कृष्णा कुमार गौड़/जोधपुर. डॉ. संपूर्णानंद मेडिकल कॉलेज के आधीन जोधपुर के मथुरादास माथुर हॉस्पिटल में पहली बार पित्त की नली पथरी का दूरबीन पद्धति से सफल ऑपरेशन किया गया है. एमडीएम अस्पताल के अधीक्षक डॉ. नवीन किशोरिया ने बताया कि बाड़मेर निवासी 63 वर्षीय एक बुजुर्ग पेट दर्द और बार-बार पीलिया होने से परेशान था. सीनियर प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष सर्जरी विभाग डॉ. भारती सारस्वत ने मरीज की पीड़ा को समझते हुए चेकअप कर अपनी यूनिट में भर्ती किया. जांच में मरीज के पित्त की नली और थैली में पथरी पाई गई.
प्रोटोकॉल के अनुसार मरीज को गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में एंडोस्कोपी द्वारा पथरी निकलने के लिए भेजा गया, लेकिन पथरियों की अधिक संख्या और बड़े होने के कारण उन्हें एंडोस्कोपी से निकालना संभव नहीं था इसलिए गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग ने नली में स्टेंट डालकर ऑपरेशन (सीबीडी एक्सप्लोरेशन) द्वारा पथरियां निकलने की सलाह के साथ सर्जरी विभाग में भेजा. आज तक यह ऑपरेशन चीरा लगाकर ओपन पद्धति से ही किया जा रहा था. डॉ.एसएन मेडिकल कॉलेज के सर्जरी विभाग में यह अपनी तरह का पहला उदाहरण है. डॉ.शूर सिंह ने बताया कि सामान्यतः पित्त की नली में 45 पथरियां होती हैं लेकिन जब उन्होंने निकलना शुरू किया तो उनकी टीम हैरान रह गई, इस मरीज की पित्त की नली से एक एक करके करीब 80 पथरियां निकाली गई. यूरोलॉजी विभाग से यूरेटेरोस्कोपी (लंबी दूरबीन) का इस्तेमाल कर पित्त की नली द्वारा लिवर के अंदर तक जाकर सारी पथरियों को निकाला गया.
ऑपरेशन हुआ सफल
डॉ. भारती सारस्वत ने बताया कि दूरबीन से यह ऑपरेशन करना चुनौतीपूर्ण होता है और इसमें काफी दक्षता की जरूरत होती है. डॉ.शूर सिंह सिसोदिया ने पहले भी दूरबीन द्वारा एक चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन किए हैं. जिसमें मरीज की पित्त की थैली दायीं ओर न होकर बायीं ओर थी. डॉ. नवीन ने बताया कि मरीज का ऑपरेशन आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत बिल्कुल मुफ्त किया गया. ऑपरेशन के पश्चात मरीज़ पूर्णतया स्वस्थ है. सर्जरी विभाग के डॉ.अवधेश शर्मा, डॉ महेंद्र राठी, डॉ थानाराम पटेल, डॉ शुभम चौबे, एनेस्थीसिया विभाग की डॉ गीता सिंगारिया, डॉ भारत, डॉ चेतन, डॉ इरशाद, ओटी स्टाफ सुमेर सिंह, अब्दुल, रेखा सहयोग रहा.
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FIRST PUBLISHED : February 4, 2024, 23:39 IST