नरेंद्र मोदी वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी से सांसद चुने गए थे। इसके बाद से ही इस शहर का नये सिरे से कायाकल्प होना शुरू हो गया। बीते नौ साल में पीएम के 41 दौरों ने काशी की सूरत बदल दी है। अपनी पुरातन काया के साथ बनारस ने विकास की नई ऊंचाइयां पाई हैं। कोरोना काल में जब पूरी दुनिया के विकास की रफ्तार थम गई थी, उस वक्त भी बनारस में विकास परियोजनाएं गतिमान रहीं। पीएम मोदी के प्रयासों और विकास योजनाओं के बदौलत ही बनारस का यह नया रूप दुनिया के सामने आया है।
पीएम मोदी के बारे में देशवासियों को जानने के बारे में काफी उत्सुकता रहती है। खासकर काशीवासियों को पीएम मोदी से ज्यादा लगाव है, वैसे ही पीएम मोदी का भी काशी से बेहद लगाव है। वह बीते नौ साल में वाराणसी का 41 बार दौरा कर चुके हैं। 42वें दौरे पर 23 सितंबर को आने वाले हैं। हर दौरे में पीएम मोदी वाराणसी के विकास के लिए काशीवासियों को करोड़ों की सौगात दे देते हैं।
नरेंद्र मोदी के बनारस का सांसद और देश का प्रधानमंत्री बनने से पहले तक बनारस में भी दुश्वारियों का पहाड़ था। दूसरे शहरों की तरह यहां भी बदइंतजामी थी, सड़कें जर्जर, बिजली-पानी का संकट, कुंड-तालाब कब्जे में वगैरह-वगैरह। समय ने करवट ली और यह कहना गलत नहीं होगा कि बड़े ही कम समय में भी किसी शहर में बड़ा बदलाव लाए जा सकने की बनारस एक जीती-जागती मिसाल है।
पीएम मोदी की चाहत के अनुरूप विकास की ओर बढ़े कदमों ने शहर में लटकते बिजली के तारों को गायब कर दिया। आईपीडीएस की सौगात से शहर की कई कालोनियों और मुहल्लों में बिजली के तार भूमिगत हो गए। काशी की प्राचीनता से मेल खाते लैंप पोस्टों (हेरिटेज पोल) से निकलती दूधिया रोशनी आपको पूरे शहर में दिखेगी। वर्तमान में बदलते बनारस की तस्वीरें इस बात की तस्दीक करती है कि आज जो है, वो कल से बेहतर है, और कल जो होगा, आज से भी शानदार होगा।
पीएम मोदी वाराणसी में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रैंक वॉल्टर के अलावा कई दिग्गजों को घुमा चुके हैं। इसके अलावा 2019 में प्रवासी भारतीय सम्मेलन और 2023 की शुरुआत में काशी-तमिल संगमम के साथ ही हालिया संपन्न जी-20 सम्मेलन की छह बैठकों से काशी का मान देश दुनिया में बढ़ा।