पौराणिक महत्व वाला है यह दिगंबर जैन मंदिर, चंद्रगुप्त मौर्य से जुड़ा है इसका इतिहास…

उधव कृष्ण/पटना. पटना के प्राचीन जैन मंदिरों में से एक कमलदह दिगंबर जैन मंदिर शुरू से जैन मुनियों के आकर्षण का केंद्र तो रहा ही है, साथ ही इस मंदिर का मौर्यकाल से भी इतिहास जुड़ा है. बिहार के जाने- माने इतिहासकार और शिक्षक डॉ. एम रहमान की माने तो ऐसे कई प्रमाण मिलते हैं जिससे यह सिद्ध होता है कि कभी मौर्य और जैनियों में बहुत गहरा संबंध रहा होगा.हालांकि, गुलजारबाग स्थित कमलदह दिगंबर जैन सिद्ध क्षेत्र के प्रबंधक सोनू कुमार बताते हैं कि इस मंदिर का निर्माण 1729 ई में किया गया था.

कमल के फूलों से घिरा था क्षेत्र

जैन मंदिर के प्रबंधक सोनू कुमार जैन की माने तो जिस समय मंदिर का निर्माण यहां पर हुआ था, उस दौरान इस जगह पर बहुत सारे तालाब हुआ करते थे. कमल के फूलों से घिरे होने के कारण इस जगह का नामकरण कमलदह मंदिर पड़ा. सोनू आगे बताते हैं कि यह मंदिर दिगंबर जैन महामुनि सेठ सुदर्शन के निर्वाण स्थली के रूप में प्रसिद्ध हुआ. मंदिर में सुदर्शन मुनि के चरण श्याम पाषाण भी स्थापित हैं.

इस प्रकार जुड़ा है मौर्यकाल से इसका इतिहास

इतिहासकार डॉ. गुरु रहमान बताते हैं कि मौर्य काल में वर्तमान कुम्हरार क्षेत्र मौर्य शासक चंद्रगुप्त की राजधानी हुआ करती थी, जो पटना सिटी और गुलजारबाग से सटी हुई थी. उस समय मंदिरों का निर्माण नहीं हुआ था पर मूर्तियां थीं, जिसका दर्शन चंद्रगुप्त मौर्य भी करने आते थे. बता दें कि चंद्रगुप्त मौर्य का झुकाव शुरू से जैन धर्म में रहा.

यही कारण है कि उन्होंने अपने अंतिम क्षण में कर्नाटक के श्रवणबेलगोला में संलेखना विधि से अपने प्राण का त्याग किया था. गुरु रहमान की माने तो हेमचंद्र की प्रसिद्ध रचना पलवन में इसका जिक्र मिलता है. इसके अलावा वे आगे बताते हैं कि जैन धर्म की पुस्तक ओवाई सूत्र और भगवती सूत्र से यह भी प्रमाण मिलता है कि पटना सिटी और गुलजारबाग में जैनियों की अच्छी आबादी रहती थी. यहां तक कि गुरु गोविंद सिंह से जुड़े गुरुद्वारे की जमीन भी जैनियों ने ही दान में दी थी.

Tags: Bihar News, Local18, PATNA NEWS

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *