प्रधानमंत्री जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान चीन के साथ मानचित्र का मुद्दा उठाएं : अरुणाचल के विधायक

prime minister narendra modi

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भारत ने मंगलवार को चीन के तथाकथित “मानक मानचित्र” में अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन पर दावा करने पर कड़ा विरोध दर्ज कराया और कहा कि इस तरह के कदम केवल सीमा गतिरोध के समाधान को जटिल बनाते हैं। विदेश मंत्रालय ने इन दावों को “निराधार” करार देते हुए खारिज कर दिया। चीन ने बुधवार को अपने कदम का बचाव करते हुए कहा कि यह उसके कानून के अनुसार एक “नियमित कवायद” है, और भारत से “पूर्वाग्रह से दूर और शांत रहने” और इसका “ज्यादा निहितार्थ” निकालने से बचने को कहा।

अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक निनॉन्ग एरिंग ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अनुरोध किया है कि वह चीन द्वारा अपने नक्शे में अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को अपने क्षेत्र के रूप में दिखाने का मुद्दा अगले महीने नई दिल्ली में होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ उठाएं।
अरुणाचल प्रदेश विधानसभा में ‘पासीघाट वेस्ट’ निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले एरिंग ने दावा किया कि चीन ने पहले भी (भारतीय) क्षेत्रों पर अपना दावा किया है।
मोदी को लिखे एक पत्र में एरिंग ने कहा, “चीन की ओर से इस अप्रत्याशित, दुर्भाग्यपूर्ण लेकिन जानबूझकर की गई घटना ने अरुणाचल प्रदेश के लोगों में गहरी नाराजगी पैदा कर दी है।”
उन्होंने कहा, “यह सामान्य जानकारी है कि चीन ने पहले भी अप्रैल 2023 में 11 स्थानों, 2021 में 15 स्थानों और 2017 में छह स्थानों का नाम बदलकर अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा जताने की कोशिश की है।”

चीन ने सोमवार को आधिकारिक तौर पर अपने “मानक मानचित्र” का 2023 संस्करण जारी किया जिसमें दावा किया गया कि अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन उसका हिस्सा हैं।
एरिंग ने पत्र में लिखा, “……अरुणाचल प्रदेश की पासीघाट वेस्ट सीट का एक निर्वाचित प्रतिनिधि होने के नाते, मैं आपसे अपील करता हूं कि आप चीन द्वारा अपने मानचित्र में एकतरफा बदलाव करने के इस मामले पर आगामी जी20 शिखर सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ चर्चा करें।”
अभी तक हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि चिनफिंग आठ से 10 सितंबर तक होने वाले शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे या नहीं।

भारत ने मंगलवार को चीन के तथाकथित “मानक मानचित्र” में अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन पर दावा करने पर कड़ा विरोध दर्ज कराया और कहा कि इस तरह के कदम केवल सीमा गतिरोध के समाधान को जटिल बनाते हैं।
विदेश मंत्रालय ने इन दावों को “निराधार” करार देते हुए खारिज कर दिया।
चीन ने बुधवार को अपने कदम का बचाव करते हुए कहा कि यह उसके कानून के अनुसार एक “नियमित कवायद” है, और भारत से “पूर्वाग्रह से दूर और शांत रहने” और इसका “ज्यादा निहितार्थ” निकालने से बचने को कहा।

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