अनुज गौतम/सागर. एक छोटे से गांव से निकले सत्यनारायण मौर्य अब तक 59 बार अमेरिका और 32 बार वेस्टइंडीज की यात्रा कर चुके हैं. बाबा के नाम से प्रसिद्धि सत्य नारायण मौर्य ने गांव की मंडली में ढोलक और तबला बजाने से शुरुआत की थी, लेकिन आज पूरी दुनिया उनके कार्यक्रमों की दीवानी है.
अमेरिका वेस्टइंडीज के अलावा वह तिब्बत, चीन, मॉरीशस, नेपाल, भूटान जैसे कई देशों में अपने हुनर का जलवा बिखेर चुके हैं. इस बीच वह स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने की अपील करने सागर पहुंचे. 60 साल के बाबा ने 24 साल के युवकों के जैसा जोश दिखाया है. वह अपनी प्रस्तुति के दौरान मंच पर दौड़-दौड़ कर कला दिखाते रहे. लोग तालियां बजाते रहे.
ढोलक बजाने से शुरुआत हुई, अब लाखों फैन
मध्य प्रदेश के सबसे पिछड़े जिलों में गिने जाने वाले राजगढ़ में बाबा का जन्म हुआ. इनके पिता शिक्षक थे. सत्यनारायण मौर्य को पढ़ाई के दौरान धार्मिक कार्यक्रमों से लगाव हुआ और वह गांव की मंडलियों में भजन, सुंदरकांड, रामायण पाठ जैसे कार्यक्रमों में पहुंचने लगे. यहां उन्होंने ढोलक, हारमोनियम, तबला, मंजीरा बजाना सीखा. बाबा के भाई-बहन भी शिक्षक बने. पोस्टग्रेजुएट बाबा गोल्ड मेडलिस्ट रहे हैं, लेकिन शिक्षक बनने की जगह उनका राम मंदिर आंदोलनों की तरफ झुकाव हो गया. वह दीवारों पर पेंटिंग करने लगे चित्रकारी करने लगे. इसी दौरान उनके द्वारा दिया गया एक नारा ” राम लला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे” खूब चर्चाओं में रहा.
बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं बाबा
दरअसल, सागर के पीटीसी ग्राउंड में 8 दिवसीय स्वदेशी मेले का आयोजन किया गया, जिसमें देश भक्ति के गीतों की प्रस्तुति देने विश्व प्रसिद्ध बाबा सत्य नारायण मौर्य कार्यक्रम में शामिल हुए थे. प्रस्तुति के दौरान उनका गायक, म्यूजिशियन, चित्रकार, मोटिवेशनल स्पीकर वाला अंदाज एक ही मंच पर एक साथ दिखाई दिया. उन्होंने अपनी प्रस्तुति के दौरान खुद के द्वारा रचित देश भक्ति से ओत प्रोत गीत सुनाए. इनके साथ-साथ चित्रकारी भी देखने को मिली. वहीं उन्होंने लोगों से बच्चों को मोबाइल से दूर रखने और स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने की अपील की.
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FIRST PUBLISHED : February 27, 2024, 13:21 IST