पिता खेतों में चलाते हैं कुदाल, बेटे ने एशियन गेम्स में हासिल किया गोल्ड मेडल

गुलशन कश्यप/जमुई. चीन के हांगझू में खेले गए पैरा एशियाई गेम्स में भारत को स्वर्ण पदक दिलाने वाले पैरा एथलीट शैलेश कुमार के घर में पक्का प्लास्टर तक नहीं है. पिता पेशे से किसान हैं और खेतों में कुदाल चलाते हैं. माता गृहिणी है और पिता के काम में हाथ बंटाती है. तकनीकी रूप से इतने समृद्ध नहीं है कि बेटे की सफलता की जानकारी मोबाइल और सोशल मीडिया के माध्यम से ले सकें. गांव के लड़कों ने उन्हें बताया कि उनका बेटा भारत के लिए स्वर्ण पदक जीत कर ला रहा है. इसके बाद माता-पिता का सीना गर्व से चौड़ा हो गया. यह कहानी है जमुई के इस्लामनगर अलीगंज के रहने वाले शिवनंदन यादव और वीणा देवी के पुत्र शैलेश कुमार की. जिन्होंने एशियाई पैरा गेम्स में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीत कर जिला सहित देश का मान बढ़ा दिया है. जिसके बाद लगातार उन्हें बधाइयां मिल रही है.

कहते हैं कि लोग सफलता देखते हैं, लेकिन पैरों के छाले नहीं देख पाते हैं. ऐसी हीं कहानी शैलेश की है, शैलेश के सफलता की कहानी भी काफी संघर्षों से भरी है. पिता पेशे से किसान हैं और खेतों में काम करते हैं. पूरे दिन खेतों में कुदाल चलाकर खेती के जरिए घर परिवार चलाते हैं और बेटे के खेल के लिए भी पैसे इकट्ठा करते हैं. लेकिन, शैलेश ने अपने पिता का मान बढ़ाने के लिए अपने आप को इस हद तक बेहतर बना लिया कि अब वह एशियन गेम्स में भारत के लिए स्वर्ण पदक विजेताओं की सूची में शुमार हो गया है. जिसके बाद प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री से लेकर देश की तमाम बड़ी हस्तियों ने उसे शुभकामनाएं भी दी है.

बचपन से ही थी खेल में रुचि
शैलेश के पिता ने बताया कि वह बचपन से ही खेल- कूद में काफी रुचि रखता था और पढ़ाई में भी ठीक-ठाक था. शैलेश ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई गांव से ही पूरी की और आगे की पढ़ाई नवादा से पूरी की. शैलेश का बचपन से ये चाहत था कि उसके पिता का नाम उसके नाम से जाना जाए और पुत्र की सफलता पर पिता सहित पूरे परिवार में गर्व का माहौल है. स्वर्ण पदक विजेता शैलेश की मां ने बताया कि हम इतने पढ़े-लिखे नहीं है कि मोबाइल फोन पर अपने बेटे का खेल देखकर इसके बारे में जानकारी जुटा पाए. गांव के युवकों ने बताया कि शैलेश ने चीन में स्वर्ण पदक जीत लिया है और भारत का नाम रोशन कर दिया है. जिसके बाद हमारा सीना गर्व से चौड़ा हो गया. उन्होंने बताया कि हम भी यही चाहते हैं कि बेटा आने वाले सालों में लगातार भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतता रहे और भारत का नाम ऊंचा करते रहे. बेटे की सफलता से केवल हम ही नहीं बल्कि पूरा देश गौरवान्वित महसूस कर रहा है. इससे बड़ी बात एक माता-पिता के लिए और क्या ही हो सकती है.

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FIRST PUBLISHED : October 26, 2023, 20:34 IST

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