प्रदर्शनी में देखा तो आया विचार…अब बाढ़ग्रस्त इलाके में करते हैं इसकी खेती

सत्यम कुमार/भागलपुर : भागलपुर का इलाका चावल, आम और सब्जी के लिए जाना जाता है. पर अब यहां भी खेती में बदलाव आया है. किसान अब परम्परागत खेती से हटकर कुछ नई खेती की तरफ ध्यान दिए हुए हैं. ऐसे में ही भागलपुर के नाथनगर के रहने वाले किसान सच्चिदानंद पपीता की खेती करते हैं. कई फसलों में हुए नुकसान के बाद उन्होंने इस और ध्यान दिया. बाढ़ ग्रस्त इलाका होने के बाद भी 7 माह में काफी मुनाफा होता है.

पपीता की प्रदर्शनी देख मन में आया ख़्याल
किसान सच्चिदानंद ने बताया कि यहां पर सभी लोग मक्का, गेहूं की खेती किया करते थे. उन्होंने बताया कि इसमें अच्छी खासी लागत भी लगती है और मुनाफा भी बहुत कम होता है. ऐसे में मन में विचार आया कुछ अलग हटकर करना चाहिए, तो कुछ दिनों तक टमाटर की खेती की. उसमें भी कुछ खास मुनाफा नहीं हो पता था. क्योंकि हम लोग एक ही सीजन में टमाटर यहां तैयार कर पाते हैं.

उस समय पर टमाटर की कीमत अच्छी खासी नहीं मिल पाती है. इसलिए उसमें भी मुनाफा नहीं होने लगा. एक दिन ऐसे ही सबौर स्थित बिहार एग्रीकल्चर कॉलेज घूमने गया था, वहां पर पपीता की प्रदर्शनी लगी हुई थी. जब पपीता को देखा तो इसके बारे में जानने की इच्छा हुई, तो बीएयू के केवीके में जाकर इसकी जानकारी ली तो पता चला कि पपीता की खेती में अच्छा खासा मुनाफा है, और लागत भी काफी कम होता है.

एक पौधा पर 50 से 60 केजी होता है फल
उन्होंने कहा कि यह बाढ़ ग्रस्त इलाका है. अगर बाढ़ आ जाए तो यह खेती पूरी बर्बाद हो जाती है. लेकिन अगर बाढ़ नहीं आई तो वह 6 से 7 माह में आप एक बीघे से ₹4 लाख कमा सकते हैं. एक पौधे में करीब 50 किलो पपीता फलता है. कम से कम बाजार में कीमत ₹40 किलो होता है. इसलिए इसमें अच्छा खासा मुनाफा है. उन्होंने बताया कि सबसे खास बात यह है कि पपीता कच्चे में ज्यादा कीमत पर बिकता है. मैं बीएयू से पपीता का बीज लाया था. वहां से डंकल जिसे देशला भी कहते हैं लाकर लगाया है. पूरी तरीके से सीख लेने के बाद नए-नए प्रभेद की भी खेती की जाएगी.

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