकांक्षी राष्ट्र के रूप में, हम अफ्रीका के लोगों और उनकी आकांक्षाओं से भी खुद को जोड़ते हैं। पिछले कुछ सालों में यह रिश्ता और भी मजबूत हुआ है।
प्रधानमंत्री बनने के बाद मैंने जो शुरुआती शिखर सम्मेलन आयोजित किए, उनमें से एक 2015 में भारत-अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन था।

अफ्रीका के 50 से अधिक देशों ने भाग लिया और इसने हमारी साझेदारी को बहुत मजबूत किया।
बाद में, 2017 में, पहली बार, अफ्रीकी विकास बैंक का एक शिखर सम्मेलन अफ्रीका के बाहर, अहमदाबाद में आयोजित किया गया था।
जी-20 में भी अफ्रीका हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। जी-20 की अध्यक्षता के दौरान हमने जो पहली चीजें कीं, उनमें से एक ‘वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ समिट’ का आयोजन करना था, जिसमें अफ्रीका की उत्साहपूर्ण भागीदारी थी।
हम मानते हैं कि ग्रह के भविष्य के लिए कोई भी योजना सभी आवाजों के प्रतिनिधित्व और मान्यता के बिना सफल नहीं हो सकती है। विशुद्ध रूप से उपयोगितावादी विश्व दृष्टि से बाहर आने और सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय मॉडल को अपनाने की आवश्यकता है।
प्रश्न: आपने कुछ साल पहले सौर गठबंधन शुरू किया था।

अब आप जैव-ईंधन गठबंधन का प्रस्ताव कर रहे हैं, जिसका हमें विश्वास है कि आप जी-20 में अनावरण करेंगे। इसका उद्देश्य क्या है और यह ऊर्जा सुरक्षा पर भारत जैसे आयात पर निर्भर देशों की मदद कैसे करेगा?
जवाब: 20वीं सदी और 21वीं सदी की दुनिया में बड़ा अंतर है। दुनिया अधिक परस्पर जुड़ी हुई और एक-दूसरे पर आश्रित है, और यह सही भी है।
लेकिन हमें यह समझना चाहिए कि एक-दूसरे से जुड़े और एक-दूसरे पर आश्रितदुनिया में, दुनिया भर के देशों की क्षमता और क्षमताएं जितनी अधिक होंगी, वैश्विक लचीलापन उतना ही अधिक होगा।
जब एक श्रृंखला में कड़ी कमजोर होती है, तो प्रत्येक संकट पूरी श्रृंखला को और कमजोर कर देता है। लेकिन जब कड़ी मजबूत होती हैं, तो वैश्विक श्रृंखला एक-दूसरे की ताकत का उपयोग करके किसी भी संकट को संभाल सकती है।

एक तरह से यह विचार महात्मा गांधी के आत्मनिर्भरता के दृष्टिकोण में भी देखा जा सकता है, जो वैश्विक स्तर पर भी प्रासंगिक बना हुआ है।
इसके अलावा, हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए हमारे ग्रह की सुरक्षा और संरक्षण एक साझा जिम्मेदारी है जिसे सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
हम भारत के भीतर जलवायु केंद्रित पहलों में बड़ी प्रगति कर रहे हैं।
भारत ने कुछ ही वर्षों में अपनी सौर ऊर्जा क्षमता को 20 गुना बढ़ा दिया है।
पवन ऊर्जा के मामले में भारत दुनिया के शीर्ष चार देशों में शामिल है। इलेक्ट्रिक वाहन क्रांति में, भारत नवाचार और चीजों को अपनाने, दोनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
हम शायद जी-20 देशों में से पहले हैं जिन्होंने निर्धारित तिथि से नौ साल पहले अपने जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त किया है। ‘सिंगल यूज प्लास्टिक’ (एकल उपयोग वाले प्लास्टिक) के खिलाफ हमारी कार्रवाई को दुनिया भर में मान्यता मिली है।

हमने आरोग्यऔर स्वच्छता के क्षेत्रों में भी काफी प्रगति की है। स्वाभाविक रूप से, हम वैश्विक प्रयासों में सिर्फ शामिल नहीं हैं बल्कि कई ऐसे पहल हैं जिनमें हम अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन और आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन जैसी पहल देशों को ग्रह के लिए एक साथ ला रही हैं। अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन को 100 से अधिक देशों के शामिल होने से एक शानदार प्रतिक्रिया मिली है!
हमारी मिशन ‘लाइफ’ (पर्यावरण के अनुकूल जीवनशैली) पहल पर्यावरण के लिए जीवन शैली पर केंद्रित है। आज, प्रत्येक समाज में हमारे पास ऐसे लोग हैं जो स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हैं। वे क्या खरीदते हैं, वे क्या खाते हैं, वे क्या करते हैं – प्रत्येक निर्णय इस बात पर आधारित होता है कि यह उनके स्वास्थ्य की देखभाल कैसे करता है। उनकी पसंद न केवल इस बात से निर्देशित होती है कि यह आज उन्हें कैसे प्रभावित करेगा, बल्कि इस बात से निर्देशित होती है कि इसका दीर्घकालिक प्रभाव क्या होगा।

इसी तरह, दुनिया भर के लोग ग्रह के प्रति जागरूक बनने के लिए एक साथ आ सकते हैं। प्रत्येक जीवन शैली का निर्णय इस आधार पर किया जा सकता है कि लंबी अवधि में ग्रह पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा।
अब, जैव ईंधन गठबंधन इस दिशा में एक और कदम है। इस तरह के गठबंधनों का उद्देश्य विकासशील देशों के लिए अपने ऊर्जा संक्रमण को आगे बढ़ाने के लिए विकल्प बनाना है। जैव ईंधन चक्रीय अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हैं। बाजार, व्यापार, प्रौद्योगिकी और नीति – अंतरराष्ट्रीय सहयोग के सभी पहलू ऐसे अवसर पैदा करने में महत्वपूर्ण हैं।
इस तरह के विकल्प ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ा सकते हैं, घरेलू उद्योग के लिए अवसर पैदा कर सकते हैं, और हरित रोजगार पैदा कर सकते हैं। एक ऐसा बदलाव सुनिश्चित करने में ये सभी महत्वपूर्ण तत्व हैं, जो किसी को पीछे नहीं छोड़ते हैं।
प्रश्न: भारत की अध्यक्षता के दौरान आपने जिस तरह से जी-20 को चर्चा का विषय बनाया और देश भर में उच्च-स्तरीय बैठकों के एक साल के कैलेंडर की योजना बनाई, उसकी आपके आलोचकों ने भी प्रशंसा की है।

यह अभूतपूर्व था। आपने पूरे भारत में जी-20 बैठकों के प्रसार की इस अवधारणा की परिकल्पना कैसे की? इस रणनीति के पीछे तर्क क्या था?
उत्तर: हमने अतीत में ऐसे कई उदाहरण देखे हैं, जहां कुछ देशों ने, भले ही आकार में छोटे हों, ओलंपिक जैसे उच्च-स्तरीय वैश्विक आयोजन की जिम्मेदारी ली। इन विशाल आयोजनों का सकारात्मक और परिवर्तनकारी प्रभाव पड़ा। इसने विकास को प्रेरित किया और खुद के प्रति अपने दृष्टिकोण को बदल दिया और जिस तरह से दुनिया ने उनकी क्षमताओं को पहचानना शुरू किया, वास्तव में यह उनकी विकास यात्रा में एक महत्वपूर्ण मोड़ बन गया।
भारत में अपने विभिन्न राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और शहरों में दुनिया का स्वागत करने, मेजबानी करने और जुड़ने की बहुत क्षमता है। दुर्भाग्य से अतीत में दिल्ली में विज्ञान भवन और उसके आसपास चीजों को ठीक करने का रवैया हुआ करता था।

शायद इसलिए कि यह एक आसान तरीका था। या शायद इसलिए कि सत्ता में बैठे लोगों को देश के विभिन्न हिस्सों के लोगों में इस तरह की योजनाओं को सफलतापूर्वक निष्पादित करने के लिए विश्वास की कमी थी।
मुझे अपने लोगों की क्षमताओं पर बहुत भरोसा है। मैं एक संगठनात्मक पृष्ठभूमि से आता हूं और जीवन के उस चरण के दौरान कई अनुभव हुए हैं, जिनसे मैंने बहुत कुछ सीखा है। मुझे उन चीजों को प्रत्यक्ष रूप से देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ कि मंच और अवसर मिलने पर आम नागरिक भी कुछ कर गुजरने की ताकत रखता है। इसलिए, हमने दृष्टिकोण में सुधार किए।
यदि आप ध्यान से देखें तो वर्षों से हमने हर क्षेत्र के लोगों पर भरोसा किया है। यहां कुछ उदाहरण हैं। आठवां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन गोवा में हुआ। कई प्रशांत द्वीप देशों को शामिल करते हुए दूसरा एफआईपीआईसी (फोरम फॉर इंडिया-पैसिफिक आइलैंड्स कोऑपरेशन) शिखर सम्मेलन जयपुर में हुआ।

वैश्विक उद्यमिता शिखर सम्मेलन हैदराबाद में हुआ।
इसी तरह, हमने यह सुनिश्चित किया कि हमारे देश का दौरा करने वाले कई विदेशी नेताओं की मेजबानी केवल दिल्ली के बजाय देश भर में विभिन्न स्थानों पर की जाए। यही दृष्टिकोण जी-20 में भी बड़े पैमाने पर जारी है।
जब तक हमारा जी-20 की अध्यक्षता का कार्यकाल समाप्त होगा, तब तक सभी 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों के 60 शहरों में 220 से अधिक बैठकें हो चुकी होंगी। लगभग 125 राष्ट्रों के एक लाख से अधिक प्रतिभागियों ने भारतीयों के कौशल को देख लिया होगा। हमारे देश में 1.5 करोड़ से अधिक लोग इन कार्यक्रमों में शामिल हुए हैं या इनके कुछ पहलुओं के संपर्क में आए हैं।
इस तरह के प्रत्येक वैश्विक स्तर के कार्यक्रमों ने लॉजिस्टिक्स, आतिथ्य, पर्यटन, सॉफ्ट स्किल्स और परियोजनाओं के निष्पादन जैसे कई क्षेत्रों में क्षमता निर्माण को बढ़ावा दिया है।

यह प्रत्येक क्षेत्र के लोगों के आत्मविश्वास को बढ़ाने वाला है। अब, वे जानते हैं कि वे कुछ विश्व स्तरीय कर सकते हैं। इस क्षमता और आत्मविश्वास को विभिन्न अन्य रचनात्मक प्रयासों में भी लगाया जाएगा जो प्रगति और समृद्धि को आगे बढ़ाएंगे।
इसके अलावा, हम न केवल सभी राज्यों में बैठकें आयोजित कर रहे हैं, बल्कि प्रत्येक राज्य यह भी सुनिश्चित कर रहा है कि वे प्रतिनिधियों के दिमाग पर अपनी अनूठी सांस्कृतिक छाप छोड़ें। इससे दुनिया को भारत की अविश्वसनीय विविधता का अंदाजा भी हो रहा है। मैंने मुख्यमंत्रियों की बैठक के दौरान विभिन्न राज्यों से भी अपील की है कि वे यह सुनिश्चित करें कि प्रत्येक राज्य जी-20 के दौरान वहां की यात्रा करने वाले प्रतिनिधियों और उनके देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत करना जारी रखें। इससे भविष्य में लोगों के लिए बहुत सारे अवसर भी खुलेंगे। इसलिए, जी-20 से संबंधित गतिविधियों के विकेन्द्रीकरण के पीछे एक गहरी योजना है। हम अपने लोगों, अपने संस्थानों और अपने शहरों में क्षमता निर्माण में निवेश कर रहे हैं।

प्रश्न: 2023 के दौरान भारत में पर्यटन से लेकर सेहत, जलवायु परिवर्तन से लेकर स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण से लेकर ऊर्जा पारगमन तक जैसे मुद्दों पर 200 से अधिक बैठकें हुईं। इनमें से कितनी ने आपकी संतुष्टि के अनुरूप ठोस परिणाम दिए हैं। क्या कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां आप देखते हैं कि हम और अधिक कर सकते थे?
उत्तर: इस जवाब के दो पहलू हैं।
पहला यह है कि आपको हमारी अध्यक्षता समाप्त होने के बाद दिसंबर में परिणामों के बारे में मुझसे सवाल पूछना चाहिए। इसके अलावा, आगामी शिखर सम्मेलन की महत्ता को ध्यान में रखते हुए, अभी विवरण बताना मेरे लिए सही नहीं होगा।
लेकिन एक और पहलू है जिसके बारे में, मैं निश्चित रूप से बात करना चाहूंगा। पिछले एक वर्ष में कई महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए गए हैं।
संपूर्ण पृथ्वी को एक परिवार के रूप में एक भविष्य की ओर ले जाने की भावना के अनुरूप काम किया गया जो टिकाऊ और न्यायसंगत हो।

ऐसे कई मुद्दों पर चर्चा की गई है और उन्हें आगे बढ़ाया गया है।
जी-20 में विभिन्न स्तरों पर बैठकें हुई हैं। इनमें एक महत्वपूर्ण प्रकार की मंत्रिस्तरीय बैठक भी शामिल है। यह उच्च-स्तरीय है इसलिए इसमें तत्काल नीतिगत प्रभाव की एक बड़ी संभावना है। मैं आपको मंत्रिस्तरीय बैठकों के कुछ उदाहरण देता हूं।
13 से अधिक मंत्रिस्तरीय बैठकें आयोजित की गई हैं और इनमें कई सफल नतीजों को अंगीकार भी किया गया है।
हमारी अध्यक्षता की प्राथमिकताओं में से एक जलवायु कार्रवाई को लोकतांत्रिक बनाकर इसमें तेजी लाना था। मिशन लाइफ के माध्यम से जलवायु पर जीवन शैली के प्रभाव पर ध्यान केंद्रित करना, इस मुद्दे को वास्तव में लोकतांत्रिक बनाने का एक तरीका है, क्योंकि ग्रह पर सकारात्मक प्रभाव डालने की शक्ति हर व्यक्ति के पास है। विकास मंत्रियों की बैठक में, जी-20 ने सतत विकास के लक्ष्यों और जीवन शैली पर प्रगति में तेजी लाने के लिए कार्ययोजना को अपनाया।

इसी प्रकार, कृषि मंत्रियों ने खाद्य सुरक्षा और पोषण पर ‘डेक्कन’ के उच्च स्तरीय सिद्धांतों को सफलतापूर्वक अपनाया। ये वैश्विक भूख और कुपोषण को कम करने में मदद करेंगे। हमारे टिकाऊ सुपरफूड ‘श्री अन्न’ के लिए हमारे जुनून को देखते हुए, कृषि मंत्रियों ने कृषि के लिए जलवायु-स्मार्ट और डिजिटल दृष्टिकोण के महत्व पर ध्यान केंद्रित करते हुए मोटे और अन्य प्राचीन अनाजों पर अनुसंधान के लिए अंतरराष्ट्रीय पहल भी शुरू की।
महिला सशक्तिकरण पर मंत्रिस्तरीय सम्मेलन ने लिंग आधारित डिजिटल विभाजन को पाटने, श्रम बल की भागीदारी में खामियों को कम करने और नेतृत्व व निर्णय लेने वाले पदों पर महिलाओं के लिए एक बड़ी भूमिका सुनिश्चित करने पर आम सहमति बनाई।
ऊर्जा मंत्रियों ने हाइड्रोजन के लिए उच्च स्तरीय सिद्धांतों पर भी आम सहमति दी है और कई अन्य परिणामों के बीच वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन की स्थापना के लिए नींव रखी है।

पर्यावरण और जलवायु मंत्रियों ने 2040 तक भूमि क्षरण में 50 प्रतिशत की कमी लाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करते हुए उद्योग के नेतृत्व वाले संसाधन दक्षता और चक्रीय अर्थव्यवस्था उद्योग गठबंधन की शुरुआत की दिशा में प्रगति की है।
श्रम और रोजगार मंत्रियों ने सीमाओं के पार कौशल की पारस्परिक मान्यता देने को लेकर व्यवसायों के वर्गीकरण के लिए एक अंतरराष्ट्रीय संदर्भ विकसित करने पर आम सहमति भी बनाई। यह मांग व आपूर्ति को पूरा करने में मदद करेगा और उद्योगों को मानव पूंजी खोजने में मदद करेगा।
व्यापार और निवेश मंत्रियों ने व्यापार दस्तावेज के डिजिटलीकरण के लिए उच्च स्तरीय सिद्धांतों को भी अपनाया है, जिससे व्यापार को बढ़ावा मिलेगा और व्यापार करने में आसानी होगी।
ये केवल कुछ महत्वपूर्ण घटनाक्रम हैं। अन्य क्षेत्रों में भी ऐसी कई और भी उपलब्धियां हैं। आने वाले वर्षों में, ये उस दिशा के लिए निर्णायक साबित होंगे जिस ओर दुनिया जाएगी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।



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