लखेश्वर यादव/ जांजगीर चांपा : आज हम आपको आयुर्वेद में हरड़ के औषधीय गुण के बारे में बता रहे है. जिसको छत्तीसगढ़ में हर्रा बोलते है. इसका पेड़ प्रायः जंगलों में पाया जाता है. हर्रा का पेड़ 80-100 फुट तक ऊंचा और काफी मोटा होता है. हरड़ (हर्रा) फल छोटे 1-2 इंच लम्बे, अंडाकार, इसके पृष्ठ भाग पर पांच रेखायें पाई जाती है. आयुर्वेद चिकित्सक ने इसके औषधीय गुण के बारे में बताया है.
जांजगीर जिला हॉस्पिटल के आयुर्वेद डॉक्टर फणींद्र भूषण दीवान ने बताया कि छत्तीसगढ़ और भारत के मध्य क्षेत्र में हरड़ (हर्रा ) बहुतायत मात्रा में मिलता है. वनों में इसकी वृक्ष की प्रचुरता है. और बताया की आयुर्वेद में इसके बहुत सारे गुण बताए गए है जैसे कि खास तौर पर पेट संबंधी बीमारियों में इसका प्रयोग रहता है. किसी का अगर पेट साफ नहीं हो रहा है तो इसका उपयोग से पेट साफ होता है. लीवर के फंक्शन को सही करता है.
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मनुष्य के लिए हितकारी
डॉक्टर दीवान ने बताया कि हर्रा के बारे में ये कहा गया है कि जिस प्रकार माता अपने बच्चों के लिए हितकारी होती है. उसी प्रकार की हर्रा भी पेट में जाने के बाद मनुष्य के लिए हितकारी होता हैं. इसी प्रकार खांसी के भी इसका बहुत ही फायदेमंद है.
खांसी आने पर हरड़ (हर्रा) को आग में भूनकर सेंधा नमक के साथ खाने पर खांसी और श्वसन संबंधी बीमारियों में बहुत आराम मिलता है. सामान्य तौर पर शरीर की वृद्धि के लिए पोषण के लिए पुष्ट करने के लिए यह रसायन औषधीय का काम करता है. इसके साथ ही हर्रा को बहेरा और आंवला के साथ मिलाने पर त्रिफला नाम की औषधीय तैयार होता है. जो बहुत ही गुणकारी होता है. आमतौर पर त्रिफला का उपयोग सभी करते है.
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FIRST PUBLISHED : February 16, 2024, 12:11 IST
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