पिता ने कर्ज लेकर पढ़ाया, बेटी ने रोजाना दौड़ाई 8KM साइकिल, अब KVS TGT में लहराया परचम; हर कोई कर रहा सलाम

सिमरनजीत सिंह/शाहजहांपुर. मंजिलें उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है… इस कहावत को शाहजहांपुर के छोटे से गांव की रहने वाली नीतू पाण्डेय ने चरितार्थ किया है. उन्‍होंने केंद्रीय विद्यालय संगठन शिक्षक भर्ती (TGT हिंदी) में ऑल इंडिया में दूसरी रैंक हासिल की है. नीतू ने विपरीत परिस्थितियों के बीच यह मुकाम हासिल किया है. वहीं, बेटी के टीचर बनने के बाद उनके माता-पिता बेहद खुश हैं.

शाहजहांपुर के विकासखंड ददरौल के छोटे से गांव नौगवां खुखौली के रहने वाले ज्ञानेश पाण्डेय की सबसे बड़ी बेटी नीतू पाण्डेय ने केंद्रीय विद्यालय संगठन के टीचर भर्ती के लिए इसी वर्ष फरवरी में परीक्षा दी थी. अब परिणाम घोषित किया गया है. इसमें नीतू ने ऑल इंडिया में दूसरा स्थान हासिल किया है.

हौसलें के दम पर परिस्थितियों को पछाड़ा
नीतू ने कहा कि शून्य से शिखर तक का रास्ता बहुत ही मुश्किलों भरा था. विपरीत परिस्थितियों में भी पढ़ाई करना जारी रखा. साथ ही बताया कि उन्होंने कक्षा एक से पांचवीं तक की पढ़ाई गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में की है. उसके बाद कक्षा 6 से 8 तक की पढ़ाई पड़ोस के गांव अख्तियारपुर बघौरा के सरकारी स्कूल से हासिल की है. इसके बाद में गांव के आसपास कोई भी इंटर कॉलेज न होने के चलते मुश्किल बढ़ गई. नीतू ने बताया कि आगे की पढाई के लिए कांट के विनोबा भावे इंटर कॉलेज में एडमिशन लिया.

ऑल इंडिया दूसरी रैंक हासिल की
नीतू ने बताया कि रोजाना कालेज तक पहुंचने के लिए 8 किलोमीटर कच्चे रास्ते से होकर साइकिल से जाना पड़ता था. फिर भी हिम्मत नहीं हारी और 12वीं पास करने के बाद उन्होंने ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए शाहजहांपुर के स्वामी शुकदेवानंद डिग्री कॉलेज में एडमिशन ले लिया. वर्ष 2018 में ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद बीएड में एडमिशन लिया और 2021 में पढ़ाई पूरी की. नीतू पाण्डेय ने केंद्रीय विद्यालय संगठन की टीचर भर्ती में बाजी मारी है. नीतू के परिवार में उनकी मां गुड्डी देवी, उसके दो भाई गौरव पाण्डेय, सौरभ पाण्डेय और एक छोटी बहन ऋतु पाण्डेय है.

बेटी पर हमें गर्व है…
नीतू पांडे के पिता ज्ञानेश पाण्डेय ने बताया कि परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, लेकिन बेटी में शिक्षा के प्रति लगन देखी तो उन्होंने अपनी सारी इच्छाओं को त्याग कर बेटी को पढ़ाना जारी रखा. बता दें कि ज्ञानेश पाण्डेय स्वयं बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षा मित्र के पद पर तैनात हैं. नौकरी से मिलने वाली तनख्वाह 6 सदस्यों का परिवार चलाने के लिए बेहद कम थी. उसके बावजूद उन्होंने कर्ज लेकर बेटी को पढ़ाना जारी रखा. ज्ञानेश पाण्डेय ने बताया कि उनके पिता सुखदेव पाण्डेय भी बेसिक शिक्षा विभाग में टीचर के पद से रिटायर्ड हुए हैं. अब उनकी बेटी टीचर बनी है, तो उन्हें गर्व है.

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