पिता भारत में मंत्री, बेटा पाक सेना में अफसर, भारत के खिलाफ जंग लड़ी और फिर..

देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की सरकार में एक मंत्री थे शहनवाज खान. वह देश के कई निगमों और आयोगों के मुखिया भी रहे थे. देश के दूसरे पीएम लाल बहादुर शास्‍त्री की सरकार में वह कैबिनेट मंत्री भी रहे थे. पंडित नेहरू की सरकार में जहां शहनवाज खान रेलवे और परिवहन उपमंत्री रहे. वहीं, लाल बहादुर शास्‍त्री की सरकार में वह केंद्रीय कृषि मंत्री रहे थे. शास्‍त्रीजी की कैबिनेट में केंद्रीय कृषि मंत्री रहने के दौरान ही शहनवाज खान के सामने अजीब स्थिति पैदा हो गई. दरअसल, 1965 में हुए भारत और पाकिस्‍तान युद्ध के दौरान लोगों को पता चला कि उनका बेटा पाकिस्‍तान की सेना में बड़ा अफसर है. अजीब हालात थे कि शास्‍त्री सरकार में केंद्रीय मंत्री का बेटा भारत के खिलाफ युद्ध लड़ रहा था.

विपक्ष को जब शहनवाज खान के बेटे के पाकिस्‍तान की सेना में बड़ा अफसर होने की बात पता चली तो उनके इस्‍तीफे की मांग उठने लगी. बता दें कि शाहनवाज खान नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज में मेजर जनरल थे. वह उन लोगों में शामिल थे, जिन्हें दूसरे विश्‍व युद्ध के दौरान अंग्रेजों ने बंदी बनाकर दिल्ली के लाल किला में रखा था. शाहनवाज समेत उन छह अफसरों में शामिल थे, जिन पर लाल किला का चर्चित मुकदमा चला था. बाद में आजाद हिंद फौज के सभी अफसरों को रिहा कर दिया गया था. बंटवारे के बाद शाहनवाज अपने जन्‍म स्‍थान रावलपिंडी से भारत आ गए.

दो दशक से ज्‍यादा मंत्री के तौर पर रहे शाहनवाज
शाहनवाज खान जब भारत आए तो देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें रेलवे और परिवहन उपमंत्री बनाया. इसके बाद वह पंडित नेहरू सरकार में कई विभागों के केंद्रीय मंत्री भी रहे. वह दो दशक से ज्यादा समय तक मंत्री के तौर पर रहे. पंडित नेहरू के बाद लाल बहादुर शास्‍त्री की सरकार में भी शाहनवाज खान केंद्रीय मंत्री बनाए गए. इसी बीच 1965 में भारत और पाकिस्‍तान के बीच जंग छिढ़ गई. किसी तरह से लोगों को पता चल गया कि उनका बेटा पाकिस्‍तानी सेना का बड़ा अफसर है और भारत के खिलाफ जंग में शामिल है.

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पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज खान का बेटा महमूद नवाज पाकिस्‍तान सेना में बड़ा अफसर था.

शाहनवाज का बेटा महमूद था पाक सेना में अफसर
शाहनवाज खान का बेटा महमूद नवाज अली बंटवारे के बाद रावलपिंडी में ही रह गया था. वह उनके साथ भारत नहीं आया था. बाद में वह पाकिस्‍तानी सेना में बड़ा अफसर बन गया और 1965 के युद्ध में सक्रिय भूमिका में था. जानकारी मिलने पर जब विपक्ष ने उनके इस्‍तीफे की मांग की तो शाहनवाज खान दबाव में आ गए. उन्‍होंने इस्तीफा देने का मन भी बना लिया. विपक्ष प्रधानमंत्री से मांग कर रहा था कि ऐसे मंत्री को हटाया जाए, जिसका बेटा दुश्‍मन के साथ भारत के खिलाफ जंग लड़ रहा है. इस पर तत्‍कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्‍त्री ने सामने आकर उनका बचाव किया.

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पूर्व पीएम ने कहा, नहीं लेंगे शहनवाज का इस्‍तीफा
पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने तब विपक्ष से कहा कि वह शाहनवाज खान का इस्‍तीफा कतई नहीं लेंगे. अगर उनका बेटा दुश्मन देश की सेना में बड़ा अफसर है तो इसमें उनकी कोई गलती नहीं है. फिर उन्‍होंने सार्वजनिक तौर पर उनका इस्तीफा लेने मना कर दिया. बता दें कि आज भी शाहनवाज के परिवार के लोग पाकिस्तान में ऊंचे पदों पर हैं. बता दें कि शाहनवाज खान का जन्‍म और पढाई अविभाज्य भारत के रावलपिंडी जिले के मटोर गांव में हुई थी. बाद में वह ब्रिटिश सेना में अफसर बन गए. असल में वह तब चर्चा में आए, जब नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज में शामिल हो गए.

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शाहनवाज खान नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज में मेजर जनरल थे.

पूरा परिवार पाकिस्‍तान में छोड़ आ गए थे भारत
आजादी के समय भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो वह हिंदुस्‍तान से प्रेम के चलते यहां चले आए. जब उनका परिवार साथ आने को तैयार नहीं हुआ तो वह सभी को रावलपिंडी में ही छोड़कर चले आए. रावलपिंडी में ही रह जाने वालों में उनकी पत्‍नी, तीन बेटे, तीन बेटियां शामिल थीं. बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान की मां लतीफ फातिमा को शाहनवाज खान ने ही गोद लिया था. शाहरुख के पिता शाहनवाज खान के साथ ही पाकिस्तान से भारत आ गए थे. बाद में उन्होंने दोनों की शादी करा दी. शाहनवाज खान चार बार मेरठ से सांसद रहे. उनके रहते मेरठ में कभी कोई दंगा नहीं हुआ. शाहनवाज खान ने लोकसभा चुनाव 1952, 1957, 1962 और 1971 में मेरठ से जीत दर्ज की.

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