पिथौरागढ़ में हवाई सेवा तो दूर रोडवेज का भी बुरा हाल, टैक्सी से महंगे सफर को मजबूर जनता

हिमांशु जोशी/ पिथौरागढ़. पहाड़ों की लाइफलाइन उत्तराखंड रोडवेज एक बार फिर चर्चाओं में है, जिसकी वजह बसों को समय से टायर न मिल पाना है. टायरों के अभाव में उत्तराखंड परिवहन निगम के पिथौरागढ़ डिपो में लगभग 22 बसें बीते एक महीने से वर्कशाप में खड़ी धूल फांक रही हैं. नए टायर नहीं मिलने से विभिन्न रूटों में बसों का संचालन नहीं हो पा रहा है, जिसकी वजह से जहां एक ओर परिवहन निगम को लाखों का घाटा उठाना पड़ रहा है, तो वहीं दूसरी ओर यात्रियों को भी बसों की कमी के चलते टैक्सी आदि से सफर करना पड़ रहा है, जो उनकी जेब पर असर डाल रहा है.

हवाई सेवा तो दूर बसों की हालत भी खराब

सीमांत जिले पिथौरागढ़ में हवाई सेवा को लेकर राजनीति चरम पर है, लेकिन रोडवेज की खस्ता हालत की ओर किसी का ध्यान नहीं है. जिले से हर रोज मात्र 20 गाड़ियां दिल्ली-देहरादून के अलावा अन्य बड़े शहरों के लिए रवाना हो रही हैं. रोडवेज के पास वाहनों की भारी कमी के चलते अधिकांश यात्रियों को महंगा किराया देकर टैक्सियों से सफर करना पड़ रहा है.

पिथौरागढ़ डिपो के पास मात्र 57 बसें

उत्तराखंड परिवहन निगम के सहायक महाप्रबंधक राजेंद्र कुमार ने कहा कि पिथौरागढ़ जनपद में रोडवेज बसों की संख्या मात्र 57 रह गई है. पांच साल पहले तक रोडवेज के पास लगभग 100 बसें थीं. बसों की संख्या घट जाने से जिला मुख्यालय से हर रोज केवल 20 बसें ही संचालित हो रही हैं. दिल्ली, देहरादून, लखनऊ जाने वाली बसों को अपना रूट पूरा करने में तीन दिन का समय लगता है. पिथौरागढ़ जनपद से हर रोज बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों के जवान, बडे़ महानगरों में उच्च शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा ले रहे बच्चों और व्यापारी सफर करते हैं. बसों की संख्या नाम मात्र की होने से अधिकांश लोगों को टैक्सियों से ही महंगा सफर करना पड़ता है.

दो महीने में 6 बार हुआ ब्रेक फेल

गौरतलब है कि वर्तमान में डिपो के पास उपलब्ध 57 बसों में से भी अधिकांश की हालत खस्ता है. कई बसें पांच लाख किलोमीटर से अधिक चल चुकी हैं. पुरानी बसों में आए दिन ब्रेक फेल सहित तमाम समस्याएं आ रही हैं. पिछले दो माह में ही बसों के ब्रेक फेल होने के आधा दर्जन मामले हाे चुके हैं.

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