परमजीत कुमार/देवघर. पितृपक्ष में पितरों का तर्पण किया जाता है. यह पूरे 15 दिनों तक चलता है. पिंडदान करने के लिए यह 15 दिन बड़ा ही महत्वपूर्ण होता है. इसी समय में पितरो की आत्मा की शांति के लिये श्राद्ध, तर्पण, दानपुण्य आदि करने का होता है. इसके साथ ही पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए पितृपक्ष का दिन श्रेष्ठ माना जाता है. मान्यता के अनुसा, पितृपक्ष में अगर आप पितरों का तर्पण करते है तो वे प्रसन्न होते हैं और घर में सुख, शांति, समृद्धि बनी रहती है. साथ ही पितृपक्ष में चांदी से जुड़े कुछ उपायभी हैं. जिससे पितृ खुश होते हैं और घर की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है.
देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नन्द किशोर मुद्गल ने कहा कि पितृपक्ष में अगर आप पितरों का तर्पण, श्राद्ध, दानपुण्य और पिंडदान करते है तो वे प्रसन्न होते हैं. जिससे घर मे सुख-समृद्धि, धन-दौलत बनी रहती है. इसके साथ ही अगर आप चांदी के कुछ उपायकरते हैं तो पितृदोष से मुक्ति मिलेगी इसके साथ घर की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी.
ये हैं चांदी से जुड़े उपाय:
चांदी का करें दानः
वैसे तो पितृपक्ष में दानपुण्य का महत्व ज्यादा है. वहीं अगर आप पितृ पक्ष के दिन मृत व्यक्ति के नाम से ब्राह्मण या किसी गरीब को भोजन कराते हैं और उसके बाद चांदी की बर्तन ब्राह्मण या किसी गरीब को दान करते है तो पितृदोष से मुक्ति मिलती है और रोगों से भी छुटकारा मिलता है.
चांदी के बर्तन में लगाए भोग:
पितृपक्ष के आखरी दिन यानी अमवास्या के दिन अगर आप पितरों को चांदी के बर्तन में भोग लगाते है तो घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है.
चांदी के बर्तन में करें तर्पण:
पितृ पक्ष के चांदी के बर्तन में जल भरकर उसमें तिल डालकर अर्पण करने से पितर प्रसन्न होते हैं और इसका शुभ प्रभाव पड़ता है.
चांदी के बर्तन में करे पिंडदान:
आमतौर पर पितृपक्ष में पत्तल पर पिंडदान किया जाता है. उसकी जगह अगर आप चांदी का बर्तन उपयोग करें तो पितर प्रसन्न होंगे.
चांदी से पितरों की प्रतिमा बनाएं
पितृपक्ष के दिन में अगर आप चांदी से पितरों का प्रतिमा बनाकर उसमें प्राण प्रतिष्ठा कर उनकी पूजा अराधना करते हैं तो परिवार में सुख शांति बनी रहती है और सभी समस्या समाप्त हो जाती है.
कब है पितृपक्ष?
पितृपक्ष की शुरुआत भाद्र माह के पूर्णिमा के बाद आश्विन माह के प्रतिपदा तिथि से होती है. 29 सितंबर को दोपहर 3.26 बजे तक पूर्णिमा है. इसके बाद आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत होगी. जोकि 30 सिंतबर की दोपहर 12.21 मिनट तक है. उदयातिथि को मानते हुए 30 सितंबर सो पितृपक्ष की शुरुआत मानी जाएगी. जो अमावस्या तिथि यानि 14 अक्टूबर तक रहने वाली है. यह पिंडदान कुल 15 दिनों तक चलेगा. इन 15 दिनों मे देश के कोने-कोने से लोग बिहार के गया पहुंचकर अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करते हैं.
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FIRST PUBLISHED : September 18, 2023, 12:15 IST