पितृपक्ष में भूलकर भी न करें मांगलिक कार्य, वंश पर पड़ता है अशुभ प्रभाव! ज्योतिषी से जानें सब

परमजीत कुमार/देवघर. 30 सितंबर से पितृपक्ष की शुरुआत होने जा रही है. पुरे 15 दिनों तक पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की शान्ति के लिये पिंडदान, तर्पण, ओर श्राद्ध किया जाएगा. मान्यता है कि पूरे एक वर्ष में यही 15 दिन ऐसा होता है, जब पितृ धरती पर आते हैं. भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथी से शुरुआत होकर अश्विन माह के अमावस्या तक यह पितृपक्ष चलता है.

जिन परिवार के सदस्यों का देहांत हो जाता है, उन्हें पितृ मानते हैं. इन 15 दिनों में पितृ धरती पर आकर अपने लोगों को आशीर्वाद देते हैं. वहीं पितृपक्ष जैसे ही शुरू होता है सभी प्रकार के मांगलिक कार्य वर्जित हो जाते हैं. आइए देवघर के ज्योतिषाचार्य से जानते हैं कि पितृपक्ष के दिनों में क्या वर्जित होता है और क्यों?

क्या कहते हैं ज्योतिषआचार्य ?
देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य पंडित नन्दकिशोर मुदगल ने लोकल 18 को बताया कि पितृपक्ष 15 दिनों तक चलता है. ये 15 दिन पितरो के लिये होते हैं. गया में पितरो की आत्मा की शान्ति के लिए पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध किया जाता है, जिससे पितृ प्रसन्न होकर अपने वंश को सुख समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि जिस तरह मलमास में पूरे 1 महीने सभी देवता राजगीर मे वास करते हैं ठीक उसी तरह पितृपक्ष मे सभी देवी-देवता ये 15 दिन बिहार के गया में वास करते हैं. इसलिए इन दिनों में सभी तरह के मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं.

पितृपक्ष मे ना करे ये कार्य
पितृपक्ष के दिनों मे लोग पितृ के लिये शोक में रहते हैं. उनके मोक्ष की प्राप्ति के लिये पिंडदान, तर्पण, श्राद्ध आदि किया जाता है. अब शोक के दिनों में कोई भी प्रकार का मांगलिक कार्य जैसे, मुंडन, जनेऊ, गृहप्रवेश, हवन, कथा आदि कराना उचित नहीं होता है. ऐसा करने से पितृ नाराज होते हैं और घर पर अशुभ प्रभाव पड़ता है. वहीं पितृपक्ष में कोई भी नए कपड़े नहीं खरीदना चाहिए और ना ही पहनना चाहिए. इसके साथ नया वाहन, जमीन, फ्लैट, घर की छत की ढलाई भी नहीं करनी चाहिए. इससे वंश पर अशुभ प्रभाव पड़ता है.

क्यों खास है पितृ पक्ष ?
ज्योतिषाचार्य बताते है कि पितृपक्ष को श्रद्धा पूर्वक याद करके उनका श्राद्ध कर्म किया जाता है. मान्यता है कि यमराज भी श्राद्ध पक्ष में जीव को मुक्त कर देते हैं ताकि वह स्वजनों के यहां जाकर तर्पण ओर पिंडदान ग्रहण कर सके. पितृपक्ष के दिनों मे पितरों को तर्पण और श्राद्धकर्म करने से उनका मोक्ष की प्राप्ति होती है. वही पीतर प्रसन्न होकर अपने वंश को सुख समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. पितृ पक्ष के दिनों में श्रद्धा पूर्वक अपने पूर्वज को जल देने का विधान है.

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