पितृ मोक्ष के दिन शनि अमावस्या का शुभ संयोग, इस विधि से करें पूजा खत्म हो जाएगी शानि की साढ़ेसाती

प्रवीण मिश्रा ,खंडवा : पितृमोक्ष अमावस्या का दिन पितरों के निमित्त तर्पण, श्राद्ध कर्म करने के लिए विशेष माना जाता है. इस दिन पितरों के निमित्त तर्पण करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है. इस बार पितृमोक्ष अमावस्या के साथ-साथ शनिश्चरी अमावस्या का भी शुभ संयोग भी बन रहा है जो 14 अक्टूबर दिन शनिवार को मनाई जा रही है. यह दिन शनिश्चरी अमावस्या का तथा शनि आराधना, पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण, स्नान दान के लिए शुभ माना गया है.

दोनों अमावस्या के संयोग से इस साल पितृमोक्ष अमावस्या का महत्व और बढ़ गया है. पंडित राजेश पाराशर ने बताया कि इस बार सर्वपितृ अमावस्या के दिन शनिश्चरी अमावस्या का संयोग भी बन रहा है इस दिन तर्पण और पिंडदान करने से सात पीढ़ी के पूर्वज तप्त हो जाते हैं. शनिश्चरी अमावस्या के दिन इन कामों का पुण्य अधिक बढ जाता है साथ ही शनि के ढैय्या और साढ़ेसाती से मिल रही पीड़ा में कमी आती है.

शनि अमावस्या पर कैसे करें पूजा
पंडित राजेश पाराशर ने बताया कि सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें. नहाने के बाद तांबे के लोटे में जल लेकर और उसमें चावल और फूल डालकर सूर्य देव को जल चढ़ाए अर्घ्य दें. उसके बाद पीपल के पेड़ का पूजन कर घी का दीपक जलाएं. फिर पितरों का ध्यान कर पीपल के पेड़ में जल में काले तिल, चीनी, चावल और फूल डालकर अर्पित करें और ऊं पितृभ्य: नम: मंत्र का जाप करें. वही शनि अमावस्या पर शनि देव को सरसों का तेल और काले तिल अर्पित करें. भगवान शनि के शनैश्चराय नमःमंत्र का जाप कार शनि चालीसा का पाठ करें.

.

FIRST PUBLISHED : October 12, 2023, 09:39 IST

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *