पूरे देश में इस रेयर ब्लड ग्रुप के डोनर सिर्फ 400 लोग, बिहार की बच्ची की जान बचाने महाराष्ट से आया शख्स

उधव कृष्ण/पटना. कहते हैं रक्तदान महादान होता है. चाहे पहचान का हो या फिर बिना पहचान के, लोगों की जान बचाने के लिए कोई भी रक्तदान कर देता है. ब्लड ग्रुप मुख्यतया 4 ग्रुप A, B, AB और O होते हैं. जब भी किसी को ब्लड की जरूरत होती है, तो इसी में से किसी एक ग्रुप का दिया जाता है. लेकिन क्या आपको पता है कि एक ऐसा भी ब्लड ग्रुप है, जिसके देशभर में मात्र 400 लोग ही रजिस्टर्ड डोनर हैं. जी हां, यह सच है. यही कारण है कि जब PMCH में भर्ती एक लड़की को इस ग्रुप के ब्लड की जरूरत हुई, तो उसकी जान बचाने महाराष्ट्र से चलकर एक व्यक्ति आया.

हाल ही में मिला एक और केस

पीएमसीएच के वरिष्ठ चिकित्सक और बिहार स्टेट ब्लड बैंक के चीफ मेडिकल ऑफिसर के रूप में कार्य कर चुके ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन के स्पेशलिस्ट डॉ. उपेंद्र सिन्हा बताते हैं कि बिहार की 14 साल की अलीशा परवीन को नया जीवन मिला है. अलीशा का ब्लड बॉम्बे ब्लड ग्रुप का है. डेंगू होने पर जब उसे ब्लड की जरूरत पड़ी, तो उसे O ग्रुप का ब्लड चढ़ाया गया. इसके बाद उसकी हालत और बिगड़ गई. फिर ब्लड रिपोर्ट्स में यह खुलासा हुआ कि उसका ब्लड कोई सामान्य ग्रुप का नहीं है.

मां ब्लड बैंक की पहल पर अलीशा की जान बचाने को नान्देड़ (महाराष्ट्र) से लंबी यात्रा तय कर माधव पटना पहुंचे और एम्स में आधी रात को रक्तदान किया. माधव का ब्लड भी बॉम्बे ब्लड ग्रुप का है. डॉ. उपेंद्र ने बताया कि 140 करोड़ देशवासियों में बॉम्बे ब्लड ग्रुप के मात्र 400 लोग ही रजिस्टर्ड डोनर हैं. इसके ज्यादातर डोनर महाराष्ट्र के ही हैं.

ऐसे पड़ा नाम

दरअसल, केईएम अस्पताल मुंबई में साल 1952 में तीन डॉक्टरों की टीम ने इस रेयर ब्लड ग्रुप की खोज की थी. इस कारण इसका नाम बॉम्बे ब्लड ग्रुप रखा गया. डॉ. उपेंद्र की मानें तो उन्होंने अपने कार्यकाल में पीएमसीएच में कुल 5 मरीज और 1 मरीज इस ब्लड बैंक सेंटर में चिन्हित किया. बता दें कि बिहार में इस ग्रुप के एक भी डोनर नहीं है. इसका वैज्ञानिक नाम आर.एच.नल ब्लड ग्रुप है. यह ब्लड ग्रुप सिर्फ उस व्यक्ति के शरीर में मिलता है, जिसका आरएच फैक्टर आरएच होता है. 40 लाख लोगों में से किसी एक में इस ग्रुप का खून पाया जाता है.

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