उमेश मौर्य
बिलासपुर. छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में एक ऐसा गांव है जहां हर रोज धमाका होता है. ब्लास्टिंग की वजह से 50 से अधिक गांव दहशत में हैं. इलाके में गूंजती धमाकों की आवाज से सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण पूरी रात इस आशंका में गुजार देते हैं कि कहीं उनके घर की दीवार दरकने से जानमाल का नुकसान न हो जाए. धमाकों से दहशत वाले गांव तक न्यूज 18 की टीम पहुंची और जानने की कोशिश की आखिर ये धमाका क्यों और किस लिए कर रहा है. धमके की आवाज इतना तेज होती है कि आसपास के पूरे 50 गांव सहम जाते हैं. ये धमाका न तो आतंकवदियों का है और न ही नक्सलियों का.
यह धमका है अवैध तरीके से चुना पत्थर और डोलोमाइट की खदानों को खोदने वाले खनिज माफियाओं का जो बेखौफ होकर खदानों में डेटोनेटर लगार ब्लास्टिंग कर रहें है. दरसअल बिलासपुर जिले के मस्तूरी इलाके में 20 से 35 से अधिक खदानों का संचलन किया जा रहा है, जबकि इन खदानों की लीज समाप्त हो गई है, उसके बाद भी यहां अवैध तरीके से अधकारियों से सांठगांठ कर खदानों में बड़े पैमानों पर डेटोनेटर लगाकर सुबह से लेकर रात तक ब्लास्टिंग करते है जिसकी वजह से इस इलाके के 50 से अधिक गांवों में रहने वालों के लिए मुसीबत का पहाड़ बन गए है.
दहशत में कई गांव
ड़ताल के दौरान कोसमडीह गांव का एक भी ऐसा मकान नही दिखा जिसमें दरारे न हो. ब्लास्टिंग के दौरान बूढ़े, बच्चे से लेकर जवान तक घर के बाहर डरे और सहमे हुए दिखाई दिए. इन ग्रामीणों ने कई मरतबे जनप्रतिनिधियों और जिला प्रशासन से शिकयत भी की है, लेकिन उसके बाद इनकी समस्या का कोई हल नहीं निकल पाया. यही कारण है कि बीते सोमवार को खदान में ब्लास्टिंग की वजह से कोसमडीह प्राथमिक शाला के छत का प्लास्टर नीचे पढ़ रहे सैकड़ों बच्चों के ऊपर गिरा, जिससे 2 बच्चियों को चोट आई है.
नियम यह कहता है कि अगर ढाई एकड़ जमीन की खोदाई करते है तो केवल 15-20 मीटर गहराई तक खदानों को खोदा जा सकता है. लेकिन जब हमारी टीम ग्राउंड जीरो पर पहुंची तो जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही थी. यहां 100 से 150 मीटर तक की खोदाई कर दी गई है, जबकि कई खदानों लीज भी खत्म हो गई है, उसके बाद बेखौफ, बेवक्त अवैध धमका कर पत्थर माफियां अपनी तिजोरी भरने के चक्कर में सरकार का राजस्व का नुकसान तो कर ही रहें. साथ ही सैकड़ों ग्रामीणों के जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. हालत ये है कि इलाके का ग्राउंड वाटर लेवल भी कम होता जा रहा है. आने वाले दिनों में यहां पीने के पानी की समस्या भी होगी. हाईकोर्ट ने पहले ही अवैध खदानों में हो रहे खनिज उत्खनन और बौर परिवहन पर शिकंजा कसने छत्तीसगढ़ खनिज साधन विभाग को निर्देशित किया है, लेकिन उसके बाद भी खनिज विभाग ध्यान नहीं दे रहा है, जिसकी वजह खनिज माफियों के हौसले बुलंद है.
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FIRST PUBLISHED : February 2, 2024, 17:03 IST