पुलिस अधिकारी के परिवार के लिए 50 लाख रुपये की अनुग्रह राशि की घोषणा की, उग्रवादियों ने की थी हत्या

मणिपुर में तेंगनौपाल जिले के मोरेह में संदिग्ध आदिवासी उग्रवादियों ने मंगलवार को एक उपमंडल पुलिस अधिकारी (एसडीपीओ) की गोली मारकर हत्या कर दी।
मणिपुर की कैबिनेट ने एक आपातकालीन बैठक की और एसडीपीओ चिंगथम के परिजनों के लिए 50 लाख रुपये की अनुग्रह राशि मंजूर की।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इम्फाल के हाओबाम मराक इलाके के निवासी चिंगथम को मोरेह में उग्रवादियों द्वारा तब घात लगाकर गोली मार दी गई, ‘‘जब वह पुलिस और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) द्वारा एक हेलीपैड के संयुक्त रूप से निर्माण के लिए ईस्टर्न शाइन स्कूल के मैदान की सफाई की देखरेख कर रहे थे।’’
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘एसडीपीओ को मोरेह के एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया जहां उन्होंने दम तोड़ दिया।’’

इस कायरतापूर्ण कृत्य की निंदा करते हुए, कैबिनेट ने जान गंवाने वाले पुलिसकर्मी के परिजनों को उचित सरकारी नौकरी प्रदान करने का भी निर्णय लिया।
कैबिनेट ने सुरक्षा बलों को अपराध के लिए जिम्मेदार अपराधियों को गिरफ्तार करने के लिए मोरेह और उसके आसपास के इलाकों में एक संयुक्त अभियान शुरू करने का निर्देश देने का फैसला किया। कैबिनेट ने इस पर ‘‘गौर किया कि इस उद्देश्य के लिए इम्फाल से अतिरिक्त राज्य बलों को तैनात किया गया है। अभियान तब से शुरू हो गए हैं।’’
कैबिनेट ने केंद्रीय और राज्य बलों को पल्लेल-मोरेह सड़क राष्ट्रीय राजमार्ग-102 पर वाहनों की मुक्त आवाजाही सुनिश्चित करने का निर्देश दिया, जो इम्फाल घाटी को लगभग 110 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सीमावर्ती शहर से जोड़ता है।
कैबिनेट ने इसके साथ ही निर्णय लिया कि ‘‘भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ के तहत शहर की रणनीतिक स्थिति को देखते हुए, मोरेह में या उसके आसपास अवैध शस्त्र वाले किसी भी कर्मी को अनुमति नहीं दी जाएगी।’’

कैबिनेट ने ‘वर्ल्ड कुकी-ज़ो इंटेलेक्चुअल काउंसिल (डब्ल्यूकेजेडआईसी) को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम 1967 की धारा 3 के तहत एक गैरकानूनी संगठन के रूप में सिफारिश करने की भी मंजूरी दे दी।
कैबिनेट की ओर से यह उल्लेख किया गया कि फसल कटाई के मौसम से पहले नवंबर में दो संघर्षरत समुदायों के बीच एक और टकराव की आशंका के बाद संगठन ने हाल ही में कुकी-ज़ो समुदाय से हथियार और गोला-बारूद जमा करने का आह्वान किया था।
तीन मई को राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 180 से अधिक लोगों की जान चली गई है, जब मेइती समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च आयोजित किया गया था।
मणिपुर की आबादी में मेइती लोगों की जनसंख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं। आदिवासियों में नगा और कुकी शामिल हैं।

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