प्यास, थकान, कब्ज के अलावा घावों का भी इलाज करता है शहद, आयुर्वेद में इसके गुण-दोष, इतिहास और सफर

Shahad kaise khayen aur kab khayen: दुनिया में शहद (Honey) ही एक ऐसा स्वीटनर है, जो नेचुरल है. यह पौष्टिकता और एनर्जी से भरपूर है. यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) को बढ़ाने में कारगर है, ताकि शरीर सामान्य बीमारियों से लड़ने के लिए बल हासिल कर सके. शहद को वजन घटाने में मददगार माना जाता है. आजकल चल रहे एयर पॉल्यूशन से राहत पानी है तो शहद का सेवन करें, राहत जरूर मिलेगी. आयुर्वेद तो हजारों वर्षों से शहद को असरकारी मानता है. आधुनिक विज्ञान भी इसके लाभकारी गुणों से प्रभावित है.

फूड एक्सपर्ट मानते हैं कि शहद उन दुर्लभ खाद्य पदार्थों में से एक है, जिसका सेवन करते ही एकदम से शरीर को एनर्जी मिल जाती है. वैसे तो दुनिया में कई तरह के मानव निर्मित स्वीटनर मौजूद हैं, लेकिन शहद ऐसी मिठास है, जिसकी ‘नकल’ नहीं की जा सकती. इतना तो हो सकता है कि शहद की मक्खी (Honey Bee) को ‘बहला-फुसलाकर’ विभिन्न प्रकार के फूलों के स्वाद का शहद बना लिया जाए लेकिन इसका कोई मेल/प्रतिरूप (Imitation) नहीं बनाया जा सकता. विशेष बात यह भी है कि हजारों वर्ष पुरानी इस मिठास के स्वाद में बड़ा बदलाव भी नहीं हुआ है. यह एक ऐसी प्राकृतिक व अतुलनीय मिठास है, जिसे सीधा ही चाट लें, मिठाई, कुकीज, पुडिंग, टोस्ट, केक आदि में डालकर उसमें अलग ही टेस्ट पैदा कर लें, किसी भी ड्रिंक्स में डालकर उसे स्मूदी बना लें या सलाद तक में डालकर उसे अलग ही रंग में पेश कर दें. यह सब डिशेज में अपना ‘निचोड़’ पेश कर देगा. शहद के कुछ खास गुण इस प्रकार हैं.

1. जानी-मानी आयुर्वेदाचार्य वीना शर्मा कहती है कि आयुर्वेद ने शहद को विशेष माना है. यह प्रकृति की दी गई ऊर्जा है, जो शरीर और मन को पॉजिटिव बनाती है. कुदरत ने बीमारियों से लड़ने के लिए इसमें प्रतिरक्षा सिस्टम डाला है, जो मनुष्य के शरीर को सामान्य बीमारियों से तो बचाता ही है, साथ ही उसे गले के संक्रमण, प्यास, थकान, कब्ज के अलावा घावों का भी इलाज करता है. शहद में एंटीऑक्सीडेंट, रोगाणुरोधी व सूजन-रोधी गुण तो है ही, साथ ही हृदय के सिस्टम को सामान्य बनाए रखने व दिमाग के नर्वस सिस्टम को कूल रखने के उपयोगी है. शहद के इन गुणों पर आधुनिक विज्ञान भी अपनी मुहर लगा चुका है, क्योंकि इसमें पाए जाने वाले प्राकृतिक खनिज विशेष हैं, जो किसी अन्य आहार में नहीं पाए जाते.

2. शहद मे मोटापे को कम करने और शरीर को फिट बनाए रखने के भी गुण पाए जाते हैं. उसका कारण यह है कि शहद शरीर में मेटाबॉलिज्म सिस्टम को बढ़ाता है. यह सिस्टम भोजन को एनर्जी में बदलता है. अगर यह दुरुस्त नहीं रहेगा तो मानसिक व शारीरिक थकान, हाई कोलेस्ट्रॉल, मांसपेशियों में कमजोरी, ड्राई स्किन, वजन बढ़ना, जोड़ों में सूजन, डिप्रेशन का खतरा बढ़ सकता है. सुबह अगर शहद और नींबू मिलाकर गुनगुना पानी पिएंगे तो मोटाबॉलिज्म सिस्टम एकदम से बूस्ट हो जाएगा. अगर शहद और दालचीनी पाउडर को लेंगे तो उससे भी मोटापा नहीं आएगा. रिसर्च यह भी बताता है कि सोने से पहले शहद का सेवन अतिरिक्त वजन कम करने में लाभकारी होता है. पुराने शहद को शरीर के लिए ज्यादा लाभकारी माना जाता है. पुराना शहद कब्ज, चर्बी और मोटापा नष्ट करने वाला माना जाता है.

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3. आयुर्वेद में शहद को गरम कर सेवन करने पर रोक लगाई गई है. आजकल चाइनीज व कुछ कॉन्टिनेंटल डिशेज में गर्म शहद डालकर परोसने का रिवाज है. आयुर्वेद स्पष्ट करता है ऐसा करने पर शहद विष में भी बदल सकता है. उसका कारण है कि शहद को विषयुक्त मक्षिकाएं (मक्खियां) भी तैयार करती है, जब इसे गरम किया जाता है तो यह विष ‘जागृत’ हो जाता है, जो शरीर को हानि पहुंचा सकता है. आयुर्वेद यह भी कहता है कि जो व्यक्ति गर्मी से पीड़ित है, उसे भी मधु (शहद) के सेवन से बचना चाहिए. आयुर्वेद के अनुसार शहद वात कफ रोग का इलाज करता है. नेत्र रोगों, बवासीर, रक्त संबंधी बीमारियां में लाभकारी है. यह आंतों की गतिविधियों को सामान्य बनाए रखता है और अपच को रोकने में कारगर है.

4. भारत में आजकल वायु प्रदूषण का दौर जारी है. इससे बचने के लिए शहद कारगर है. इसमें मौजूद एंटीबैक्टीरियल और एंटीऑक्सीडेंट गुण तमाम तरह की बीमारियों के अलावा खांसी-जुकाम व अस्थमा को रोकने के लिए गुणकारी हैं. इसमें पाए जाने वाले विशेष योगिक श्वसन संक्रमण को रोकते हैं. शहद को अदरक के रस के साथ सेवन किया जाए तो सांसों के किसी भी प्रकार की परेशानी से बचा जा सकता है. शहद को स्किन के लिए भी बेहतर माना जाता है और यह बालों को भी पोषण प्रदान करता है. असल में शहद में पाए जाने वाले खास तरह के विटामिन्स व मिनरल्स इसे विशेष बनाते हैं, जो स्किन व बालों को पोषण देते हैं. चोट या छोटा मोटा जलने पर शहद का लेप लगा लिया जाए तो यह तुरंत राहत प्रदान करता है.

शहद का इतिहास और सफर

शहद के इतिहास को वर्षों में नहीं गिना जा सकता. असल में दुनिया में जब से कीट-पतंगे हैं, तब से शहद है. यह दुनिया के लिए इतना महत्वपूर्ण है कि कई धर्मों में इसकी विशेषताएं गिनाई गई हैं. हिंदू धर्म में शहद पूजा/ धार्मिक अनुष्ठान में प्रयोग होने वाले पांच खाद्य पदार्थों (पंचगव्य) में से एक है. वेद पुराणों में भी इसकी महिमा है. ईसाइयों के धर्मग्रंथ बाइबल में इसे बुद्धि और आत्मा के लिए लाभकारी माना गया है. इस्लामिक धर्म ग्रंथ कुरान में अल नहल (शहद की मक्खियां) नाम से एक पूरा चैप्टर है, जिसमें शहद का गुणगान है. प्राचीन मिस्र में शवों के ममीकरण में शहद का उपयोग किया जाता था. भारत में हजारों वर्ष पूर्व लिखे गए आयुर्वेदिक ग्रंथों ‘चरकसंहिता’ व ‘सुश्रतसंहिता’ में आठ प्रकार के शहद की जानकारी व उनके गुणों की जानकारी दी गई है. वाग्भट्ट के ‘अष्टांगहृदयम्’ ग्रंथ में शहद का उपयोग घाव को साफ करने व भरने के लिए किया जाता है. आज पूरी दुनिया शहद का लोहा मानती है. बड़ी बड़ी कंपनियां शहद को बेच रही हैं. आम घरों में भी शहद अब दिख जाता है.

Tags: Eat healthy, Food, Health, Lifestyle

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