पौषबड़ा का ग्रहों से है खास संबंध, इस दिन अपने आराध्य को लगाएं ये खास भोग, पूरी होगी हर मनोकामना!

राहुल मनोहर/ सीकर. आपके आसपास पौषबड़ा वितरण का आयोजन हर साल होता होगा. या फिर कभी ना कभी इस वितरण प्रक्रिया को देखा जरूर होगा. लेकिन, क्या आपको पता है कि पौषबड़ा का वितरण क्यों किया जाता ह. यह अयोजन पौष‌ के महीने में ही क्यों दिखते है. आखिर, क्यों गरम-गरम दाल के पकोड़े व हलवे का भोग अलग अलग जगह अपने-अपने आराध्य देव को लगाते हैं और लोग बड़े चाव से इसे क्यों आने जानें वाले लोगों को प्रसादी के रूप में वितरित करते हैं. नहीं पता तो हम बताते हैं आपको…

पौषबड़ा महोत्सव एक ऐसा उत्सव है जो हिंदू पंचांग के पौष महीने में राजस्थान के विभिन्न शहरों और गांवों में बड़े उत्सव के साथ मनाया जाता है.जयपुर और सीकर में पौष बड़ा महोत्सव का आयोजन रियासतकाल से होता आ रहा है.अब तो यह राजस्थान के लगभग हर गांव और शहर में आयोजित होने लगा है. बड़ा महोत्सव को मनाने के लिए पौष मास के किसी भी दिन का चयन अपनी इच्छा अनुसार करके अपने आराध्य देव को दाल के पकोड़े और गर्म हलवे का प्रसाद चढ़ाया जाता है.

पौषबड़ा की सामग्री का ग्रहों से संबंध
धार्मिक मान्यता के अनुसार पौष मास दान करने के लिए बहुत अच्छा माना जाता है. पंडित घनश्याम शर्मा ने बताया कि पौषबड़ा में इस्तेमाल होने वाली सामग्री का ग्रहों से संबंध माना जाता है जैसे तेल का शनि ग्रह, मिर्च का मंगल ग्रह, जीरा और धनिया का बुध ग्रह, गेहूँ का चंद्रमा और पृथ्वी तथा शुक्र ग्रह का शक्कर से संबंध है.इसलिए लोग दान पुण्य करने के लिए और ग्रह दोष को दूर करने के लिए अपने आराध्य देव को पौषबड़ा का भोग लगाया जाता है. इसी पौषबड़ा को लोगों को वितरण भी किया जाता है. यही कारण कि लोग अपने ग्रहों की स्थिति ठीक करने व दान पुण्य करने के लिए पौषबड़ा महोत्सव का आयोजन करते हैं.

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